प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेशनल बैंबू मिशन को लेकर बड़ी घोषणा की है. उन्होंने कहा कि किसानों, हैंडीक्राफ्ट व इसमें जुड़े अन्य लोगों के लाभ के लिए नेशल बैंबू मिशन के तहत सैंकड़ों करोड़ों रुपए का निवेश किया जा रहा है. बैंबू (बांस) से बने उत्पाद आत्मनिर्भर भारत अभियान को बल देने में सामर्थ्य रखता है. हालांकि यह पहली बार नहीं है जब बैंबू को लेकर प्रधानमंत्री ने ऐसी घोषणा की है इससे पहले भी बैंबू से किसानों को लाभ होने का जिक्र किया जा चुका है. आइए इस लेख में आगे जानते हैं बैंबू से किस प्रकार लाभ कमाया जा सकता है.
बैंबू की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा कई प्रकार के कदम उठाए जा रहे हैं. इसकी खेती के लिए इच्छुक व्यक्ति के खाते में प्रत्येक पौधे पर 120 रुपए दिया जाएगा. मौजूदा समय में इससे बने काफी उत्पादों को चीन से मंगाया जाता है, और अगर इसकी खेती यहां बड़े पैमाने पर होती है तो इंपोर्ट को भी रोकने में मदद मिलेगी. बांस की खेती (bamboo farming) में किसानों को घाटा होने का अनुमान भी कम होता है क्योंकि बांस के बीच किसान अन्य फसलों की भी खेती आसानी से कर सकते हैं. वहीं सरकार के द्वारा किसानों को इसका ज्यादा लाभ देने के लिए बांस की कटाई पर लगने वाला फॉरेस्ट एक्ट भी अब हटा दिया गया है.
खेती के लिए नोडल अधिकारी से मिलकर लेना होना जानकारी
बांस की खेती करने के लिए आपको राष्ट्रीय बैंबू मिशन (National Bamboo Mission) के तहत हर संभव मदद मिलेगी. इसके लिए हर राज्य में मिशन डायरेक्टर बनाए गए हैं और वो हर जिले के अनुसार काम की देख-रेख करने वाले अधिकारी को चयनित करेंगे. इस कार्य में तीन प्रमुख सेक्टर एग्रीकल्चर, फॉरेस्ट और इंडस्ट्री तीनों को शामिल किया गया है.
बांस के उपयोग की होनी चाहिए जानकारी
अलग-अलग कामों के लिए अलग-अलग बांस का चयन किया जाता है. बांस की कुल 136 प्रजातियां है जिसमें से 10 का इस्तेमाल सबसे ज्यादा किया जाता है. बांस का चयन इस प्रकार से किया जाता है कि आपको किस काम के लिए उपयोग करना है. बांस का उपयोग फर्नीचर, खिलौने, घर में उपयोग होने वाले कई वस्तुओं को बनाने में किया जाता है. बांस की खेती में समय काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसकी खेती में करीब तीन से चार साल का वक्त लगता है. इसकी खेती में सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि इसके पौधों के साथ आप अन्य चीजों की खेती भी कर सकते हैं क्योंकि इसके पौधों को तीन-चार मीटर की दूरी पर लगाया जाता है. यह पर्यावरण के लिए भी काफी लाभदायक है और इसकी पत्तियों को पशुओं के चारे के रुप में इस्तेमाल किया जाता है.
किसान कैसे ले सकते हैं मदद?
किसान इसके पौधों को सरकारी नर्सरी से फ्री में प्राप्त कर सकते हैं. इसके साथ ही तीन साल में औसतन 240 रुपये प्रति प्लांट की लागत आएगी. जिसमें से 120 रुपये प्रति प्लांट सरकारी सहायता मिलेगी. बांस के लिए नॉर्थ ईस्ट के राज्यों को छोड़कर अन्य राज्यों में इसकी खेती के लिए 50 फीसद पैसा सरकार लगाती है और 50 फीसद किसान को लगाना होता है. वहीं 50 फीसदी सरकारी शेयर में 60 फीसदी केंद्र और 40 फीसदी राज्य की हिस्सेदारी होती है. नॉर्थ ईस्ट के राज्यों की अगर बात की जाए तो यहां सरकार से मिलने वाली राशि अधिक होती है. यहां किसानों को 40 फीसद लगाना होता है और 60 फीसद सरकार देती है. वहीं 60 फीसद सरकारी पैसे में 90 फीसदी केंद्र और 10 फीसदी राज्य सरकार का शेयर होता है.
क्या होता है कमाई का हिसाब?
बांस की खेती के लिए एक हेक्टेयर में लगभग 1500 से 2500 पौधे लगाये जा सकते हैं. अगर आप एक हेक्टेयर में 1500 पेड़ 3 गुणा 2.5 मीटर के अनुसार लगाते हैं तो इसमें 4 साल बाद लगभग 3 से 3.5 लाख रुपये की कमाई होने लगेगी. बांस के पौधे में हर साल बदलने की जरुरत भी नहीं होती है क्योंकि यह लगभग 40 साल तक चलती है. वहीं इसके बीच में लगाई गयी दूसरे फसलों से भी आप अच्छा मुनाफा कमा सकते है. बता दें कि इन दिनों बांस से फर्नीचर, हैंडीक्रॉफ्ट, ज्वैलरी इत्यादि कई तरह के उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं जिसकी बाजार में मांग काफी ज्यादा है.
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