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लॉकडाउन में बारदाना के लिए किसानों की कमर टूटी

अप्रैल को रबी फसल की कटाई का माह कहा जाता है क्योंकि इसी माह में किसान फसल काटकर जायद फसलों की बुवाई ( ककड़ी, तरबूज, मेंथा (पिपरमेंट) और खरबूजा आदि) की तैयारी करता है. इस कटाई के बाद किसान को बारदाना की जरूरत पड़ती है. इस समय किसान को प्रत्येक साल की तुलना में अधिक बारदाना की जरूरत पड़ रही है.

प्रभाकर मिश्र

अप्रैल को रबी फसल की कटाई का माह कहा जाता है क्योंकि इसी माह में किसान फसल काटकर जायद फसलों की बुवाई ( ककड़ी, तरबूज, मेंथा (पिपरमेंट) और खरबूजा आदि) की तैयारी करता है. इस कटाई के बाद किसान को बारदाना की जरूरत पड़ती है. इस समय किसान को प्रत्येक साल की तुलना में अधिक बारदाना की जरूरत पड़ रही है.  बता दें कि लॉकडाउन के कारण किसान अपनी फसल नहीं बेच पा रहे हैं, अगर बेच भी प रहे हैं तो उतनी अधिक मात्रा में नहीं. इसलिए इस बार किसान को आनाज भण्डारण के लिए अधिक बारदाने की आवश्यकता पड़ रही है.

पिछले वर्ष की तुलना में अधिक महंगा मिल रहा बारदाना

बता दें, किसानों को अनाज भंडारण के लिए बारदाना पिछले वर्ष की तुलना में अधिक महंगा मिल रहा है. इस बार  बारदाना 5 से 10 रुपये महंगा मिल रहा है. यही कारण है कि किसानों की जेब पर दोहरी मार पड़ रही है. एक तरफ पिछले महीने में तूफ़ान और ओले गिरने के कारण किसान की कमर टूट गई है और अब लॉकडाउन के चलते अनाज भंडारण के लिए बारदाना की समस्या. खेत में गेहूं, चना व धनिया आदि की कटाई-मड़ाई हो रही है. अनाज भंडारण के लिए बारदाना जरूरत के अनुसार किसानों को बाजार से खरीदना पड़ रहा है.

लॉकडाउन के कारण बारदाना के भी दाम बढ़ चले हैं.  50 किलो अनाज भंडारण की प्लास्टिक बोरी 15 रुपये व भूसा भंडारण की झाल (बड़ी बोरी) 35 से 40 रुपये तक मिलानी शुरू हो चुकी है, उत्तर प्रदेश के  अकबरपुर जिले के किसान राकेश व आनंद बताते  हैं कि पिछले वर्ष यह बोरी व झाल के दाम 5 से 10 रुपये कम थे. जूट बोरा कारोबारी गजेंद्र यादव बताते  हैं कि पिछले वर्ष जो बोरा 15 रुपये में मिल जाता था अब वह 20 रुपये का मिल रहा है. थोक में 50 किलो अनाज भंडारण के जूट बोरा की कीमत 18 रुपये है.

English Summary: Farmers broken for gunny bags in lockdown Published on: 20 April 2020, 12:23 PM IST

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