कुछ समय पहले हरियाणा में करनाल जिले के निसिंग ब्लॉक के सिरसी गांव (Sirsi village of Nissing block of Karnal district in Haryana) के निचले इलाकों में समय-समय पर घरों और हैंडपंप से निकलने वाला अपशिष्ट पानी (Waste Water) गांव के रास्तों पर बह बहा और जमा हुआ. जिसके चलते रुके हुए पानी से पैदा होने वाली दुर्गंध और मच्छरों का प्रजनन देखने में अस्वच्छ था और वहां रहने वाले 360 घरों के 2400 लोगों के लिए परेशानी का सबब था. लेकिन अब इससे निपटने के तरीकों को निजात कर लिया गया है.
कैसे होता है ग्रेवटेर प्रबंधन (How Does Greywater Management Happen)
अपशिष्ट स्थिरीकरण तालाब (Waste Stabilization Pond): इसके समाधान के लिए, गांव ने लगभग 30 लाख रुपये की लागत से अपशिष्ट स्थिरीकरण तालाब प्रणाली (Waste Stabilization Pond System) को अपनाया है. इसने न केवल ग्रेवाटर निपटान से संबंधित मुद्दों को हल किया जायेगा, बल्कि ग्राम पंचायत को राजस्व का एक स्रोत हासिल करने में मदद भी मिल सकेगी. गंदी जगह को अब पिकनिक स्पॉट में बदल दिया गया है जहां गांव के लोग अपने खाली समय का आनंद ले सकते हैं.
फाइटोरिड प्लांट (Phytorid Plant): गुरुग्राम जिले के धोरका गांव में, एक फाइटोरिड प्लांट जो नाली के पानी से पोषित होता है और जिसकी क्षमता 75 kld है, वो 2019 में बनाया गया था. इसे 0.8 m3 / d / m2 के हाइड्रोलिक लोडिंग और 3.4 ग्राम के जैविक लोडिंग के लिए डिज़ाइन किया गया था.
फाइटोरिड एक उपसतह मिश्रित प्रवाह निर्मित आर्द्रभूमि प्रणाली (Subsurface Mixed Flow Built Wetland System) है. फाइटोरिड प्रणाली प्राकृतिक उपचार विधियों पर आधारित एक स्टैंड-अलोन सीवेज उपचार प्रणाली है, जिसके पारंपरिक उपचार संयंत्रों (Traditional Treatment Plants) पर अलग-अलग फायदे हैं.
सामुदायिक लीच पिट (Community Leach Pit): महेंद्रगढ़ जिला मुख्यालय से 11 किलोमीटर दूर नारनौल तहसील के डोंगली गांव में 224 घरों में से 1680 की आबादी है. गांव आरओ सिस्टम के आधार पर 24 घंटे पेयजल आपूर्ति से लैस है और इसमें एक जल निकासी व्यवस्था है, जो अधिकांश घरों से जुड़ी हुई है.
हालांकि, अनियमित रखरखाव गतिविधियों के कारण नालियों के चोक होने की समस्या बनी रहती है. निचले इलाकों में गंदे पानी और जलभराव के कारण ना केवल मच्छरों का प्रजनन बढ़ा है और आसपास के क्षेत्रों में भूजल स्रोतों को भी प्रदूषित किया है. असुरक्षित ग्रेवाटर प्रबंधन से जुड़ी समस्याएं पिछले कुछ वर्षों में बढ़ गईं और परिवारों की सामाजिक आर्थिक स्थिति को प्रभावित किया है.
इन बिगड़ती परिस्थितियों की प्रतिक्रिया के रूप में, स्थानीय स्वयं सहायता समूह के सदस्यों ने समस्या के समाधान के लिए पहल की है. सामुदायिक स्वामित्व (Community Ownership) के निर्माण से सामुदायिक लीच गड्ढों (Community Leach Pits) का निर्माण हुआ और हर सामाजिक आयोजन में वृक्षारोपण (Tree Planting) को शामिल किया गया है.
इसके अलावा, तरल अपशिष्ट प्रबंधन सुविधाओं (Waste Management Facilities) के संचालन और रखरखाव के लिए जीपी द्वारा अब पर्याप्त मानव संसाधन आवंटित किए गए हैं.
GP ने अब यह सुनिश्चित किया है कि सभी नालों को कवर किया गया है और सामुदायिक स्तर के लीच पिट्स से जोड़ा गया है. एक लीच पिट से लगभग 3-6 घर जुड़े हुए हैं.
सामुदायिक लीच पिट एक ईंट-पंक्तिवाला गड्ढा (Brick Lined Pit) होता है, जिसे घरों के समूह के लिए सुविधाजनक स्थान पर बनाया जाता है. कनेक्ट किए जाने वाले घरों की संख्या की गणना प्रत्येक घर से निकलने वाले गंदे पानी और सामुदायिक लीच पिट के लिए उपलब्ध स्थान के आधार पर की जानी चाहिए.
वहीं घरों का गंदा पानी (रसोईघर, नहाने और धुलाई क्षेत्र से निकलने वाला गंदा पानी) को गड्ढे में प्रवाहित किया जाना चाहिए.
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