अगर आपने हॉलीवुड फिल्म मार्शियन देखी होगी, तो आपको याद होगा कि बिना ऑक्सीजन और पानी वाले मंगल ग्रह पर एक वैज्ञानिक अपनी भूख मिटाने के लिए कैसे आलुओं की खेती करता है? खैर वो तो फिल्म थी, लेकिन इस बार चाइना इस घटना को सच करने जा है। इसके लिए चाइना मंगल पर खेती करने का प्लान बना रहा है।
खबर है कि चीन इसी साल यानि 2018 में अपने पहले जैविक अनुसंधान मिशन के तहत चांग ई-4 लूनर यान के को चांद पर भेजेगा। इसके जरिए चीन वहां आलू, कुछ फूलों के बीज और रेशम कीट के अंडाणुओं को भेजने की योजना बना रहा है। रिपोर्ट्स की मानें तो इस रिसर्च का उद्देश्य है चांद के वातावरण में नयी संभावनाओं को तलाशना। आलू और अरबीडोफिसिस फूल के बीजों और रेशम के कीटों के अंडाणुओं के साथ इसकी शुरूआत हो रही है।
जानकारी के मुताबिक दक्षिण पश्चिमी चीन की चांगकिंग यूनीवर्सिटी के नेतृत्व में ये योजना मुख्य रूप से करीब 28 चीनी विश्विद्यालयों ने मिल कर तैयार की है। ‘लूनर मिनी बॉयोस्फेयर’ नाम के इस मिशन में दुनिया के कुछ और देशों जैसे नीदरलैंड्स, स्वीडन, जर्मनी और सऊदी अरब के साइंटिफिक पेलोड्स को भी इस यान से भेजा जायेगा। चीन की योजना है कि एक बेलनाकार टिन के बॉक्स में फूल, आलू और अन्य चीजें चांद पर भेजी जाएंगी। टिन का यह बेलनाकार बॉक्स करीब 18 सेंटीमीटर लंबा है। यह बॉक्स एक खास तरह के ऐल्यूमिनियम एलॉय से बना होगा, ताकि चांद के वातावरण का इसमें मौजूद चीजों पर कोई प्रभाव न पड़े।
चीन के इस लूनर प्रोजेक्ट के अंतर्गत उस डिब्बे में पानी, पौधों के लिए जरूरी पोषक पदार्थ, हवा, एक छोटा सा कैमरा और डेटा ट्रांसमिशन सिस्टम भी भेजा जाएगा। इस स्पेस प्रोजेक्ट से जुड़े वैज्ञानिकों का मानना है कि ये बीज चांद पर विकसित हो सकेंगे। इन चीजों को उगाने के लिए चीन चांद के अंधेरे हिस्से का इस्तेमाल करेगा। उनकी योजना इस पूरी प्रक्रिया को कैमरे में कैद कर धरती पर भेजने की भी है। बता दें कि स्पेस में फसल उगाने के नाम पर इससे पहले इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन यानि ISS पर पौधे उगाने का काम पहले भी हो चुका है, लेकिन चांद फसल उगाने के नाम पर यह चाइना ही नही बल्कि दुनिया का पहला प्रयास होगा।
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