कृषि विभाग, बिहार की ओर से सीआईआई (कन्फेडरेशन ऑफ इण्डियन इण्डस्ट्री) के सहयोग से पटना के गाँधी मैदान में एग्रो बिहार, 2018 चार दिवसीय राज्यस्तरीय कृषि यांत्रिकरण मेला का आयोजन किया जा रहा है। मेला का उद्घाटन उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी द्वारा कृषि मंत्री डॉ प्रेम कुमार कृषि की अध्यक्षता में किया गया।
उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि बिहार का मजदूर देश के अन्य राज्यों एवं दुनिया के अन्य देशों में जाकर वहाँ खेती कर उन प्रांतों को समृद् बना रहे हैं। बजट पूर्व किसानों के साथ हुई परिचर्चा में किसानों ने बताया कि मजदूर की समस्या आज खेती की सबसे बड़ी समस्या है। आने वाले 5-7 वर्षो में मजदूरों का संकट और गहराने वाला है। इसलिए खेती के लिए आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग किसानों के लिए एक मात्र विकल्प है। कृषि विभाग द्वारा कस्टम हायरिंग के माध्यम से कृषि यंत्र बैंकों के स्थापना का निर्णय लिया गया है, जिसमें अनुदान की राशि की व्यवस्था की गई है। भारत सरकार एवं बिहार सरकार द्वारा किसानों के हित में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए है। भारत सरकार द्वारा नीम-कोटेड यूरिया के उपयोग से विगत तीन वर्षो में यूरिया का संकट राज्य में कहीं नहीं हुआ है, काला बाजारी रूकी है, उत्पादन लागत में कमी आई है तथा किसानों के पैसों की बचत हुई है। बिहार सरकार द्वारा दिसम्बर, 2019 तक गाँव-गाँव में बिजली की व्यवस्था सुनिश्चित कराने के लिए दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण विद्युतीकरण योजना से कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है। दो साल के अंदर घर के लिए अलग फीडर तथा खेत के लिए अलग फीडर की व्यवस्था राज्य सरकार द्वारा की जायेगी।
उपमुख्यमंत्री ने प्रधान सचिव, कृषि को निदेश दिया कि सब्जी की खेती को बढ़ावा देने के लिए सब्जी की खेती में उपयोग होने वाले नई-नई यंत्रों का अध्ययन कर राज्य के किसानों को उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाये, क्योंकि राज्य सरकार द्वारा जैविक सब्जी प्रोत्साहन कार्यक्रम तथा जैविक कोरिडोर पर कार्य शुरू कर दिया गया है। भारत सरकार के ऑपरेशन ग्रीन का सबसे ज्यादा फायदा बिहार को ही मिलेगा क्योंकि राज्य भारत का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। ऑपरेशन ग्रीन के तहत राज्य में टमाटर, प्याज और आलू को प्रोत्साहित करने में मदद मिलेगी। बिहार सरकार ने दुग्ध कॉपरेटिव के तरह ही सब्जी कॉपरेटिव पर काम कर रही है, जिसमें प्रथम चरण में वैशाली, समस्तीपुर, पटना, नालन्दा तथा बेगुसराय के 83 प्राथमिक सहकारी समितियों के माध्यम से सब्जी के भण्डारण, प्रसंस्करण तथा बाजार उपलब्ध कराया जायेगा।
उन्होंने बताया कि तृतीय कृषि रोड मैप में लघु एवं सीमांत कृषकों, महिला कृषकों के लिए यंत्र की व्यवस्था तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति या आर्थिक दृष्टिकोण से गरीब कृषकों हेतु कस्टम हायरिंग योजनान्तर्गत मशीन क्रय करने का प्रावधान किया गया है। धान एवं मक्का फसल के लिए भी यंत्र का व्यवस्था किया गया है। कृषि यांत्रिकरण योजना के लिए पाँच वर्षो में कृषि रोड मैप के अधीन कुल 135154 करोड़ रुपये व्यय करने का लक्ष्य रखा गया है।
