जैसे-जैसे दीवाली का पर्व करीब आता जा रहा है वैसे ही हाइब्रिड गेंदे की फूल की खेती किसानों के लिए काफी नुकसानदय साबित होने लगी है. दरअसल इस बार मध्य प्रदेश में चुनावों के चलते आचार संहिता लगने और पर्याप्त अनुदान राशि ना मिल पाने के कारण फूल बेचने वाले किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसानों को इस बात का डर सता रहा है कि त्यौहारी सीज़न में फूलों के दामों में रिकॉर्ड बढ़ोंतरी होने की उम्मीद है. इसके अलावा फूलों की बिक्री के लिए नवंबर का महीना काफी ज्यादा उपयुक्त माना जा रहा है.
पिछली बार से कम मिल रहे दाम
फूलों की खेती करने वाले कृषक हरकिया निवाली अनिल कौल ने बताया कि वह हमेशा ही फूलों की खेती करने का कार्य करते हैं और नीमच के फब्बारा चौक पर फूलों की दुकान है. अधिकांश बाजार में गेंदे का फूल बिक रहा है. उनका कहना है कि सीजन के दौरान गत वर्ष गेंदा 40 से 50 रूपये किलों में बिक रहा था, लेकिन इस बार सबसे ज्यादा हालात खराब हो गए है. इस बार इनके दाम 8 से 10 रूपये किलों तक ही मिल रहे हैं. इसका कारण यह भी है कि लोगों ने पिछली बार ज्यादा उत्पादन देखकर इस बार खुद ज्यादा फूल बोया है लेकिन इसका प्रभाव उल्टा पड़ा है और फूल उत्पादन करने वाले किसानों के लाले पड़ गए है.
लाभ कम लागत अधिक
कृषक हरिराम बताते हैं कि फूलों की खेती में एक बीघा में 20 हजार की दवाई, 6 हजार के बीज, तीन बार निंदाई के 12 हजार रूपए और 5 हजार रूपये की खाद लगती है. इसी प्रकार से 45 से 50 हजार प्रत्येक बीघा पर खर्च आता है. किसान का कहना है कि पिछली बार तो दाम काफी ज्यादा अच्छे थे लेकिन इस बार काफी ज्यादा मुसीबातों का सामना करना पड़ रहा है. इसके अलावा चुनावी आचार संहिता के चलते अनुदान ना मिल पाने के कारण भी काफी ज्यादा हानि को उठाना पड़ रहा है.
किशन अग्रवाल, कृषि जागरण
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