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भारत को समझने के लिए यहां की कृषि को समझें: जर्मन राजदूत डॉ. फिलिप एकरमैन

आज केजे चौपाल में जर्मनी के राजदूत डॉ. फिलिप एकरमैन ने शिरकत की. जहां उन्होंने कहा कि अगर भारत को समझना है, तो सबसे पहले इसकी कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका को समझें. साथ ही उन्होंने कृषि क्षेत्र में अवसरों और चुनौतियों पर प्रकाश डाला-

KJ Staff
भारत में जर्मनी के राजदूत डॉ. फिलिप एकरमैन, फोटो साभार: कृषि जागरण
भारत में जर्मनी के राजदूत डॉ. फिलिप एकरमैन, फोटो साभार: कृषि जागरण

भारत में जर्मनी के राजदूत डॉ. फिलिप एकरमैन ने जर्मन दूतावास के प्रवक्ता कैस्पर मेयर के साथ 24 जुलाई, 2024 को नई दिल्ली में स्थिति कृषि जागरण के हेड ऑफिस का दौरा किया. जहां उन्होंने कृषि जागरण की टीम के साथ बातचीत की. केजे चौपाल में डॉ. फिलिप एकरमैन ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत को सही मायने में समझने के लिए, हमें इसकी कृषि को समझना होगा, जो आधी आबादी को रोजगार देती है और जिसका गहरा भावनात्मक और सांस्कृतिक महत्व है. उन्होंने कहा कि कृषि अवसर और चुनौतियां दोनों प्रस्तुत करती है, लेकिन यह भारत की पहचान और सामाजिक ताने-बाने का अभिन्न अंग है.

डॉ. एकरमैन और कैस्पर मेयर का कृषि जागरण और एग्रीकल्चर वर्ल्ड के संस्थापक और प्रधान संपादक एमसी डोमिनिक और कृषि जागरण के प्रबंध निदेशक शाइनी डोमिनिक ने स्वागत किया. केजे चौपाल में कृषि जागरण की शुरुआत से लेकर अब तक की यात्रा को एक वीडियों के माध्यम से दर्शाया गया.

कृषि जागरण और एग्रीकल्चर वर्ल्ड के संस्थापक और प्रधान संपादक एमसी डोमिनिक
कृषि जागरण और एग्रीकल्चर वर्ल्ड के संस्थापक और प्रधान संपादक एमसी डोमिनिक

भारत को समझने के लिए यहां की कृषि को समझना होगा

केजे चौपाल में अपने संबोधन में डॉ. एकरमैन ने कहा, "यदि आप भारत को समझना चाहते हैं, तो इसकी कृषि को समझें. भारत की पचास प्रतिशत आबादी कृषि क्षेत्र में लगी हुई है, जो कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका और इसके भावनात्मक महत्व को दर्शाता है. यह केवल एक व्यवसाय नहीं है. यह सामाजिक ताने-बाने का एक हिस्सा है, जिसमें किसान अपनी ज़मीन से गहराई से जुड़े होते हैं."

डॉ. एकरमैन ने भारत और जर्मनी के कृषि परिदृश्यों की तुलना करते हुए कहा कि जर्मनी की केवल 2% आबादी ही कृषि में लगी हुई है, लेकिन इस क्षेत्र का महत्वपूर्ण प्रभाव है और उच्च दक्षता के लिए उन्नत तकनीक का लाभ उठाता है. उन्होंने उत्तरी और दक्षिणी जर्मनी के बीच भूमि उत्तराधिकार कानूनों में अंतर पर प्रकाश डाला और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक जर्मन उपभोक्ताओं द्वारा संचालित जैविक खेती के उदय पर चर्चा की.

राजदूत ने आंध्र प्रदेश में सफल जैविक खेती परियोजना और जर्मन बाजार में भारतीय आम, अदरक और मसालों की बढ़ती लोकप्रियता का हवाला देते हुए जर्मनी में भारतीय कृषि उत्पादों की संभावनाओं पर जोर दिया. उन्होंने उत्तर प्रदेश के दशहरी और चौसा आमों की सराहना की.

डॉ. एकरमैन ने प्राकृतिक और टिकाऊ खेती के तरीकों को बढ़ावा देने के लिए हरित और सतत विकास भागीदारी (जीएसडीपी) के तहत चल रहे प्रयासों पर भी चर्चा की. उन्होंने पंजाब में कृषि पराली को ऊर्जा में बदलने पर काम कर रही जर्मन कंपनी वर्बियो का जिक्र किया, जो किसानों को लाभ पहुंचाने वाले टिकाऊ पराली प्रबंधन का मॉडल पेश कर रही है.

कृषि जागरण की टीम और भारत में जर्मनी के राजदूत डॉ. फिलिप एकरमैन एवं जर्मन दूतावास के प्रवक्ता कैस्पर मेयर
कृषि जागरण की टीम और भारत में जर्मनी के राजदूत डॉ. फिलिप एकरमैन एवं जर्मन दूतावास के प्रवक्ता कैस्पर मेयर

डॉ. फिलिप एकरमैन ने कृषक समुदाय के प्रति समर्पण के लिए कृषि जागरण की सराहना की, कृषि के सकारात्मक और गतिशील पहलुओं को उजागर करने के इसके प्रयासों की सराहना की और कृषक समुदाय को सशक्त बनाने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया.

इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम का समापन धन्यवाद प्रस्ताव तथा इस अवसर को यादगार बनाने के लिए एक समूह फोटोग्राफ के साथ हुआ.

English Summary: German Ambassador Dr Philip Ackermann said in KJ Chaupal that to understand India understand agriculture here latest news Published on: 24 July 2024, 03:56 PM IST

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