हिमाचल प्रदेश की सरकार ने लाखों बागवानों के लिए एक अहम कदम उठाया है. दरअसल, आगामी वित्तीय वर्ष से लाखों बागवानों को सब्सिडी की कीटनाशक दवाएं नहीं मिलेंगी. बताया जा रहा है कि राज्य सरकार ने दवा खरीद गड़बड़ी को रोकने के लिए यह अहम कदम उठाया है. अब बागवान खुले बाजार से खुद पसंद की कीटनाशक दवाएं खरीद सकेंगे. इन दवाओं पर तय की गई सब्सिडी बागवानों के खाते में सीधे डाली जाएगी. इस फैसले से लघु और मध्य, दोनों बागवानों को अधिक लाभ मिलेगा. इस संबंध में बागवानी विभाग के सचिव ने निदेशक को पत्र संख्या एचटीसी-एफ(11)-42017 जारी किया है.
जानकारी के लिए बता दें कि हिमाचल प्रदेश की सरकार हर सीजन में करोड़ों की कीटनाशक दवाएं खरीदती है. मगर अक्सर बागवान दवाओं की गुणवत्ता को लेकर भी सवाल उठाते रहे हैं. कई बार दवाएं न मिलने की शिकायतें भी की गई हैं. इस पूरी व्यवस्था को लेकर अच्छी खासी कसरत करनी पड़ती थी, तो वहीं दवाओं के लिए गोदाम भी रखने पड़ते थे. इसके अलावा दवाओं के वितरण के लिए केंद्र खोले जाते थे और उन पर कर्मचारियों की भी तैनाती करनी पड़ती थी.
मगर अब नई व्यवस्था के मुताबिक, अब बागवानों को न तो दवाओं की खरीद करनी होगी और न ही बुनियादी ढांचे की जरूरत रहेगी. अब बागवान अपनी आवश्यकता के हिसाब से दवाएं खुले बाजार से खरीद सकेंगे.
खास बात है कि राज्य सरकार सिर्फ 1 हेक्टेयर पर अधिकतम 4 हजार की सब्सिडी बागवानों के खाते में सीधे डालेगी. अगर किसी बागवान के पास ज्यादा जमीन है, तब भी सिर्फ 4 हजार ही सब्सिडी प्रदान की जाएगी. इसके लिए बागवानों को दवाओं के बिल बागवानी विभाग के पास जमा कराने होंगे.
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