बेशक, इसमें कोई दोमत व दोराय नहीं है कि किसानों को समृद्ध बनाने की दिशा में हमेशा से ही शासन की तरफ से बेशुमार कोशिशें की जाती रही हैं, लेकिन इन कोशिशों का लाभ किसानों तक कितना पहुंचा है. यह अपने आप में विवेचना का विषय है, लेकिन इस विवेचना के सैलाब में सराबोर होने से पहले हम आपको बताते चले कि केंद्र सरकार ने किसान उत्पादक संगठन के हित में एक बड़ी पहल की है.
सरकार की तरफ से अब किसान उत्पादक संगठनों को 2 करोड़ तक लोन मिल सकता है और इसके एवज में मिलने वाले ब्याज में छूट प्रदान की जा सकती है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने खुद एक वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि 6 हजार 856 करोड़ रूपए खर्च करके 10 हजार इएफपी बनाने की योजना है, जिन्हें 2 करोड़ का लोन सहित ब्याज में छूट प्रदान करने की योजना है. सरकार का यह कदम किसानों के लिए कितना हितकारी साबित होता है. यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा.
किसानों की समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध है सरकार
इसके साथ ही कृषि मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार किसानों की समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध है. हम लगातार किसानों के हित के लिए काम कर रहे हैं. सरकार की तरफ से किसानों के लिए कई ऐसी योजनाएं चलाई जा रही है, जिनका हमारे अन्नदाता को बड़े पैमाने पर लाभ मिलता हुआ नजर आ रहा है. कृषि क्षेत्र को समृद्ध करने के लिए सरकार की तरफ से फंड भी निर्धारित किए जा चुके हैं. अब तक सरकार की तरफ से चार हजार करोड़ रूपए का लोन भी निर्धारित किया जा चुका हैं. इसका फायदा निश्चित रूप से किसानों को मिलेगा.
मंदी के दौर में भी मजबूती से खड़ा है कृषि क्षेत्र
इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मंदी के दौर में भी कृषि क्षेत्र मजबूती से खड़ा है. कृषि गांव की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी होती है. अगर इसे कुछ हुआ, तो फिर गांव की अर्थव्यवस्था को कैसे बल मिलेगा? लेकिन यह काफी हैरान कर देने वाला है कि कोरोना काल में जब सभी आर्थिक गतिविधियां ठप हो चुकी थी. उस वक्त कृषि क्षेत्र मजबूती से खड़ा है, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ग्रामीण इलाकों में भारी संक्रमण की वजह से इस बार कृषि क्षेत्र में भारी उथल पुथल मची हुई है, लेकिन पूरी उम्मीद है कि बहुत जल्द ही ग्रामीण इलाकों में हालात दुरूस्त हो जाएंगे.
बता दें कि कोरोना के कहर के चलते देशभर की मंडिया बंद चल रही हैं. ऐसे मे किसान भाइयों को यह समझ नहीं आ रहा है कि वे अपनी फसलों को कहां बेचें. अभी कुछ दिनों पहले ही एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव को बंद कर दिया गया था, लेकिन अब किसानों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए इसे खोल दिया गया है. बताया जा रहा है कि जैसे ही कोरोना से हालात दुरूस्त होंगे, ठीक वैसे सारी मंडियों को खोल दिया जाएगा और फिर किसान भाई अपनी फसलों को सरलता से मन माफिक बेच पाएंगे.
Share your comments