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किसान अक्टूबर के पहले हफ्ते क्या ऐसा करें जिससे उनको फायदा हो ?

किसान का काम खेती किसानी है. वह ज्यादातर इतना पढ़ा लिखा नहीं फिर भी वह फसल की बुवाई और उसको बढ़ाने के लिए काम करता है. किसान फसलों की दवाई इत्यादि जिस डीलर से लेता है वह उसकी ही सलाह से काम करता है.

किसान का काम खेती किसानी है. वह ज्यादातर इतना पढ़ा लिखा नहीं फिर भी वह फसल की बुवाई और उसको बढ़ाने के लिए काम करता है. किसान फसलों की दवाई इत्यादि जिस डीलर से लेता है वह उसकी ही सलाह से काम करता है.

अक्टूबर के पहले हफ्ते किसान भाई ऐसा क्या करें की कौन सी फसल में क्या उपचार करना है उसका ख्याल रखा जाये. आइए यहाँ हम आपको अक्टूबर के पहले हफ्ते क्या और कैसे करें की जानकारी दे रहे हैं

इस समय जो फसल तैयार होने की अवस्था में है उन्हें कीट व रोगों से बचाना चाहिए और नई फसल लगाने से बीजोपचार जरूर करना चाहिए। जिन्होंने धान की फसल पहले लगाई थी, महीने के आखिरी तक उनकी फसल तैयार हो जाएगी। लेकिन जिन किसानों की धान की फसल अभी दुग्धावस्था में है उन्हें अभी भी ध्यान देने की जरूरत है।

धान में फूल खिलने व दुग्धावस्था में खेत में पर्याप्त नमी बनाए रखना चाहिए, जिन कृषकों ने बीज के लिये धान की फसल लगाई है उन्हें सलाह दी जाती है कि वह खेत से अतिरिक्त पौधों को हटा दें। धान में भूरा धब्बा और झोंका रोग की रोकथाम के लिए एडीफेनफास 50 प्रतिशत ई.सी. 500 मिली. अथवा मैंकोजेब 75 प्रतिशत डब्लू.पी. 2.0 किग्रा. प्रति हेक्टेयर 500-750 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

गंधी कीट बाली की दुग्धावस्था में और सैनिक कीट बाली की परिपक्वता अवस्था में लगता है। गंधी कीट एक-दो कीट प्रति पौध और सैनिक कीट की चार-पांच सूड़ी प्रति वर्ग मी. दिखाई देने पर मिथाइल पैराथियान 2 प्रतिशत धूल 20-25 किग्रा. अथवा मैलाथियान 5 प्रतिशत धूल 20-25 किग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से सुबह के समय बुरकाव करें।

केवल गंधी कीट के नियंत्रण के लिए एजाडिरेक्टिन 0.15 प्रतिशत की 2.50 ली. मात्रा प्रति हे. 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। दलहनी फसलों की खेती उर्द/मूंग में फली बेधकों से पांच प्रतिशत प्रकोपित फली पाये जाने पर बीटी. 5 प्रतिशत डब्लूपी 1.5 किग्रा. या इन्डाक्साकार्ब 14.5 एससी. 400 मिली. या क्यूनालफास 25 ई.सी. 1.50 ली. प्रति हेक्टेयर की दर से 800-1000 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। तिलहनी फसलों की खेती राई/सरसों की सिंचित क्षेत्रों के लिये संस्तुत प्रजातियों यथा नरेन्द्र अगेती राई-4, रोहिणी, माया, उर्वशी, बसंती (पीली), नरेन्द्र स्वर्णा राई-8, नरेन्द्र राई (एन.डी.आर.-8501) और असिंचित दशा में वरूणा (टी 59) और वैभव की बुवाई करें।

गन्ना की खेती देर से निकलने वाले किल्लों को निकाल दें। जिन कृषकों का खेत खाली हो तथा उसमें पर्याप्त नमी भी हो, उसे शीघ्र तैयार करें। खेत की तैयारी करते समय उपलब्धता की दशा में जैविक खाद, कम्पोस्ट, गोबर की खाद या प्रेसमेड खाद का प्रयोग अवश्य करें। गन्ने की त्रिकोणीय बंधाई करें। बेधक कीटों के जैविक नियंत्रण के लिए 50 हजार ट्राइकोग्रामा अंड युक्त ट्राइकोकार्ड प्रति एकड़ लगाए। कार्ड टुकडों में काटकर पत्तियों की निचली सतह पर नत्थी कर दें। यह कार्य 10 दिनों के अंतराल पर दोहरायें।

आलू की खेती की बुवाई के 7-10 दिन पहले कोल्ड स्टोर से बीज आलू को बाहर निकालें। शीत भण्डारण में भण्डारित बीज में यदि अंकुर निकल आए तो उनको छांटकर अलग कर दें। यदि कोल्ड स्टोर में भण्डारण करने से पहले आलू उपचारित न किया गया हो तो आलू निकालकर छांटने के तुरन्त बाद आलू के कन्दों को बोरिक एसिड के 3 प्रतिशत घोल से 30 मिनट तक उपचारित करके छायादार स्थान में सुखा लें।

आलू की मुख्य फसल 15 अक्टूबर से लेने हेतु खेत की तैयारी तथा बीज की व्यवस्था करें। मुख्य फसल हेतु कुफरी बहार, कुफरी बादशाह, कुफरी आनन्द, कुफरी सतलज, कुफरी चिप्सोना-1, कुफरी चिप्सोना-3, कुफरी लालिमा, कुफरी सूर्या आदि किस्में उपयुक्त हैं।


चंद्र मोहन, कृषि जागरण

English Summary: Farmers do the first week of October so that they benefit? Published on: 04 October 2018, 10:51 PM IST

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