कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने खेती में कीटनाशक के छिड़काव के लिए ड्रोन के होने वाले उपयोग को लेकर दिशा निर्दश जारी कर दिया है. उनका कहना है कि ड्रोन की इस्तेमाल केवल गेहूँ, कपास और मक्के के अलावा इस प्रकार की 10 फसलों में किया जा सकता है.
रिपोर्ट के अनुसार, ड्रोन के इस्तेमाल से खेतों में कीटनाशक का छिड़काव सही तौर पर किया जा सकता है. ऐसे में किसानों के स्वास्थ्य पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा और उनकी खेती का खर्च भी कम होता है.
तोमर का कहना है कि ड्रोन के इस्तेमाल से खेती मे काफी बदलाव आ गया है. इसके उपयोग से किसान कीटनाशका का छिड़काव खेतों में आराम से कर सकेंगे और उन्हे काफी ज्यादा वित्तीय लाभ भी हो सकेगा.
एग्रीकल्चर मेकानाइजेशन मिशन के अन्तर्गत, कृषि विज्ञान केंद्र, राज्य की कृषि विश्ववुद्यालय और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद मिलकर किसानों को ड्रोन की खरीद पर सौ प्रतिशत तक की वित्तीय मदद दे रहे हैं. यह मदद 10 लाख तक के ड्रोन के खरीद पर दी जा रही है.
किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को किसानों के खेतों पर प्रदर्शन के लिए ड्रोन की खरीद के लिए 75% की दर से सहायता अनुदान दिया जाता है. ड्रोन की खरीद के लिए किसानों की सहकारी समितियों, एफपीओ और ग्रामीण उद्यमियों को केंद्रीय भर्ती केंद्रों (सीएचसी) द्वारा ड्रोन की मूल लागत के 40% की दर से वित्तीय सहायता दी जाती है.
इसके पहले ही वर्ष 2021 में नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने ड्रोन के व्यावसायिक उपयोग के लिए आवश्यक नियम लागू किए थे. इसके बाद सरकार ने निजी कंपनियों द्वारा ड्रोन निर्माण को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई योजना शुरू करके ड्रोन नियमों के दायरे को उदार बना दिया था. पीएलआई तीन वित्तीय वर्षों में ड्रोन के खरीद पर 120 करोड़ रुपये की मदद प्रदान करता है.
उद्योग के अनुमान के मुताबिक, वर्तमान में कुल 1000 से अधिक ड्रोन का इस्तेमाल खेती के क्षेत्र में किया जा रहा है. आने वाले अगले कुछ दिनों में यह संख्य 3000 तक पहुंच जाएगी.
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