
Paddy farming subsidy: भारत में धान एक अहम फसल है, जो देश के लगभग एक-चौथाई खेती योग्य क्षेत्र में बोई जाती है. लेकिन इसकी परंपरागत खेती में अत्यधिक पानी और श्रम की जरूरत होती है. हरियाणा के धान किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी सामने आई है. राज्य सरकार ने खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान की खेती को टिकाऊ और लाभदायक बनाने के लिए डायरेक्ट सीडेड राइस (DSR) तकनीक को बढ़ावा देने का फैसला किया है. इसके तहत किसानों को प्रति एकड़ ₹4,000 की सब्सिडी दी जाएगी. हरियाणा जैसे राज्य, जहां भूजल स्तर लगातार गिरता जा रहा है, वहां यह तरीका न तो टिकाऊ है और न ही आर्थिक रूप से फायदेमंद. पुराने तरीके से 1 किलो चावल उगाने में लगभग 3,000 से 4,000 लीटर पानी की जरूरत होती है. ऐसे में DSR तकनीक किसानों के लिए एक बड़ी राहत बनकर सामने आई है.
क्या है DSR तकनीक?
डायरेक्ट सीडेड राइस यानी DSR एक ऐसी विधि है जिसमें धान के बीज सीधे खेत में बोए जाते हैं. इसमें पारंपरिक नर्सरी और रोपाई की जरूरत नहीं पड़ती. इससे न केवल पानी की बचत होती है, बल्कि समय और श्रम लागत में भी कमी आती है. DSR से 30 प्रतिशत तक पानी की खपत घट सकती है और प्रति एकड़ लगभग 60 श्रम घंटे की बचत होती है.
सरकार का विज़न और लक्ष्य
खबरों के अनुसार, सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2025 में 3 लाख एकड़ से अधिक क्षेत्र में DSR तकनीक से धान की खेती करवाई जाए. वर्ष 2024 तक 50,540 किसान इस तकनीक को अपना चुके हैं और लगभग 1.8 लाख एकड़ में इसकी खेती हो चुकी है. इस तकनीक को बढ़ावा देने के लिए सरकार किसानों को न केवल आर्थिक सहायता दे रही है, बल्कि प्रशिक्षण, उन्नत बीज और मशीनरी की सुविधा भी दे रही है.
DSR के पर्यावरणीय और आर्थिक लाभ
DSR तकनीक सिर्फ किसानों के लिए ही नहीं, पर्यावरण के लिए भी लाभकारी है. इससे न केवल जल संरक्षण होता है, बल्कि ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में भी कमी आती है. नर्सरी और बार-बार सिंचाई की जरूरत खत्म हो जाती है, जिससे पंप चलाने की लागत में 30% तक की कमी आती है. एक सीजन में 15-25 लाख लीटर पानी बचाया जा सकता है, जो गंभीर जल संकट वाले इलाकों के लिए बेहद जरूरी है.
DSR अपनाने में चुनौतियां भी मौजूद
हालांकि DSR के कई फायदे हैं, लेकिन इसे पूरी तरह अपनाने में कुछ चुनौतियां भी हैं. किसानों में इस तकनीक के प्रति जागरूकता की कमी, अनुपयुक्त मिट्टी और खरपतवार नियंत्रण की दिक्कतें प्रमुख हैं. इन समस्याओं को हल करने के लिए सरकार द्वारा जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं और विशेषज्ञों की मदद से किसानों को प्रशिक्षित किया जा रहा है.
डीएसआर के लिए उपयुक्त ट्रैक्टर और मशीनें
DSR मशीन के बेहतर संचालन के लिए 35 से 50 एचपी श्रेणी के ट्रैक्टर उपयुक्त माने जा रहे हैं. भारत में महिंद्रा, स्वराज, सोनालीका, जॉन डियर, टैफे जैसी प्रमुख कंपनियों के ट्रैक्टर DSR यंत्र के साथ प्रभावी प्रदर्शन कर रहे हैं. DSR मशीन की कार्य क्षमता 0.3 से 0.4 हेक्टेयर प्रति घंटा तक हो सकती है, जो बड़े क्षेत्र में खेती के लिए उपयुक्त है.
Share your comments