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दो दिवसीय राज्यस्तरीय रबी कर्मशाला, 2018 का आयोजन

कृषि विभाग बिहार द्वारा दो दिवसीय राज्यस्तरीय रबी कर्मशाला का शुभारम्भ बामेती, पटना के सभागार में किया गया। इस कार्यक्रम का उद्घाटन कृषि मंत्री डॉ० प्रेम कुमार द्वारा किया गया।

कृषि विभाग बिहार द्वारा दो दिवसीय राज्यस्तरीय रबी कर्मशाला का शुभारम्भ बामेती, पटना के सभागार में किया गया। इस कार्यक्रम का उद्घाटन कृषि मंत्री डॉ० प्रेम कुमार द्वारा किया गया। रबी मौसम में फसलों के उत्पादन एवं उत्पादकता के लक्ष्य को पूरा करने के लिए कर्मशाला के पहले दिन छः महत्वपूर्ण विषयों बिहार में जैविक कोरिडोर योजना का विस्तार की सम्भावनाएँ, वर्ष 2022 तक राज्य के किसानों की आमदनी दोगुनी करने का तकनीक, मौसम के बदलते परिपेक्ष्य में कृषि प्रबंधन, फसल कटनी उपरान्त उत्पाद का प्रवर्द्धन एवं मूल्य संवर्द्धन, समेकित कीट प्रबंधन, समेकित पोषक तत्व प्रबंधन तथा मृदा स्वास्थ्य कार्ड की भूमिका जैसे विषयों पर सुझाव प्राप्त करने हेतु विषयवार टीम का गठन किया गया। प्रत्येक टीम में कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक, मुख्यालय/प्रमण्डल एवं जिला स्तर के पदाधिकारी, प्रगतिशील किसान तथा उपादान विक्रेता/प्रतिष्ठान के प्रतिनिधि को सम्मिलित किया गया। प्रत्येक टीम से प्राप्त सुझाव के अनुरूप रबी के कार्यक्रम क्रियान्वित किये जायेंगे।

कृषि मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि रबी मौसम में फसलों के उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने हेतु विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं के तहत् अनुदान उपलब्ध कराने हेतु इसका व्यापक प्रचार-प्रसार करने के लिए प्रमंडल, जिला, प्रखंड स्तर पर रबी महाभियान-सह-महोत्सव का आयोजन किया जायेगा। रबी/गरमा मौसम, 2018-19 में 43.75 लाख हेक्टेयर में खाद्यान्न फसलों की खेती से 145.55 लाख मैट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। गेहूँ फसल के लिए 23 लाख हेक्टेयर में खेती से कुल 71 लाख मैट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। रबी मक्का में 5 लाख हेक्टेयर में खेती के लिए कुल 40 लाख मैट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। गरमा मक्का के लिए 2.50 लाख हेक्टेयर में खेती से कुल 16 लाख मैट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। दलहन के लिए 11.50 लाख हेक्टेयर में खेती से कुल 13.75 लाख मैट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें गरमा मूँग के लिए 6.38 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में आच्छादन एवं 6.25 लाख टन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। बोरो एवं गरमा धान फसल के लिए 1.50 लाख हेक्टेयर में आच्छादन तथा 4.45 लाख मैट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जौ फसल के लिए 0.25 लाख हेक्टेयर में खेती से कुल 0.35 लाख मैट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। रबी/गरमा 2018-19 में राई, सरसों, तोरी, तीसी, सूर्यमुखी एवं तिल का 2.20 लाख हेक्टेयर में खेती के लिए 3.36 लाख मैट्रिक टन तेलहन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।

उन्होंने कहा कि हथिया नक्षत्र में वर्षांपात नहीं होने की स्थिति में धान की खड़ी फसल के लिए एक या दो अतिरिक्त सिंचाई के लिए डीजल अनुदान हेतु प्रस्ताव सरकार को भेजा जा रहा है। ज्ञातव्य हो कि वर्तमान में धान के बिछड़ा के लिए 2 सिंचाई एवं धान की खड़ी फसल के लिए तीन सिंचाई हेतु डीजल अनुदान देने की व्यवस्था की गई है। वर्ष 2017-18 में प्रथम चरण में पटना से भागलपुर तक के गंगा के दक्षिणी भाग में पड़ने वाले गाँव तथा दनियावाँ से बिहार शरीफ तक के राजकीय/राष्ट्रीय मार्ग के किनारे कुल 9 जिलों यथा पटना, नालंदा, वैशाली, समस्तीपुर, बेगूसराय, लखीसराय, मुंगेर, भागलपुर एवं खगड़ियाँ में बसे गाँव में जैविक कोरिडोर विकसित किया जा रहा है। 2018-19 में इन्हीं 9 जिलों में कुल 25,000 एकड़ में जैविक कोरिडोर के रूप में जैविक खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। राज्य में जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए किसानों को पक्का वर्मी बेड इकाई, व्यावसायिक वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन, गोबर गैस, जैव उर्वरक व्यावसायिक उत्पादन इकाई की स्थापना के लिए राज्य सरकार द्वारा 40 से 50 प्रतिशत तक अनुदान दिया जायेगा। राष्ट्रीय एवं मुख्यमंत्री बागवानी मिशन अंतर्गत नर्सरी की स्थापना, टीशू कल्चर केला, ड्रीप सिंचाई आदि कार्यक्रमों में 50 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। राज्य में फसल की उत्पादकता तथा किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि यंत्रों पर 50 प्रतिशत तक अनुदान दिया जायेगा। किसान सम्मान योजना के अंतर्गत राज्य में संकर धान, गेहूँ, आलू, क्रॉसब्रीड गायपालन एवं मत्स्यपालन में अधिकतम उत्पादकता प्राप्त करने वाले 05-05 किसानों को राज्य, जिला तथा प्रखंड स्तर पर सम्मानित एवं पुरस्कृत किया जाएगा। किसानों तक आधुनिक तकनीक के प्रचार-प्रसार तथा वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दुगुनी करने हेतु पंचायत स्तर पर ‘‘किसान चौपाल’’ का आयोजन किया जाएगा।