डॉ प्रेम कुमार ने कहा कि बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है, जिसकी अधिकांश जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। आधुनिक कृषि में कृषि यंत्रों का महत्वपूर्ण योगदान है। अत्याधुनिक कृषि यंत्रों को व्यवहार मे लाये जाने से सभी श्रेणी के किसान ससमय शष्य क्रियाओं को सम्पादित करने में सक्षम हुये हैं। कृषकों को सभी प्रकार के फसलो के उत्पादन दर में वृद्धि लाने के लिए कृषि यंत्रों पर अनुदान दिये जाने के फलस्वरूप उत्पादन लागत में काफी कमी आई है तथा उत्पाद के गुणवत्ता में वृद्धि हुई है। राज्य में कृषि यांत्रिकरण को बढ़ावा देने के लिए गुणवतायुक्त आधुनिक कृषि यंत्रों पर अनुदान दिया जा रहा है। इसके परिणाम स्वरूप आधुनिक कृषि यंत्रों जैसे कम्बाईन हार्वेस्टर, स्ट्रा रीपर, स्ट्रा वेलर, पावर वीडर, लेजर लैण्ड लेवलर, जीरो टिलेज, पावर टीलर, रोटावेटर, रीपर कम बाईन्डर, मिनी राईस मिल, बिजली, डीजल, पेट्रोल चालित पम्पसेट, चारा काटने की मशीन, जंगली जानवर भगाने वाले वायोएकॉस्टिक उपकरण इत्यादि के उपयोग से गुणात्मक रूप से उत्पादन में वृद्धि हुई है। राज्य में कृषि के समुचित विकास हेतु कृषि यांत्रिकरण कार्यक्रम को और प्रोत्साहित किये जाने की आवश्यकता है।
उन्होंने ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा कृषि यांत्रिकरण योजनान्तर्गत वर्ष 2017-18 में कुल 71 प्रकार के विभिन्न कृषि यंत्रों पर अनुदान दिया जा रहा है। कृषि विभाग द्वारा वर्ष 2014-15 में यांत्रिकरण सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है, जिसके माध्यम से राज्य के कृषक अपनी सुविधानुसार, कहीं से भी ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। अब तक इस वित्तीय वर्ष में दो लाख से अधिक ऑनलाइन आवेदन प्राप्त हो चुके हैं। उक्त आवेदनों को विभिन्न स्तर पर ऑनलाइन सत्यापन कर, अब तक 120 लाख से अधिक स्वीकृति पत्र निर्गत किये जा चुके हैं तथा कृषकों के बीच लगभग 58 करोड़ रूपये का अनुदान दिया जा चुका है तथा अनुदान की राशि डीबीटी के माध्यम से सीधे लाभुक कृषक के बैंक खाते में हस्तांतरित की जा रही है।
डॉ कुमार ने कहा कि सरकार द्वारा समूह में कस्टम हायरिंग केन्द्र स्थापित करने के लिए योजना चलाई जा रही है, जिसके अन्तर्गत 10 लाख, 25 लाख एवं 40 लाख रूपये की लागत से 40 प्रतिशत अनुदान पर राज्य में कृषि यंत्र बैंक स्थापित किये जा रहे है। इसके अलावा 80 लाख की लागत वाले दो हाईटेक हब तथा चयनित ग्राम में 80 प्रतिशत अनुदान वाले 10 लाख की लागत तक कृषि यंत्र बैंक स्थापित किये जाने का लक्ष्य है।
