आज के इस आधुनिक समय में किसानों को उनका खुद का रोजगार शुरू करने पर सरकार के द्वारा अधिक जोर दिया जा रहा है. देखा जाए तो हमारे देश में ज्यादातर किसान पशुपालन व खेती-बाड़ी में आत्मनिर्भर बनते जा रहे हैं. अधिकतर किसान मछली पालन (Fish farming) में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं.
मिली जानकारी के मुताबिक, झारखंड मछली उत्पादन में आत्मनिर्भर बन रहा है. इस काम के लिए सरकार की तरफ से किसानों व पशुपालकों का भरपूर सहयोग किया जा रहा है. जानकारी के लिए बता दें कि किसानों को मछली पालने के लिए उन्नत तकनीकों के द्वारा प्रशिक्षण की सुविधा भी उपलब्ध करवाई जा रही है.
किसान प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (Kisan Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana)
झारखंड सरकार किसान प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से राज्य के किसान की मदद करने में जुटी हुई है. इसी के तहत रांची के शालीमार स्थित मत्स्य प्रशिक्षण केंद्र में 5 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरूआत की गई है.
बताया जा रहा है कि इस प्रशिक्षण में देश के अलग-अलग राज्य के किसान शामिल होकर लाभ उठा रहे हैं. जब किसानों को पूरी तरह से बायोफ्लॉक और आरएएस तकनीक का प्रशिक्षण मिल जाएगा, उसके बाद उन्हें आसानी से किसान प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से जोड़कर मछली पालन का लाभ दिया जाएगा.
आपको बता दें कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत मत्स्य विभाग के संयुक्त निदेशक मनोज कुमार ने किया है.
मछली उत्पादन से किसानों को मिलेगा डबल लाभ
प्रशिक्षण मिलने के बाद और सरकार की योजना में जुड़ने से किसान भाई कम पानी में भी अधिक मात्रा में मछली का उत्पादन कर सकते हैं. बायोफ्लॉक और रिसर्कुलेटरी एक्वा कल्चर सिस्टम (आर ए एस) मछली पालन की एक नई तकनीक है, जो किसानों को सिखाई जा रही है. इसकी मदद से कम जगह में और कम पानी में मछली पालन किया जा सकता है. इस तकनीक की मदद से युवाओं को नए रोजगार के अवसर मिलेंगे.
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मछली की सभी प्रजातियों का पालन
झारखंड के मत्स्य प्रशिक्षण केंद्र (Fisheries Training Center) में चलाए जा रहे पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में मत्स्य किसानों को नई आधुनिक तकनीक को पहुंचाने के लिए बॉयोफ्लकॉक और आरएएस का प्रशिक्षण दिया जाएगा. इसमें सिखाई गई तकनीक की मदद से किसान सरलता से मछली की लगभग सभी प्रजातियों का पालन कर पाएंगे.
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