महाराष्ट्र सरकार ने अपनी एक योजना के तहत किसानों को देसी गाय देने का फैसला किया गया है. पशुपालन विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, राज्य सरकार सामान्य वर्ग, आदिवासी समुदाय और अनुसूचित जाति (SC) के किसानों को उप योजना (SCSP) के तहत दुधारु पशु वितरित करेगी. इस योजना के रूप में सरकार ने 2015 से छह- चार या दो दुधारू गायों या भैंसों को वितरित करने का निर्णय लिया था.
अब तक राज्य सरकार इस योजना के तहत गायों की विदेशी किस्मों, जैसे होल्स्टीन फ्रेशियन (एचएफ) और जर्सी को देती थी. लेकिन, गायों की देशी नस्लों की संख्या को संरक्षित करने और बढ़ाने के लिए, यह अब देसी गायों को भी इस योजना में शामिल करने का निर्णय लिया गया है.
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उन्होंने कहा कि योजना के तहत किसानों को साहीवाल, गिर, देवनी, लाल सिंधी, राठी, थारपारकर, गौलाओ, लाल कंधारी और डांगी गायों की नस्लें दी जाएंगी.
अधिकारी ने यह भी कहा कि देसी नस्लों में विदेशी गायों की नस्लों की तुलना में दूध उत्पादन क्षमता कम होती है.
जर्सी और होलस्टीन फ्रेशियन (एचएफ) गायों की दूध उत्पादन क्षमता 10 - 12 लीटर प्रतिदिन है. दूसरी ओर, साहीवाल, गिर, थारपारकर, लाल सिंधी, राठी जैसी किस्मों में आठ से दस लीटर दूध देने की क्षमता होती है, जबकि देवनी, लाल कंधारी, गौलाओ और डांगी गायों में 5 से 7 लीटर प्रति लीटर देने की क्षमता होती है.
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उन्होंने कहा "हालांकि, गायों की देसी किस्में ज्यादा मजबूत हैं और इन गायों के दूध की बढ़ती मांग को देखते हुए सरकार ने गायों को किसानों को वितरित करने का फैसला किया है.
यह कदम महाराष्ट्र सरकार की गौ कल्याण नीति का एक हिस्सा है. जिसके तहत राज्य में पुराने और छोड़े गए जानवरों की देखभाल के लिए गोमांस वर्जित किया गया है और गैर-सरकारी संगठनों का चयन किया गया है.
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