महाराष्ट्र में इस बार बेमौसम बारिश किसानों को बहुत परेशान किया है. वहीं राज्य सरकार भी इस वजह से काफी चिंतित दिखाई दे रही है. बेमौसम बारिश की वजह से जो फसलें खराब हुई थी, राज्य सरकार ने मुआवजा देने तक का ऐलान किया था.
वहीं, बेमौसम बारिश ने बागवानी को भी बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाया हैं, लेकिन इस बार नासिक जिले के रहने वाले किसान हंसराज भडाने की किस्मत ने उनका बहुत साथ दिया है.
आपको बता दें कि हंसराज भडाने ने अपनी फसलों की अच्छी तरह देखभाल की थी. इससे उनकी फसलें कुछ हद तक बच गई हैं. बेमौसम बारिश ने हजारों हेक्टेयर में अंगूर के बागों को नष्ट कर दिया है. पूरे अंगूर के बाग में किसान द्वारा प्लास्टिक कैप कवर का उपयोग किया था. इस कारण बारिश में 3 एकड़ बाग बच गए थे. इसके साथ ही प्लास्टिक कैप कवर के उपयोग के कारण बेमौसम बारिश से फसल रोगों से ज्यादा प्रभावित नहीं हो पाई थी.
फसल को ढ़कने से मिलेगा लाभ
पिछले कुछ वर्षों से प्राकृतिक आपदाएं एक नियमित घटना रही हैं. इस बार फसलें तैयार होकर बारिश की वजह से खराब हुई हैं. इसके चलते कटी हुई फसलें नष्ट हो रही थीं. हैं. हालांकि किसान फसल कवर की उपेक्षा करते हैं, क्योंकि यह महंगा पड़ता हैं. मगर खिरमानी के हंसराज भडाने ने केवल तीन एकड़ में थॉमसन वाइनयार्ड के लिए फसल कवर का उपयोग किया है, जिससे उनके बाग बारिश, धूप और बीमारी से बच गए. किसान का कहना है कि बारिश और ओलावृष्टि से बचाए जाने पर निर्यातित अंगूरों को अब ऊंचे दाम मिलने की उम्मीद हैं.
प्लास्टिक कवरिंग के लिए मिलेगा अनुदान
वहीँ अंगूर की फसल को बचाने के लिए जिस तरफ किसान प्रयास कर रहे हैं. उसको देखते हुए सरकार ने भी अपनी ओर से मदद का हाथ बढ़ाया है. अंगूर कवर के लिए प्रशासनिक स्तर पर अनुदान की योजना किसानों को मुहैया करवाया जा रहा है. प्लास्टिक पेपर के लिए 2 लाख 50 हजार से 3 लाख प्रति एकड़, एंगल और तार निर्माण के लिए 1 लाख प्रति एकड़ 4 लाख प्रति एकड़ की दर से प्रस्तावित है. इसकी तुलना में अगर सरकार 50 फीसदी सब्सिडी का आधा हिस्सा मांग के मुताबिक दे देती है, तो किसानों को बड़ी मदद होगी. मगर प्रशासनिक स्तर पर समय रहते कोई सही फैसला नहीं लिया गया है. इससे बागों को नुकसान पहुंचा रहा हैं.
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घाटे में चल रहे बागवान किसान कर्जदार
हालांकि, अंगूर के बाग से अधिक उत्पादन होता है. वहीं बाग की खेती की लागत के बारे में अगर बात करें, तो ये बहुत बड़ी है. इसके अलावा, संक्रमण के बाद दो दिनों में एक बार छिड़काव करने की सलाह दी जाती है. इसके साथ ही लागत के बावजूद अंतिम चरण में प्रकृति की मार से किसानों को अपूरणीय क्षति हुई है. कम उत्पादन और अधिक लागत के साथ इस वर्ष भी स्थिति समान ही है. नतीजा यह हुआ कि इस साल बागबानी किसान भी कर्ज में डूब गए हैं. किसान इस सवाल का सामना कर रहे हैं कि साल भर की मेहनत भी बर्बाद हुई और कर्ज भी बढ़ता गया.
किसानों ने उठाई प्रशासन के ख़िलाफ़ आवाज
हर साल अंगूर के बागों की प्रकृति अलग नहीं होती है, इसलिए जिले के कसमाडे बेल्ट के सतना, मालेगांव, देवला और कलवन तालुका के किसानों ने अंगूर के बागों की कटाई शुरू होते ही सब्सिडी पर प्लास्टिक कवर की मांग की थी. इससे अंगूर की रक्षा होती है. करीब 40 फीसदी अंगूर की फसल बारिश से पहले हो खराब हो चुकी थी. इस प्लास्टिक कवर में बाकी अंगूर सुरक्षित रहते हैं, लेकिन प्रशासन अनुदान की मांग की अनदेखी कर रहा है. इस क्षेत्र में करीब 200 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. किसानों का कहना है कि अगर प्रशासन ने फैसला लिया होता तो आज तस्वीर कुछ और होती.
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