
हरियाणा सरकार ने कृषि क्षेत्र में विकास के लिए एक बड़ी योजना को मंजूरी दी है. राज्य स्तरीय स्वीकृति समिति ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (पीएम-आरकेवीवाई) के तहत वर्ष 2025-26 के लिए कुल 1,267.49 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी वार्षिक कृषि योजना को हरी झंडी दिखाई है. इस योजना की सिफारिश मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी की अध्यक्षता में हुई है और अब इसे अंतिम मंजूरी के लिए केंद्रीय कृषि मंत्रालय को भेजा जाएगा. हरियाणा सरकार की यह योजना किसानों की आमदनी बढ़ाने और कृषि को सतत रूप से विकसित करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकती है. इससे राज्य के कृषि क्षेत्र को नई दिशा मिलेगी और किसानों की जिंदगी में सुधार आएगा.
सिंचाई के पानी पर होगा खास ध्यान
इस योजना का सबसे बड़ा उद्देश्य हरियाणा के उन जिलों में सिंचाई के पानी की व्यवस्था को बेहतर बनाना है, जो जल संकट से जूझ रहे हैं. करनाल, कैथल, कुरुक्षेत्र, पानीपत, सोनीपत और यमुनानगर जैसे जिलों में भूमिगत पाइपलाइन (यूजीपीएल) प्रणाली को बढ़ावा दिया जाएगा. भूजल स्तर में गिरावट को ध्यान में रखते हुए सरकार किसानों को खेतों में पानी की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने पर जोर दे रही है.
फसल विविधीकरण के लिए एकीकृत कृषि मॉडल
राज्य सरकार ने प्राकृतिक खेती अभियान के तहत सब्जी-केंद्रित एकीकृत कृषि मॉडल भी शुरू करने की योजना बनाई है. इसका मकसद किसानों को फसल विविधीकरण के लिए प्रेरित करना है, ताकि वे अलग-अलग फसलों की खेती करें. इससे मिट्टी की सेहत सुधरेगी और पोषण सुरक्षा भी बढ़ेगी.
करनाल में होगा केंद्रीय मशरूम सेंटर
साथ ही, करनाल के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र में केंद्रीय मशरूम उत्पादन केंद्र स्थापित किया जाएगा. इस केंद्र के जरिए भूसे और चूरा जैसे कृषि अवशेषों का उपयोग करके मशरूम की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा. इससे भूमिहीन मजदूरों और छोटे किसानों को मदद मिलेगी. इस पहल को सीसीएस हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार द्वारा संचालित किया जाएगा.
विभिन्न योजनाओं के लिए होगी राशि का वितरण
आरकेवीवाई कैफेटेरिया के अंतर्गत कई महत्वपूर्ण योजनाओं को वित्तीय सहायता दी जाएगी. इनमें प्रति बूंद अधिक फसल के लिए 415.98 करोड़ रुपये, फसल अवशेष प्रबंधन के लिए 250.75 करोड़ रुपये, मशीनीकरण (एसएमएएम) के लिए 89.90 करोड़ रुपये, मिट्टी के स्वास्थ्य और उर्वरता के लिए 16.25 करोड़ रुपये, फसल विविधीकरण के लिए 47.92 करोड़ रुपये और जैविक खेती (पीकेवीवाई) के लिए 9.68 करोड़ रुपये शामिल हैं. इसके अलावा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा, खाद्य तेल, बीज मिशन, एटीएमए और एमआईडीएच जैसे कार्यक्रमों को भी इस योजना के तहत 177 करोड़ रुपये की राशि मिलेगी.
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