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हरियाणा राज्य कृषि विपणन मंडल 20 वर्षों में खर्च कर पाई कमाई का मात्र 45 %

हरित क्रांति की वजह से जहां एक तरफ फसलों की उपज बढ़ी वहीँ दूसरी तरफ ज्यादा यही बढ़ी पैदावार के मंडियों में आने की वजह से हरियाणा कृषि विपणन मंडल एवं एकल मार्किट समितियों की आय में कई गुना बढ़ोतरी हुई है l 1993-94 से 2012-13 के 20 वर्षों के अंतराल में हरियाणा राज्य कृषि विपणन मंडल 6611 करोड़ की कमाई कर उसमें से लगभग 45 % यानी सिर्फ 2934 करोड़ की राशि ही खर्च कर पाया है l

हरित क्रांति की वजह से जहां एक तरफ फसलों की उपज बढ़ी वहीँ दूसरी तरफ ज्यादा यही बढ़ी पैदावार के मंडियों में आने की वजह से हरियाणा कृषि विपणन मंडल एवं एकल मार्किट समितियों की आय में कई गुना बढ़ोतरी हुई है l 1993-94 से 2012-13 के 20 वर्षों के अंतराल में हरियाणा राज्य कृषि विपणन मंडल 6611 करोड़ की कमाई कर उसमें से लगभग 45 % यानी सिर्फ 2934 करोड़ की राशि ही खर्च कर पाया है l स्थापना के 48 वर्षों बाद राज्य की मंडियों का हाल जानने के लिए कृषि अर्थशास्त्र विभाग, कृषि कॉलेज, हकृवि के स्नातकोत्तर छात्रों द्वारा जांच-पड़ताल की गयीl इस जांच के दायरे में राज्य की 6 सबसे बड़ी मंडियों (सिरसा, रतिया, करनाल, कैथल, होडल, रोहतक) को शामिल किया गया गया l हर मंडी से वहाँ आने वाले 20 किसानों से राय मांगी गयी l 

मंडी समितियों की कुल आय एवं व्यय:

मंडी समितियों के तीन औचित्य स्थापित किये गए हैं जिसमें मंडियों का विकास, नयी ग्रामीण सड़कों का निर्माण एवं उनका रखरखाव आता है l जहाँ वर्ष 1993-94 में इन समितियों की कुल आय 117 करोड़ थी वही आय वर्ष 2012-13 में बढ़कर 874 करोड़ हो चुकी l इन 20 वर्षों में 1060 करोड़ की राशि खर्च कर 10822 कि. मी. ग्रामीण सड़कों का निर्माण किया गया वहीँ 794 करोड़ खर्च कर 13417 कि.मी. ग्रामीण सड़कों के रखरखाव का कार्य भी पूरा किया जा चुका है l वहीँ मंडी समितियों के सबसे महत्वपूर्ण औचित्य, मंडी विकास की जब बात आती है तो इस अंतराल में 6611 करोड़ की कमाई में से सिर्फ 13 % यानी 870  करोड़ ही खर्च किया गया है l अब अगर कुल आय और कुल खर्च में फर्क देखा जाए तो हरियाणा सरकार को 3677  राजस्व मिल चुका है l चित्र 1 में साफ़ साफ़ देखा जा सकता है की कुल आय और कुल वव्यय में बहुत बड़ा अंतर है l

स्त्रोत: हरियाणा राज्य कृषि विपणन मंडल के रिकॉर्ड l

मंडियों की कमी:

1. अगस्त 1969 में हरियाणा कृषि विपणन मंडल की स्थापना के वक़्त राज्य में कुल 118 मंडियां थी l मार्च,2017 तक कुल 281 मंडियां हो गयी हैं l देखने में यह वृद्धि अत्यधिक लगती है लेकिन राष्ट्रीय किसान आयोग(2004) की सिफारिशों के अनुसार हर 5 कि. मी. के घेरे में यानो 80 वर्ग कि. मी. के दायरे में 1 मंडी का होना आवश्यक है l  हरियाणा राज्य में 413 वर्ग की. मी. में 1 मंडी उपलब्ध है l इसके अनुसार देखा जाए तो हरियाणा में कुल 269 मंडियों की आज भी कमी है l सबसे ज्यादा कमी भिवानी जिले(44) में है उसके बाद सिरसा में 28 और हिसार में 23 l कुरुक्षेत्र जिले में संख्या पर्याप्त से बस 1 कम है l

किसानों की राय:

साल 2016 में किये गए सर्वे के दौरान 120 किसानों ने मंडियों में दी जा रही सुविधाओं पर अपनी राय राखी l चित्र एक में उस सर्वे से मिले डाटा को देख कहा जा सकता है की मंडी समितियों की वार्षिक आय में हुई 8 गुना वृद्धि हुई है मगर उसके पश्चात भी मूल्भूत सुविधाओं जैसे शौचालय, पीने के पानी, खुले चबूतरों,खाद बीज की दुकानों की बहुत कमी है l हालाँकि सड़कों की स्तिथि को लेकर हर किसान संतुष्ट दिखाई दिया l

स्त्रोत: मंडियों के सर्वेक्षण से उपलब्ध जानकारी(2016) l

मंडी खबर प्रदान करने वाली सुविधाओं पर किसानों का मत:

सारिणी 1: मंडी खबर देने वाले स्त्रोतों की उपयोगिता

क्र. सं.

जानकारी के स्त्रोत

कुल किसान

किसान जिन्हें सुविधा की जानकारी है

किसान जिन्हें सुविधा उपयोगी लगी

1

सूचना पट

120

55

21

2

LED बोर्ड

120

20

8

3

कृषि व्यापार जानकारी केंद्र

120

5

3

4

अखबार

120

7

5

5

एगमार्कनेट

120

1

1

6

पुस्तकालय

सिर्फ सिरसा मंडी में चालु हालत में मौजूद

7

टोल फ्री नंबर

किसी भी मंडी समिति द्वारा नहीं प्रदान की गयी

8

SMS सुविधा

किसी भी मंडी समिति द्वारा नहीं प्रदान की गयी

स्त्रोत: मंडियों के सर्वेक्षण से उपलब्ध जानकारी(2016) l

इस सर्वे से मिले नतीजों को देखा जाए तो राज्य की 6 सबसे बड़ी मंडियों में दी जा रही सुविधाओं की हालत बहुत बुरी नज़र आती है l खासकर मंडी खबर संभंधित सुविधाओं की भारी कमी साफ़ सिखाई देती है l जब कुल आय का सिर्फ 45 % ही वापिस खर्च किया जाता है तो यह भी कहा जा सकता है की कृषि मंडियां राजस्व इकठ्ठा करने का साधन बनी हुई हैं l राज्य कृषि विपणन मंडल को चाहिए की वह जल्द से जल्द इन कमियों पर ध्यान दे और अपनी आय की और ज्यादा हिस्सा इनके विकास पर खर्च करे क्योंकि इन कमियों के दूर होने पश्चात ही हम आगे बढ़ने की सोच सकते हैं l

संजय, पीएचडी, कृषि अर्थशास्त्र विभाग, कृषि कॉलेज,

संजय कुमार, जिला विस्तार विशेषज्ञ, करनाल, स्वामी एच्. एम., पीएचडी, कृषि अर्थशास्त्र विभाग, कृषि कॉलेज, चौधरी चरण सिंह हरयाणा कृषि विश्वविद्दालय

English Summary: Haryana State Agricultural Marketing Board spent only 20 years, only 45% of the earnings Published on: 13 July 2018, 06:52 AM IST

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