इस अवसर पर कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि कृषि प्रधान राज्य बिहार की अधिकांश जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। आधुनिक कृषि में कृषि यंत्रों का महत्वपूर्ण योगदान है। अत्याधुनिक कृषि यंत्रों को व्यवहार मे लाये जाने से सभी श्रेणी के किसान ससमय शष्य क्रियाओं को सम्पादित करने में सक्षम हुये हैं। कृषकों को सभी प्रकार के फसलो के उत्पादन दर में वृद्धि लाने हेतु कृषि यंत्रों पर अनुदान दिये जाने के फलस्वरूप उत्पादन लागत में काफी कमी आई है तथा उत्पाद के गुणवत्ता में वृद्धि हुई है। राज्य में कृषि यांत्रिकरण को बढ़ावा देने के लिए गुणवतायुक्त आधुनिक कृषि यंत्रों पर अनुदान दिया जा रहा है। इसके परिणाम स्वरूप आधुनिक कृषि यंत्रों जैसे कम्बाईन हार्वेस्टर, स्ट्रा रीपर, स्ट्रा वेलर, पावर वीडर, लेजर लैण्ड लेवलर, जीरो टिलेज, पावर टीलर, रोटावेटर, रीपर कम बाईन्डर, मिनी राईस मिल, बिजली, डीजल, पेट्रोल चालित पम्पसेट, चारा काटने की मशीन इत्यादि के उपयोग से गुणात्मक रूप से उत्पादन में वृद्धि हुई है। राज्य में कृषि के समुचित विकास के लिए कृषि यांत्रिकरण कार्यक्रम को और प्रोत्साहित किये जाने की आवश्यकता है।
प्रधान सचिव सुधीर कुमार ने कहा कि कृषि यांत्रिकरण को बढ़ावा देने के लिए सीआईआई के साथ लगातार 8वां वर्ष पूर्वी भारत का सबसे बड़ा यांत्रिकरण मेला विभाग के द्वारा लगाया जा रहा है। इस तरह के मेले के आयोजन से राज्य के जोत के हिसाब से कृषि यंत्रों को प्रदर्शित करने तथा फसलों के उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए नये-नये यंत्रों से राज्य के किसानों को अवगत कराया जाता है। विभाग द्वारा किसानों को यंत्रों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए राज्य के सभी जिलों, अनुमंडलों तथा राज्य स्तर पर कृषि यांत्रिकरण मेला का आयोजन किया जाता है। राज्य में 1.94 किलोवाट प्रति हेक्टेयर फार्म पावर उपलब्धता है, जबकि राष्ट्रीय औसत 2.05 किलोवाट प्रति हेक्टेयर है। इस वर्ष मोबाईल कोल्ड स्टोरेज, जो सोलर प्लेट से चलेगा एवं क्षमता 5 टन है। यह ताजे फल, सब्जी, फूल को अधिक समय तक संरक्षित रखेगा जो छोटे किसानों की आमदनी बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगी, को विशेष रूप से प्रदर्शित किया जा रहा है। कृषि यांत्रिकरण में ऑनलाईन आवेदन के प्रक्रिया के तर्ज पर ही विभाग अन्य योजनाओं विशेषकर डीजल अनुदान, जैविक सब्जी प्रोत्साहन योजना में डीबीटी लागू करने के लिए प्रयास कर रहा है।
इस कार्यक्रम में सुनिल कुमार सिंह, कृषि उत्पादन आयुक्त, बिहार विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थे। इस अवसर पर सीता साहू, मेयर, पटना, प्रधान सचिव, कृषि विभाग सुधीर कुमार, एस के मजुमदार, मुख्य महाप्रबंधक, नाबार्ड, पटना, हिमांशु कुमार राय, कृषि निदेशक, अरविन्दर सिंह, निदेषक उद्यान, श्रीमती अंजू देवी, अध्यक्ष, जिला परिषद्, पटना, श्रीमती नीता करमाकर, क्षेत्रीय निदेशक, पूर्वी एवं उार पूर्वी परिषद, सीआईआई, प्रभात कुमार सिन्हा, अध्यक्ष, सीआईआई, बिहार स्टेट काउंसिल सहित विभागीय अन्य पदाधिकारी एवं सीआईआई के पदाधिकारीगण उपस्थित थे।
एग्रो बिहार 2018 का मुख्य आकर्षण
-लगभग 3 लाख वर्ग फीट क्षेत्र में लगने वाले इस मेले में 100 से अधिक स्टॉल लगाये गये हैं।
