इन दिनों कृषि और किसानों से जुड़े बिलों (Agriculture Bill 2020) को लेकर विरोध प्रदर्शन की गूंज संसद से सड़क तक सुनाई दे रही है. हरियाणा, पंजाब समेत देशभर के किसान इन विधेयकों के खिलाफ प्रदर्शन (Farmers Protest) कर रहे हैं. एक तरफ केंद्र सरकार का कहना है कि ये बिल किसानों के हित के लिए हैं. इनके जरिए किसानों की आमदनी बढ़ पाएगी. मगर दूसरी तरफ कृषि बिल के खिलाफ किसानों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है. पीएम मोदी किसानों से अपील कर रहें हैं कि इन बिलों से उन्हीं का फायदा होने वाला है. मगर किसान प्रदर्शन करके लगातार बिल को वापसी को लेकर दबाव बना रहे हैं.
कृषि बिल लोकसभा और राज्यसभा में हुए पास
कृषि बिल भारी हंगामे के बीच लोकसभा और राज्यसभा, दोनों से पास हो गए है. अब इन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा. इसके बाद यह कानून में बदल जाएगा और पूरे देशभर में लागू हो जाएगा. वहीं दूसरी तरफ विपक्ष चाहता है कि राष्ट्रपति इस बिल पर हस्ताक्षर न करें.
सड़क पर हैं किसान
पंजाब और हरियाणा में किसानों ने विभिन्न राजनीतिक और किसानों से जुड़े संगठनों के बैनर तले जगह जगह इन विधेयकों का विरोध करते हुए प्रदर्शन किए और सड़कों को जाम कर दिया। भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) की हरियाणा ईकाई ने कुछ अन्य किसान संगठनों के साथ तीन घंटे तक राज्यव्यापी प्रदर्शन किए। विपक्ष ने रविवार को राज्यसभा में हुए हंगामे के चलते सोमवार को आठ विपक्षी सदस्यों को निलंबित किए जाने को लेकर सरकार पर हमला बोला तथा इस कदम के विरोध में संसद भवन परिसर में प्रदर्शन किया।
25 सितंबर से शुरू होगा देशव्यापी प्रदर्शन
आने वाली 25 तारीख को देशभर के किसान इन कृषि बिलों के विरोध में सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करने वाले हैं. ऐसा माना जा रहा है कि जब तक कोई समझौता नहीं होगा, तब तक देशभर के किसान सड़कों पर रहेंगे. बता दें कि पिछले कुछ दिनों से किसानों के प्रदर्शन से हरियाणा में कई रोड जाम हो गए हैं.
30 सितंबर तक दिल्ली में प्रदर्शन की इजाजत नहीं
दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) द्वारा जारी आदेश का उल्लेख करते हुए पुलिस का कहना है कि कोरोना के चलते लोगों को 30 सितंबर तक शहर में प्रदर्शन की इजाजत नहीं दी जा सकती है.
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