किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने और मंडियों में उनके साथ होने वाली धोखाधड़ी को रोकने के लिए कड़े उपाय किये जा रहे हैं। ई-नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट (ईनाम) यानी ई-मंडियों में कारोबार करने के लिए आधार नंबर और बायोमीटिक का होना जरूरी किया जाएगा। ई-मंडियों में भी कमीशन एजेंटों की व्यवस्था को लेकर सवाल उठाए जाने लगे हैं। केंद्र सरकार जल्दी ही ई-मंडी चलाने वाले राज्यों को सलाह जारी करेगी ताकि किसान अपनी उपज की सीधे ऑनलाइन बिक्री कर सकें।
मंडी कानून में संशोधन करने को लेकर केंद्र सरकार पूरी तरह गंभीर है। इसमें राज्यों का सहयोग प्राप्त करने का प्रयास जारी है। किसानों के फर्जी नाम पर मंडियों में उपज की बिक्री पर लगाम लगाने के प्रावधान किये जा रहे हैं। इसके लिए इलेक्ट्रॉनिक तरीके अपनाए जा सकते हैं। मंडी में उपज बेचने वाले किसानों को अपना आधार नंबर और बायोमीटिक देना होगा, तभी उसके अनाज की बिक्री होगी सकेगी। देश की मंडियों को ई-मंडी में तब्दील किया जा चुका है, लेकिन ज्यादातर मंडियों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव होने से गड़बड़ियां लगातार हो रही हैं।
अधिकतर मंडियों में इंटरनेट जैसी प्राथमिक सुविधा न होने से उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है। ऑनलाइन कारोबार दिखाने के चक्कर में कई तरह के घपले भी किये जा रहे हैं। मंडियों में दिन भर होने वाले सामान्य कारोबार को शाम को कंप्यूटर में दर्ज कर उसे ऑनलाइन कारोबार के रूप दिखाया जा रहा है। ई-मंडियों में नीति आयोग की एक समिति की जांच में इस तरह के घपले पकड़े गये, जिसके बाद सरकार सख्त हुई है। अब आधार का प्रावधान किए जाने से अनाज बेचने आने वाले वास्तविक किसानों को जहां चिन्हित करने में मदद मिलेगी, वहीं खरीद करने वाले आढ़तियों और व्यापारियों का पता लगाया जा सकता है। कारोबार के वास्तविक समय का भी पता चल सकता है। ई-मंडियों में कारोबार को प्रभावित करना आसान नहीं रहेगा।
योजना में तेजी लाने की तैयारी
सरकार ने कहा है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को तेजी से लागू करने के लिए अगले महीने तक प्रोफेशनल्स की नई टीम तैनात की जाएगी। वर्ष 2018-19 में फसल बीमा के अधीन कृषि क्षेत्र बढ़ाकर 50 फीसद करने का लक्ष्य रखा गया है। योजना की कई दिक्कतें दूर करने के लिए कृषि मंत्रलय ने गाइडलाइन में बदलाव किया है। नई गाइडलाइन अगले पखवाड़े में जारी कर दी जाएगी। पोर्टल में भी नए फीचर जोड़े जा रहे हैं।
ई-मंडियों में भुगतान भीम एप के जरिये भी होगा
ई-मंडियों से ज्यादा से ज्यादा किसानों को जोड़ने के लिए भीम एप से भी भुगतान किया जा सकेगा। इस व्यवस्था से किसानों को जल्दी भुगतान मिलना सुनिश्चित होगा। अभी ई-मंडियों में बिक्री के बाद आरटीजीएस व एनईएफटी, डेबिट कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग से भुगतान की व्यवस्था लागू है। किसानों की सुविधा के लिए भीम एप कई क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध होगा।
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