-इस प्रदर्शनी में बिहार के अलावे दिल्ली, हरियाणा, गुजरात, छतीसगढ़, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, राजस्थान, पंजाब, गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों के कृषि यंत्र निर्माता भाग ले रहे हैं।
- इस प्रदर्शनी में मोबाईल कोल्ड स्टोरेज का भी स्टॉल किसान बंधु देख पायेंगे जो सोलर प्लेट से चलेगा एवं क्षमता 5 टन है। यह ताजे फल, सब्जी, फूल को अधिक समय तक संरक्षित रखेगा जो छोटे किसानों की आमदनी बढ़ाने में सहायक सिद्घ होगी।
-प्रत्येक दिन किसान पाठशाला में किसानों को बुआई से कटाई तक के नवीनतम कृषि यंत्र, शक्ति चालित कृषि यंत्र, छोटे-छोटे कृषि यंत्र, संसाधन संरक्षण तकनीक में कृषि यंत्रों की उपयोगिता, प्रसंस्करण एवं भैल्यू एडिशन से संबंधित कृषि यंत्र, सूक्ष्म एवं ड्रिप सिंचाई यंत्र, खरपतवार नियंत्रक व निकाई-गुराई संबंधित यंत्र तथा कृषि यंत्रों की कार्य क्षमता बढ़ाने के लिए कल-पूर्जों के रख-रखाव एवं अन्य संबंधित विषयों पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
- किसान पाठशाला में राज्य के सभी जिलों से 600 किसानों को प्रतिदिन आत्मा के माध्यम से सरकारी खर्चे पर लाने की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही राज्य के सभी जिलों से लगभग 1,000 कृषि यंत्र व्यावसायियों के भाग लेने की संभावना है।
- कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण मंत्रलय, भारत सरकार के वरिष्ठ पदाधिकारी एवं कृषि मशीनरी परीक्षण केन्द्र (हिसार, बुद्घनी, बीकानेर) के वैज्ञानिकगण भी भाग ले रहे हैं।
- राज्य के सभी जिलों में उन्नत कृषि यंत्रों के विक्रेता उपलब्ध नहीं होने के कारण कृषकों को यंत्र क्रय करने में कठिनाई होती है। इस समस्या को दूर करने के उद्देश्य से इस मेला में कृषि यंत्रों के निर्माताओं एवं बिक्रेताओं की व्यावसायिक बैठक (बी टू बी मीट) का आयोजन भी किया जा रहा है।
-स्थानीय बच्चों एवं कृषि महाविद्यालय में अध्ययनरत बच्चों के बीच कृषि के प्रति आकर्षण बढ़ाने के उद्देश्य से मेला भ्रमण कराने हेतु उन्हें आमंत्रित किया गया है।
-मेला परिसर में कला, संस्कृति एवं युवा विभाग द्वारा प्रतिदिन कृषकों व आगंतुकों के मनोरंजन के लिए रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।
-मेले में आगंतुकों के लिए बिहारी व्यंजनों का फूड कोर्ट की व्यवस्था भी की गई है।
उन्होंने कहा कि इस मेला में किसानों को कृषि यंत्रों का प्रदर्शन, तकनीकी ज्ञान एवं उन्हें अनुदानित दर पर क्रय करने का लाभ की सुविधा एक ही साथ मिलेगी। इस प्रदर्शनी में कोई भी किसान स्वेच्छा से भाग ले सकते हैं। मेला में किसान भाई-बहन उन्नत एवं आधुनिक कृषि यंत्रों के उपयोग से संबंधित जानकारी प्राप्त करते हुए उसे क्रय कर अपनी आमदनी एवं जीवन शैली में गुणात्मक वृद्घि कर पायेंगे।
एमएरअफ , लेनसर व बीकेटी के स्टालों पर किसानों ने जानकारी प्राप्त की। कंपनियों के वरिष्ट अधिकारियों ने किसानों को अच्छी तरह से समझाया।
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