उत्तर प्रदेश में अब कई चीनी मील अपनी उपज (चीनी) बेचने के फैसले में बदलाव कर रही हैं. बता दें कि प्रदेश के बिजनौर जिले की चीनी मील किसानों को सीधे तौर पर चीनी बेचने लगीं. जल्द ही प्रदेश की बाकी चीनी मिलें भी ऐसा करना शुरू कर देंगी. चीनी मील प्रशासन का मानना है कि ऐसा करने से किसानों को सीधे तौर पर चीनी मिलने के साथ ही मिलों पर चीनी के रखरखाव और गन्ना भुगतान के दबाव में कमी आएगी.
बता दें, चीनी मील की तरफ से कहा गया है कि जून तक किसान एक क्विंटल चीनी प्रतिमाह घर ले जा सकते हैं. ये चीनी किसानों को सरकार द्वारा जारी बाजार रेट पर दी जाएगी. गन्ना एवं चीनी आयुक्त ने इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए हैं. गन्ना एवं चीनी आयुक्त ने अपने निर्देश में बताया है कि मौजूदा समय में चीनी बिक्री उम्मीद के अनुसार नहीं हो पा रही है. चीनी मील और बैंक जिनमें मिलों ने अपनी चीनी पलेज की है वो भी चाहें तो किसानों को चीनी बेचने में चीनी मील की सहायता कर सकते हैं. कुछ दिन पहले खबरें आ रही थीं कि किसान अपने गन्ना भुगतान के बदले में कुछ चीनी मांग रहे थे जिसे ध्यान में रखकर ऐसा फैसला लिया गया है. गन्ना मूल्य के सापेक्ष गन्ना आपूर्तिकर्ता द्वारा किसानों को चीनी बेची जा सकती है. इसका भुगतान गन्ना मद मूल्य से किया जाए गा.
गन्ना एवं चीनी आयुक्त ने कहा है कि प्रत्येक किसान को प्रति माह एक क्विंटल चीनी एक दिन पहले के न्यूनतम मूल्य व जीएसटी के आधार पर मूल्य निर्धारित कर बेची जाएगी. इस प्रक्रिया में किसान को स्वयं अपने संसाधनों द्वारा चीनी अपने निवास स्थान तक ले जाना पड़ेगा, होम डिलवरी की कोई सुविधा नहीं है. चीनी का उठान मासिक कोटे के अंतर्गत ही किया जाता है. जीएसटी जमा करने की जिम्मेदारी किसानों की नहीं बल्कि चीनी मील की होगी. अगर कोई चीनी मील किसान से न्यूनतम मूल्य से ज्यादा पर चीनी बेचती है तो ये अधिक धनराशि का समायोजन एग्री इनपुट के अंतर्गत जमा की गई बैंक गारंटी से कर लिया जाएगा.
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