धान के उत्पादन के क्षेत्र में कई बड़े प्रयोग हुए हैं. इनमें उन्नत प्रभेद के बीज व खाद का इस्तेमाल भी शामिल है. इनके जरिए किसान अच्छी उपज हासिल कर रहे हैं. बाजार में धान की कई किस्म के हाइब्रिड बीज उपलब्ध हैं. इसके इस्तेमाल से किसान कम लागत व कम समय में अधिक लाभ पा सकते हैं.
प्रगतिशील और जागरूक किसान ऐसे बीजों के विक्रय केंद्रों के नियमित संपर्क में हैं और हाइब्रिड बीजों की नई-नई किस्मों के बारे में जानकारी हासिल कर रहे हैं. ऐसे ही बीजों के बारे में आपको बता रहे हैं कृषि जागरण के पत्रकार संदीप कुमार -
सुरूचि रफ्तार (Suruchi Raftar)
उपयोग: यह धान के लिए सबसे अच्छे किस्म का बीज माना जाता है जो पूरी तरह से हाइब्रिड बीज है. इस बीज से खेती करने पर कम अवधि में अधिक उत्पादन होता है. इसके बीज का उपयोग करने पर 100-105 दिनों में धान की फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है जिसमें पौधे की ऊंचाई 90-95 सेंटीमीटर तक होती है. इसे पानी की कम जरूरत होती है. इसकी खास बात यह है कि सभी तरह की मिट्टी में इसका उपयोग किया जा सकता है. इसके प्रति एकड़ बीज की खपत छः किलोग्राम है जबकि उत्पादन की क्षमता लगभग 22 क्विंटल है. इसमें रोग व कीट प्रतिरोध की क्षमता अधिक रहती है और यह पुलाव के लिए अच्छा होता है. चावल का दाना लंबा व पतला होता है. कम अवधि में फसल तैयार हो जाने से खेत में दूसरी अन्य फसल की खेती की जा सकती है जैसे - मटर, सब्जी, आलू, तंबाकू आदि की खेती की जा सकती है. साथ ही ऊंची जमीन पर सेम बीज से खेती कर धान की फसल उगाई जा सकती है.
बुवाई का समय: खरीफ फसल मई प्रथम सप्ताह से जुलाई के अंत तक हो सकती है. वहीं रबी फसल नवंबर के प्रथम सप्ताह से दिसंबर के दूसरे सप्ताह तक होती है. जबकि रोपाई के बाद 20-25 दिनों के अंदर पौधे आने शुरू हो जाते हैं. अधिक समय तक जल भराव वाले खेत में इस बीज का उपयोग करें तो बेहतर होगा.
सुरूचि 5556 उपज (Suruchi 5556 Upaj)
उपयोग: यह धान के लिए सबसे उत्तम किस्म का बीज माना जाता है. यह पूरी तरह से हाइब्रिड बीज है. इसके बीज का उपयोग करने पर कम से कम 115-120 दिनों में फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है. इसमें पौधे की ऊंचाई 100-105 सेंटीमीटर तक होती है. इसमें रोग व कीट प्रतिरोध की क्षमता अधिक होती है. कम पानी में भी इसका अधिक उत्पादन होता है. कम समय में फसल तैयार हो जाने से खेत में अन्य फसल भी ली जा सकती है जैसे - आलू, लाही या सरसों, चना, मटर, सब्जी व तम्बाकू. इसका चावल हल्का सुगंधित, स्वादिष्ट एवं चिपचिपाहट रहित होता है. इसके दाने का आकार मध्यम होता है.
बुवाई का समय: खरीफ फसल मई प्रथम सप्ताह से जुलाई के अंत तक होती है. वहीं रबी फसल नवंबर के प्रथम सप्ताह से दिसंबर के दूसरे सप्ताह तक की जा सकती है जबकि रोपाई के बाद 20-25 दिनों के अंदर पौधे आने शुरू हो जाते हैं.
सुरूचि एमआरपी 5407 (Suruchi MRP 5407)
उपयोग: इस बीज का उपयोग करने पर 130-135 दिनों में फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है. एक एकड़ में छः किलोग्राम की खपत है जबकि उत्पादन की क्षमता 30 क्विंटल होती है. इसमें पौधे की ऊंचाई 90-95 सेंटीमीटर तक होती है. इसका चावल सुगंधित, चिपचिपा रहित और खाने में स्वादिष्ट होता है. उत्पादन अधिक होने के साथ ही दाना लंबा, मोटा व पकाने में उत्तम होता है. इसमें रोग व कीट प्रतिरोध की क्षमता ज्यादा होती है.
बुवाई का समय: मई प्रथम सप्ताह से जुलाई के अंत तक हो सकती है. वहीं रबी फसल नवंबर प्रथम सप्ताह से दिसंबर के दूसरे सप्ताह तक होती है. रोपाई के बाद 20-25 दिन तक पौध आनी शुरू हो जाती है.
सुरूचि एमआरपी 5632 (Suruchi MRP 5632)
उपयोग: इसके दाने का आकार मध्यम होता है. यह फसल कम से कम 100 दिनों में कटाई के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाती है. पौधे की ऊंचाई 90-95 सेंटीमीटर तक होती है. इसका चावल सुगंधित चिपचिपा रहित व खाने में स्वादिष्ट होता है. यह कम अवधि वाला हाइब्रिड है. यह ऊंची जमीन में बुवाई के लिए उपयुक्त माना जाता है. कम ही समय में फसल के तैयार हो जाने से खेत में दूसरी खेती की जा सकती है जैसे - लाही, मटर व सब्जी. किसान यदि इस हाइब्रिड से खेती करें तो प्रति एकड़ बीज की छः किलोग्राम खपत होती है. इसमें रोग व कीट प्रतिरोध की क्षमता अधिक होती है.
बुवाई का समय: मई प्रथम सप्ताह से जुलाई 15 तक होती है. वहीं रबी फसल नवंबर के प्रथम सप्ताह से लेकर दिसंबर के दूसरे सप्ताह तक होती है. रोपाई 20-25 दिन तक के बाद पौध आनी शुरू हो जाती है.
महिको हाइब्रिड सीड्स कंपनी लिमिटेड के रीजनल बिजनेस मैनेजर चंदन कुमार ने कहा कि यह भारत की सबसे पुरानी कंपनी है. हाइब्रिड बीज बनाकर पहली बार यह कंपनी बाजार में लेकर आई है. गेहूँ का हाइब्रिड बनाने वाली विश्व की यह पहली हाइब्रिड कंपनी है. उन्होंने कहा कि पूरे भारत में हाइब्रिड बीज की मांग है. यह कंपनी 50 वर्षों से किसानों की सेवा में लगी है.
उन्होंने कहा कि हाइब्रिड से यदि किसान धान की खेती करते हैं तो मुनाफे के साथ उनकी लागत व समय दोनों कम लगते हैं. इन किस्मों से फसल की पैदावार भी अच्छी होगी. फसल को रोग व कीट से कम नुकसान उठाना पड़ेगा. यही नहीं कम से कम कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल करना होगा. कम पानी में भी पैदावार अधिक होगी. हाइब्रिड से संबंधित अधिक जानकारी के लिए इस नंबर पर संपर्क कर सकते हैं -
चंदन कुमार (रीजनल बिजनेस मैनेजर)
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