आजकल किसान पारंपरिक खेती से हटकर फसलों की खेती करने का चुनाव कर रहे हैं. इसी वजह से बांस की खेती का चलन काफी बढ़ रहा है. मौजूदा समय में बड़े स्तर पर बांस की व्यावसायिक खेती (Bamboo Cultivation) की जा रही है.
देश के किसान बांस की खेती (Bamboo Cultivation) सफलतापूर्वक कर पाएं, इसके लिए केंद्र व राज्य सरकारें भी योजनाएं चला रही हैं. इसी क्रम में मध्य प्रदेश के बांस उत्पादक किसानों (Farmers) के लिए एक बड़ी खुशखबरी है.
बांस उत्पादक किसानों के लिए सुविधा (Facility for bamboo growing farmers)
अब किसानों को बांस को एक से दूसरी जगह लाने और ले जाने के लिए कार्यालयों के चक्कर नहीं काटना होगा, क्योंकि लकड़ी और बांस उत्पादक किसानों को अनुज्ञा पत्र (Permit) की सुविधा ऑनलाइन उपलब्ध कराई जाएगी. बता दें कि परमिट जारी करने के लिए ‘एप्लिकेशन ऐप’ लांच किया गया है. यह नई व्यवस्था प्रायोगिक रूप से मध्यप्रदेश के अलावा तेलंगाना राज्य में होगी.
क्यों लिया यह फैसला? (Why took this decision?)
किसानों को बांस (Bamboo) काटकर उसका फर्नीचर या किसी दूसरे रूप में इस्तेमाल करने के लिए उसे एक से दूसरी जगह ले जाना होता है. इस दौरान किसानों को पुलिस तंग न करे, इसलिए परमिट जारी होता है. ऐसे में मध्य प्रदेश के वन विभाग में लकड़ी और बांस उत्पादक किसानों के लिए परमिट देने का काम ऑनलाईन (Online Permit) देने का फैसला लिया है. इससे किसानों को नाके पर होने वाली कठिनाईयों का सामना नहीं करना होगा.
यह होगी नई व्यवस्था (This will be the new system)
इस नई व्यवस्था के तहत मोबाइल ऐप के जरिए मूल स्थान से गंतव्य स्थल तक राज्य की सीमाओं पर निर्वाध रूप से परिवहन किया जा सकता है.
जानकारी के लिए बता दें कि देश में लकड़ी, बांस और अन्य वनोपजों का परिवहन राज्यों के विभिन्न कानूनों और नियमों पर आधारित हैं. एक राज्य में वनोपज को मुक्त रखा गया है, तो वहीं दूसरे राज्य में परमिट पत्र प्राप्त करना जरूरी होता है. इस व्यवस्था में बदलाव लाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय पारगमन पास प्रणाली लागू की गई है. इस तरह देशभर में एक परमिट की सुविधा प्रदान की जाएगी.
किसानों की आमदनी में होगा इजाफा (Farmers' income will increase)
केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Union Ministry of Environment, Forest and Climate Change) द्वारा नेशनल ट्रांजिस्ट पास सिस्टम (National Transit Pass System) के तहत प्रायोगिक रूप से मध्य प्रदेश और तेलंगाना राज्य का चुनाव किया गया है. इस ऑनलाइन की सुविधा से किसानों को वन विभाग संबंधित कार्यालय में चक्कर कटाने नहीं पड़ेंगे.
इसके अलावा परिवहन लागत और समय की अच्छी बचत होगी. इस तरह किसानों की आमदनी (Farmers Income) बढ़ सकेगी.
आपको बता दें कि हमारे देश में बांस की लगभग 136 किस्में उपलब्ध हैं, जिनकी खेती किसान कर रहे हैं. इतना ही नहीं, देश के पीएम मोदी ने जनवरी 2018 में बांस को पेड़ की कैटेगरी से हटा दिया था. इसके बाद बांस काटने पर फॉरेस्ट एक्ट लागू होना बंद हो गया. सरकार द्वारा सिर्फ यह नियम ही नहीं बदला गया, बल्कि इसकी खेती के लिए राष्ट्रीय बैंबू मिशन (National Bamboo Mission) भी बनाया गया. इस मिशन के तहत किसान को बांस की खेती (Bamboo Farming) करने पर आर्थिक मदद दी जाती है.
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