पाकिस्तान से आयात किए जा रहे सिंधु नमक को अब हिमाचल प्रदेश के मंडी से निकलने वाला नमक मात देने जा रहा है। कभी तिब्बत और नेपाल तक सप्लाई होने वाला यहां का चट्टानी नमक जल्द मार्कीट में उपलब्ध होगा जिससे जहां देशवासी अपनी मिट्टी का नमक प्रयोग में लाएंगे वहीं इस कारखाने से हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा।
द्रंग व गुम्मा की पहाड़ियों से निकलने वाले इस नमक के करीब 8 वर्ष बाद मिलने से पशुपालक व भेड़पालक काफी खुश हैं। एशिया में इस वक्त केवल पाकिस्तान और नेपाल में ही चट्टानी नमक निकल रहा है जो मवेशियों को खिलाने के अलावा औषधियों में भी प्रयोग किया जाता है लेकिन हिमाचल प्रदेश के गुम्मा और द्रंग की पहाडिय़ों के अंदर से निकलने वाला नमक इन दोनों देशों से निकलने वाले नमक से ज्यादा गुणकारी और औषधीय गुणों से भरपूर है।
वर्ष 2011 से यहां नमक उत्पादन बंद हो गया था और प्रदेश सरकार की लापरवाही से यह कारखाना खंडहर में तबदील हो गया था। हिंदुस्तान साल्ट लिमिटेड ने एक सर्वे के बाद यहां चट्टानी नमक के अलावा 300 करोड़ की लागत से सॉल्यूशन माइन आधारित खाने का नमक तैयार करने के कारखाने की भी संभावनाएं तलाशीं और अब यहां भाजपा सांसद राम स्वरूप शर्मा के प्रयासों से 300 करोड़ रुपए की लागत से यह कारखाना भी मैगल में लगने जा रहा है, जबकि चट्टानी नमक निकालने का कार्य भी शुरू कर दिया गया है।
पाकिस्तान को मात देगा हिमाचली नमक...
पाकिस्तान से आयात किए जा रहे सिंधु नमक को अब हिमाचल प्रदेश के मंडी से निकलने वाला नमक मात देने जा रहा है। कभी तिब्बत और नेपाल तक सप्लाई होने वाला यहां का चट्टानी नमक जल्द मार्कीट में उपलब्ध होगा जिससे जहां देशवासी अपनी मिट्टी का नमक प्रयोग में लाएंगे वहीं इस कारखाने से हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा।
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