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Paddy Crop: सरकार किसानों को धान की खेती न करने पर देगी 2 हजार रुपए, जानिए क्यों?

देश के किसान धान की खेती (Paddy Crop) को बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं. सभी किसान धान की बुवाई की तैयारियों में जुट गए हैं. मगर हरियाणा राज्य के चरखी दादरी जिले की पैंतावास कलां पंचायत ने धान की खेती न करने का संकल्प लिया है. इस बार गांव में धान की खेती नहीं की जाएगी.

कंचन मौर्य
Haryana government
Haryana government

देश के किसान धान की खेती (Paddy Crop) को बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं. सभी किसान धान की बुवाई की तैयारियों में जुट गए हैं. मगर हरियाणा राज्य के चरखी दादरी जिले की पैंतावास कलां पंचायत ने धान की खेती न करने का संकल्प लिया है. इस बार गांव में धान की खेती नहीं की जाएगी. यह फैसला एक बेहद नेक काम के लिए किया गया है. 

बता दें कि धान की खेती में सबसे ज्यादा पानी की खपत होती है, लेकिन इस वक्त जल संकट की वजह से करीब आधा हरियाणा डार्क जोन में हैं जिससे उबरने के लिए इस बार 1,00,000 हैक्टेयर में धान की खेती न करने का फैसला किया गया है. इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित भी किया जाएगा.

धान की खेती छोड़ने पर बढ़कर मिलेगी प्रोत्साहन राशि (Quitting paddy cultivation will increase the incentive amount)

राज्य में फसल विविधीकरण योजना के तहत एक वर्किंग ग्रुप बनाया गया है. इस ग्रुप का प्रयास है कि जो किसान धान की खेती छोड़ अन्य फसलों की बुवाई कर रहे हैं, उन किसानों को प्रोत्साहन राशि बढ़ाकर दी जाए. फिलहाल अभी किसानों को धान की खेती छोड़ कम पानी की खपत वाली फसलों की खेती करने पर प्रति एकड़ 2 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाती है.

इन 7 क्षेत्रों को मिलेगा योजना का लाभ (These 7 areas will get the benefit of the scheme)

राज्य में 7 जिलों के 7 ब्लाकों में इस योजना को लागू किया जाएगा.

  • यमुनानगर का रादौर

  • सोनीपत का गन्नौर

  • करनाल का असंध

  • कुरुक्षेत्र का थानेसर

  • अंबाला का अंबाला-1

  • कैथल का पूंडरी

  • जींद का नरवाना ब्लॉक

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक (According to agricultural scientists)

धान की खेती में 1 किलोग्राम चावल पैदा करने में कम से कम 5000 लीटर तक पानी की आवश्कयता पड़ती है. यूनाइटेड नेशंस के खाद्य एवं कृषि संगठन की मानें, तो भारत में करीब 90 प्रतिशत पानी का उपयोग खेती में किया जाता है.

धान की खेती में हरियाणा का नाम टॉप 10 की सूची में आता है. केंद्रीय भूजल बोर्ड का आंकड़ा बताता है कि हरियाणा का भूजल स्तर 300 मीटर तक पहुंचने का अंदेशा लगाया जा रहा है, इसलिए यहां 9 जिले डार्क जोन में शामिल हैं.

यहां 76 प्रतिशत हिस्से में भूजल स्तर (Ground Water Level) बहुत तेजी से गिरा है. ऐसे में हरियाणा द्वारा धान की खेती न करने का फैसला जल संकट से निपटने में कारगर साबित हो सकता है. सीएम मनोहरलाल खट्टर ने भी इस फैसले की जमकर तारीफ की है.

  • यह राशि 2 चरणों में दी जाएगी.

  • इसमें 200 रुपए पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के समय दिया जाएगा.

  • बाकी 1800 रुपए फसल की बुवाई का वेरीफिकेशन करने के बाद मिलेगा.

  • यह राशि किसानों के बैंक खाते डाली जाएगी.

किसानों को ऐसे किया जाएगा प्रेरित (Farmers will be motivated like this)

  • इन 7 ब्लॉकों में धान की जगह अन्य फसलों की बुवाई करने पर किसानों का कृषि विभाग के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन किया जाएगा.

  • किसानों को मुफ्त में बीज उपलब्ध करवाया जाएगा.

  • इसकी कीमत 1200 से 2000 रुपए प्रति एकड़ रखी है.

  • प्रति एकड़ 2 हजार रुपए की आर्थिक मदद की जाएगी.

  • धान की जगह मक्का और अरहर उगाने पर फसल बीमा करवाएंगे.

  • हरियाणा सरकार 766 रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से प्रीमियम भी देगी.

  • फसल तैयार होने के बाद हैफेड, खाद्य और आपूर्ति विभाग न्यूनतम समर्थन मूल्य की दर से उपज खरीदेंगे.

English Summary: Haryana government will motivate farmers not to cultivate paddy due to water crisis Published on: 28 April 2020, 07:58 PM IST

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