अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति का किसान ऋणमुक्ति बिल 3 अगस्त को संसद में पेश किया गया. लोक सभा में एआईकेएससीसी के नेता व सांसद राजू शेट्टी ने इन किसान मुक्ति बिलों (कर्ज मुक्ति बिल व लाभकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी अधिनियम) को लोकसभा में पेश किया. लोकसभा में जब इस ऐतिहासिक बिल को पेश किया गया तब उस दौरान दिल्ली के आस पास के ग्रामीण इलाकों की महिला किसान और किसान पृष्टभूमि से आने वाले छात्र- छात्राओं ने भी लोक सभा में मौजूद रहकर सदन की कार्यवाही को देखा. लोकसभा की कार्यवाही देखने वाली महिला किसानों और छात्र-छात्राओं ने बताया कि वह देखना चाहते थे कि सरकार और विपक्ष कृषि संकट और उनके दुर्दशा को लेकर कितनी गंभीर है.
ज्ञात हो कि एआईकेएससीसी द्वारा लाए गये इस बिल को मुख्य विपक्षी कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों के साथ-साथ सरकार की सहयोगी शिवसेना ने भी समर्थन किया है. कुल मिलाकर 21 राजनैतिक पार्टियों द्वारा इस बिल को समर्थन दिया गया है जिससे किसान आंदोलन की अपेक्षा और बढ़ गई है. देश के किसान काफी समय से अपनी जायज मांगो को लेकर आंदोलनरत हैं. 6 जून की मंदसौर गोलीकांड की घटना के बाद देशभर के लगभग दौ सौ किसान संगठनों ने एआईकेएससीसी के बैनर तले एकत्रित हुए. जिसके तहत देशभर में किसानों के बीच उनके साथ यात्रायें कर उनकी समस्याओं और उसके समाधान को लेकर ड्राफ्ट तैयार किया गया. एआईकेएससीसी ने पिछले वर्ष किसान ऋणमुक्ति संसद का आयोजन किया था जहां किसान संगठनों ने "खुशहाली के दो आयाम, ऋणमुक्ति और फसल का मिले पूरा दाम" का नारा दिया था. सालभर आंदोलनरत किसानों ने पिछले महीने 20 जुलाई को अविश्वास प्रस्ताव वाले दिन संसद का घेरावकर सरकार के खिलाफ अपना अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था. वास्तव में यह बिल इसी तारीख को लोकसभा में पेश किया जाना था परंतु अविश्वास प्रस्ताव की वजह से यह पेश नहीं हुआ. इसी परिप्रेक्ष्य में आज यह बिल लोकसभा में पेश किया गया.
एआर्ईकेएससीसी सदस्य सांसद राजू शेट्टी ने कहा कि आज देश का किसान परेशान और अपने वाजिब अधिकारों से वंचित है. सरकार किसानों की बात सुनने के बजाय उनके साथ खिलवाड़ कर रही है. किसानों के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए हम लोकसभा में यह बिल प्राइवेट मेम्बर बिल के तौर पर लेकर आये. एआईकेएससीसी संयोजक वीएम सिंह ने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है,किसानों के अधिकारों को लेकर पहली बार कोई बिल संसद में पेश हुआ. वहीं एआईकेएससीसी के वर्किंग ग्रुप के सदस्य व किसान नेता योगेन्द्र यादव ने इस बिल को किसान आंदोलन के लिए मील का पत्थर बताया,उन्होनें कहा कि महिला किसानों और छात्र-छात्राओं के माध्यम से आज सदन की कार्यवाही को पूरा देश देख रहा है. इसलिए देश के अन्नदाता के हितों को देखते हुए सभी सांसदो को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर इस बिल को सर्वसम्मति से पारित करवाना चाहिए. आज किसानों के साथ खड़ा होकर उनके पास देश में एक संदेश देने का अवसर है कि देश की संसद अन्नदाताओं के साथ है.
सोर्स-- मीडिया सेल,
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति
जिम्मी (पत्रकार कृषि जागरण)
Share your comments