प्रेम कुमार ने कहा कि राज्य में कृषि के समग्र विकास के लिए 1.54 लाख करोड़ रूपये की लागत से कृषि रोड मैप, वर्ष 2017-2022 का क्रियान्वयन किया जा रहा है। गेहूँ के उत्पादन में वृद्धि लाने हेतु समय से गेहूँ की बोआई के लिए जीरो टिलेज तकनीक से खेती पर विशेष बल दिया जा रहा है। राज्य में खाद्य तेलों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए तिलहनी फसलों की खेती होती है। इनके आच्छादन एवं उत्पादकता को बढ़ाने की पर्याप्त संभावनाएँ हैं। इसके अन्तर्गत सभी अनुशंसित शष्य क्रियाओं को उपयोग कर प्रति हेक्टर औसत उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि लाया जा सकता है। साथ ही, अन्य खाद्यान्न फसलों के साथ तिलहनी फसलों की मिश्रित खेती कर इसके उत्पादन लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। नहर के सुदूर क्षेत्र, जहाँ कम पानी रहने की संभावना बनी है, वहाँ तिलहनी फसलों की खेती की जाये। समेकित कीट-व्याधि प्रबंधन, प्रत्यक्षण एवं कृषक प्रशिक्षण कराकर तिलहनी फसलों की खेती में अपनायी जाये। रबी कार्यक्रमों के साथ-साथ कृषि विभाग जैविक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए गंगा के तटवर्ती जिलों में विशेष अभियान चलाया जाना है। इन जिलों के जिला कृषि पदाधिकारी, परियोजना निदेशक (आत्मा) एवं सहायक निदेशक (उद्यान) संयुक्त रूप से पंचायत एवं प्रखंड स्तर पर कार्यरत प्रसार कर्मियों की एक टीम बनाकर किसानों को विशेषकर जैविक सब्जी उत्पादन के लिए प्रशिक्षित करें। साथ ही, जैविक खेती प्रोत्साहन के लिए विभाग के विभिन्न संभागों द्वारा संचालित कार्यक्रमों का क्रियान्वयन सुनिश्चित करें। कुछ दिन बाद किसान धान फसल की कटाई करेंगे। सभी जिलास्तरीय पदाधिकारी किसानों को फसल कटाई के उपरान्त खेतों में फसल अवशेष को न जलाने के लिए जागरूक करें, क्योंकि फसल कटाई उपरान्त खेतों में आग लगाने से पोषक तत्वों का नुकसान होता है। दक्षिणी बिहार के जिलों में विशेष जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है। कृषि विश्वविद्यालयों के विभिन्न संभागों द्वारा किसानों के हित में किये जा रहे प्रसार तथा शोध कार्यों से संबंधित वैज्ञानिक आवश्यक तकनीकी ज्ञान से किसानों को अवगत कराते हैं, जिनसे किसानों को उनके कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार उनके द्वारा किये जा रहे कृषि कार्यों में नई तकनीक अपनाने में सहयोग प्राप्त होता है।

प्रधान सचिव, कृषि विभाग सुधीर कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (सूक्ष्म सिंचाई) का लाभ प्राप्त करने के लिए किसानों को डी०बी०टी० पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा तथा डी०बी०टी० पोर्टल पर पंजीकृत किसान सीधे इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। इस योजना के अंतर्गत किसानों को 75 प्रतिशत अनुदान पर सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली यथा- ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली उपलब्ध कराया जायेगा। इस नई व्यवस्था में डी०बी०टी० काईंड में किसानों को योजना का लाभ उपलब्ध कराया जायेगा यानी किसानों को सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली लगाने पर मात्र 25 प्रतिशत राशि देनी होगी। सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली लगाने वाले विनिर्माता कम्पनी को एक निश्चित समय सीमा के अंदर किसानों के खेत पर यंत्र अधिष्ठापन करना होगा तथा जियो टैग फोटो लेकर यानी खेत के उत्तर-पूर्व कोने का आक्षांश तथा देशान्तर लेते हुए फोटो अपलोड करना होगा। किसान के द्वारा लगाये गये यंत्र का एक समय सीमा के अंदर प्रखंड उद्यान पदाधिकारी तथा सहायक निदेशक, उद्यान द्वारा सत्यापन कर अपनी अनुशंसा के साथ मुख्यालय को उपलब्ध कराया जायेगा। पूरी प्रक्रिया, सिंचाई प्रणाली अधिष्ठापन के 25 दिनों के अंदर पूरी कर ली जायेगी तथा इसके पूर्ण रूप से सत्यापित होने पर अनुदान की राशि प्रणाली अधिष्ठापित करने वाली विनिर्माता कम्पनी को भेज दी जायेगी।

कृषि निदेशक आदेश तितरमारे द्वारा स्वागत संबोधन तथा कृषि निदेशालय की रबी की योजनाओं की विस्तृत चर्चा की गई।

इस कार्यक्रम में उद्यान निदेशक नन्द किशोर द्वारा भी अपने विचार रखे गये एवं संबंधित पदाधिकारियों को आवश्यक निदेश दिये गये।

English Summary: Organizing two-day state-level Rabi Workshop, 2018 Published on: 04 October 2018, 10:35 PM IST

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