नई दिल्लीः केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि देश में सस्ते खाद्य तेलों के भारी आयात पर अंकुश लगाने और तिलहन उत्पादक किसानों को उनकी उपज का ज्यादा मोल दिलाने के लिए सरकार अध्ययन करेगी। गडकरी ने सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के एक कार्यक्रम में प्रसंस्करण उद्योग के प्रतिनिधियों से चर्चा के बाद संवाददाताओं से कहा, फिलहाल हमें देश की खपत का करीब 70 टन खाद्य तेल आयात करना पड़ता है। सस्ते खाद्य तेलों के आयात में लगातार बढ़ौतरी हो रही है। इससे एक ओर देश के किसानों को तिलहनों की सही कीमत नहीं मिल रही है, दूसरी ओर घरेलू प्रसंस्करण उद्योग को भी नुकसान हो रहा है।’’
MSP से भी नीचे बेचनी पड़ी फसल
उन्होंने कहा, हमारी सरकार की नीति है कि उपभोक्ताओं को सही कीमत पर खाद्य तेल मिलें। इसके साथ ही, तिलहन उत्पादक किसानों के हितों की भी रक्षा हो। इसलिए सरकार जरुर अध्ययन करेगी कि खाद्य तेलों पर कितना आयात शुल्क बढ़ाया जाना चाहिए, जिससे देश के किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) से ज्यादा भाव मिले। गौरतलब है कि बीते खरीफ सत्र के दौरान भाव गिरने से किसानों को सोयाबीन की फसल सरकार के तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) से भी नीचे बेचनी पड़ी थी। इसके बाद परंपरागत रूप से सोयाबीन उगाने वाले ज्यादातर किसानों ने उपज के बेहतर भावों की आशा में मौजूदा खरीफ सत्र में तुअर (अरहर), मूंग और उड़द जैसी दलहनी फसलों की बुवाई की है।
नए बीज विकसित होने चाहिए
केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि देश में सोयाबीन की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता बढ़ाने के लिए नए बीज विकसित होने चाहिए और इस दिशा में विशेष अनुसंधान किया जाना चाहिए। गडकरी ने सोयाबीन प्रसंस्करण उद्योग से अनुरोध किया कि उच्च मात्रा में प्रोटीनयुक्त सोया खली (सोयाबीन का तेल निकाल लिए जाने के बाद बचने वाला उत्पाद) के इस्तेमाल से खासकर आदिवासी इलाकों के लिए पोषाहार बनाया जाए। उन्होंने कहा, विशेषकर आदिवासी इलाकों में कुपोषण के कारण हजारों बच्चे मर जाते हैं। इसलिए सोया खली से इन इलाकों के लिए उच्च प्रोटीनयुक्त पोषाहार बनाया जाने चाहिए।
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