
New blueberry variety: हिमाचल प्रदेश के कृषि क्षेत्र के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है. पालमपुर स्थित कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने 7 वर्षों की कड़ी मेहनत और शोध के बाद ब्लूबेरी की एक विशेष किस्म विकसित करने में सफलता हासिल की है. यह सफलता राज्य के किसानों की आर्थिक मजबूती देने के साथ-साथ स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी अहम योगदान देगी.
ब्लूबेरी: स्वास्थ्य का खजाना
ब्लूबेरी एक पोषक तत्वों से भरपूर फल है, जिसे सुपरफूड की श्रेणी में रखा जाता है. इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले तत्वों के साथ-साथ कैल्शियम और जिंक प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार, यह फल कैंसर की रोकथाम, याददाश्त बढ़ाने और बुढ़ापे की प्रक्रिया को धीमा करने में सहायक है. ऐसे में यह फल स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों के लिए एक वरदान साबित हो सकता है.
पहली बार सरकारी स्तर पर मिली सफलता
हालांकि हिमाचल में ब्लूबेरी पर निजी स्तर पर पहले भी कुछ कार्य हुआ है, लेकिन यह पहली बार है जब सरकारी क्षेत्र, विशेषकर कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर ने वैज्ञानिक तरीके से ब्लूबेरी को विकसित किया है. विश्वविद्यालय ने इसके लिए 7 साल तक लगातार शोध किया, जिसमें मिट्टी, जलवायु, उत्पादन क्षमता और पौधों की अनुकूलता पर विशेष ध्यान दिया गया.
अनुकूल क्षेत्रों में खेती की शुरुआत
विश्वविद्यालय के शोध के अनुसार, हिमाचल प्रदेश के मध्यवर्ती और निचले इलाकों में ब्लूबेरी की खेती के लिए उपयुक्त परिस्थितियां पाई गई हैं. ऊंचाई वाले क्षेत्रों में इसके लिए अभी और शोध कार्य जारी है. ब्लूबेरी की खेती के लिए सड़ी हुई पाइन की पत्तियों और पेड़ों की छाल को मिट्टी में मिलाकर उसका पीएच स्तर घटाने और नमी बनाए रखने का तरीका अत्यंत उपयोगी साबित हुआ है.
प्रति पौधा 4 किलो तक उत्पादन
कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नवीन कुमार के अनुसार, "ब्लूबेरी का प्रत्येक पौधा 2 से 4 किलो तक उपज देने में सक्षम है. अगर किसान वैज्ञानिक तरीके से इसकी खेती करें, तो एक किलो ब्लूबेरी की बिक्री से 600 से 700 रुपये तक की आमदनी कर सकते हैं."
किसानों के लिए मिलेगा पौधा
अब विश्वविद्यालय का अगला कदम इस किस्म के पौधों को प्रदेश के किसानों तक पहुंचाना है. इसके लिए एक विस्तृत योजना बनाई जा रही है. विश्वविद्यालय अभी पौधों की कीमत तय कर रहा है, लेकिन इसका उद्देश्य किसानों को एक ऐसा विकल्प देना है जिससे वे पारंपरिक खेती से हटकर बेहतर मुनाफा कमा सकें.
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