वैश्विक महामारी कोरोना के चलते देश में लगे लॉकडाउन से किसानों की स्थिति दिन-प्रतिदिन दयनीय होती चली जा रही है. वहीं पहले से ही फरवरी-मार्च की चार अलग-अलग तिथियों में बेमौसम बारिश और ओलाबृष्टि के चलते ही किसानों की पकी हुई फसल की क्षति हुई है. अब यह लॉकडाउन किसानों के लिए नई परेशानी बन गया है. मौजूदा समय में किसानों को फसल कटाई करने के लिए मजदूर नहीं मिल पा रहे हैं, अगर मिल भी रहें है तो दोगुने कीमतों पर. इसके अलावा समर्थन मूल्य फसल बिक्री में ऑनलाइन और परिवहन की उचित व्यवस्था न होने के कारण किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
ऐसा नहीं है कि सरकार किसान को इस मुश्किल घड़ी से उबारने के लिए कुछ नहीं कर रही है. केंद्र और राज्य सरकारें अपने स्तर पर किसानों के लिए कार्य कर रहीं है. इस मुश्किल घड़ी में भी किसानों को कृषि कार्य करने की छूट दी गई है. वहीं झारखण्ड राज्य सरकार का कहना है कि लघु और सीमांत किसानों के 50 हजार रुपए का कर्ज माफी मौजूदा हालात में कर पाना मुश्किल है. लॉकडाउन जैसी संकट के घड़ी में सीमित आर्थिक संसाधनों के बीच कर्जमाफी जैसी योजना का लाभ देना सरकार के लिए चुनौती का विषय होगा.
अब प्रदेश में कर्ज माफी का लाभ मानसून (जून-जुलाई )के बाद ही मिलने की उम्मीद जताई जा रही है. बता दें, सरकार ने अपने बजट में किसान कर्जमाफी के लिए 2000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. जिससे प्रदेश के छोटे व सीमांत किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा.
बता दें, कृषि मंत्री रणधीर सिंह ने कर्जमाफी योजना का लाभ किसानों को किसी भी तरह पहुंचाने की बात कर रहे हैं. उन्होंने कहा किसानों का कर्जमाफी होना तय है. इसको करने के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध है लेकिन इस लॉकडाउन जैसी आपातकालीन स्थिति में काम की गति धीमी होने के साथ ही आर्थिक संसाधनों में थोड़ी दिक्कत कमी दिख रही है. लॉकडाउन खत्म होते ही किसानों को कर्जमाफी योजना का लाभ दिया जाएगा..
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