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देशे के किसानों की आर्थिक स्थिति को औषधीय पौधे के जरिए मजबूत बनाया जाएगा. किसानों की मदद से अब आयुर्वेद विभाग औषधीय पौधों की खेती कराएगा. इसके लिए किसानों का समूह बनाया जाएगा. इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की आयुर्वेद विभाग के द्वारा किसानों को औषधीय पौधों पर सब्सिडी दी जाएगी ओर यही विभाग इनसे यह बाज़ार रेट पर खरीदेगा. इन्ही पौधों की मदद से आयुर्बेद विभाग अपनी फार्मेसी में दवाई का उत्त्पादन करेगा. इससे आयुवैदिक दवाओं की गुणवत्ता में काफ़ी सूधार होगा.
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इस योजना के लिए विभाग मिनिमम 2 हेक्टेयर की भूमि पर खेती को अनिवार्य किया है. किसान चाहे तो समूह बना कर खेती कर सकते है, या किसान अकेला भी खेती कर सकते हैं लेकिन उसे सब्सिडी का लाभ नहीं मिलेगा. अलग-अलग क्षेत्रों में विभिन्न औषधीय पौधों का उत्पादन किया जाएगा. ज्यादा ऊंचाई वाले इलाको में अतिश, धूप, गुगल, कुठ और सुगंधवाला इत्यादि पौधों का उत्त्पादन किया जायेगा. सभी औषधीय पौधों का उत्पादन मौसम और ऊंचाई के अनुकूल होंगे। इसके अलावा मैदानी क्षेत्रो में सफेद मूसली, अश्वागंधा, एलोवेरा और तुलसी का उत्पादन किया जाएगा.
इन दिनों कई किसान धान, सब्जी, फल इत्यादि की खेती को छोड़कर औषधीय खेती की ओर रुख कर रहे हैं. औषधीय पौधों में किसानों को मुनाफा ज्यादा होने की वजह से किसान इस तरफ रुख़ कर रहे हैं.
प्रभाकर मिश्र, कृषि जागरण
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