महाराष्ट्र में चने की खेती बढ़े पैमाने पर होती है. यहां के किसानों की जीविका इसी पर निर्भर है. किसान चने की फसल से काफी अच्छी कमाई करते हैं. यही वजह है कि महाराष्ट्र में हर साल चने की खेती बड़े पैमाने पर होती है.
हर साल जनवरी के अंत में नेफ़ेड केंद्र पर किसानों की फसल का पंजीकरण किया जाता रहा है, लेकिन इस साल महाराष्ट्र में खरीदी केंद्र समय पर न खुलने के कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. ऐसे में किसान अपनी फसल को कम दाम में बेचने के लिए मजबूर हैं. किसानों ने नेफेड से गुहार लगाई है कि खरीदी केंद्र खोले जाएं ताकि वे सरकारी रेट पर अपनी उपज को बेच सकें.
महाराष्ट्र सरकार की ओर सें चना खरीदी केंद्र पर चने का मूल्य निर्धारित किया गया था और ऑनलाइन पंजीकरण के बाद चने की खरीदारी नेफेड द्वारा की जाती है. इस साल समय पर नेफ़ेड शुरू न होने के कारण किसानों की परेशानियां बढ़ गई हैं. किसान जो अपनी उपज को सरकारी केंद्रों में अच्छे दामों पर बेचना चाहते थे, अब तक नेफेड केंद्र शुरू नहीं होने के कारण बाजार में कम दाम में बेचने पर मजबूर हैं.
नेफेड का खरीद केंद्र नहीं खुलने से चना उत्पादन किसानों की परेशानियां बढ़ गई हैं. इस साल चने के बाजार और सरकारी भाव के बीच प्रति क्विंटल एक हजार रुपये का फर्क है. बाजार में चने का भाव 4200 रुपये क्विंटल चल रहा है. वहीं इसका सरकारी भाव 5335 रुपये निर्धारित किया गया है, लेकिन समय पर सरकारी केंद्र शुरू नहीं होने के कारण किसानों को अपनी फसल कम दाम में बेचनी पड़ रही है. किसान सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि जल्द से जल्द नेफेड केंद्र शुरू किया जाए. इसमें जितनी देरी होगी, किसानों को अपनी उपज का सही दाम लेने में उतनी परेशानी उठानी पड़ेगी.
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