
भारत में नकली और घटिया उर्वरकों की बढ़ती समस्या को गंभीरता से लेते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को एक अहम पत्र लिखा है. इस पत्र में उन्होंने किसानों के हितों की रक्षा के लिए तत्काल और सख्त कार्रवाई करने का आग्रह किया है. इस दौरान उन्होंने कहा कि कृषि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसानों को गुणवत्तापूर्ण उर्वरक उचित समय पर मिलना जरूरी है.
नकली उर्वरकों से न केवल किसानों की उपज और आय प्रभावित होती है, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा भी खतरे में पड़ सकती है. इसे गंभीरता से लेते हुए सरकार ने त्वरित और सख्त कार्रवाई करने का आग्रह किया है.
कृषि को बताया अर्थव्यवस्था की रीढ़
मंत्री चौहान ने अपने पत्र में कहा है कि कृषि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसानों को गुणवत्तापूर्ण उर्वरक समय पर और उचित दामों पर मिलना चाहिए. यदि किसानों को घटिया या नकली उर्वरक मिलते हैं, तो इससे उनकी उपज और आय दोनों प्रभावित होती हैं, जो देश की खाद्य सुरक्षा के लिए भी खतरा बन सकती है.
नकली उर्वरकों पर रोक जरूरी
पत्र में उल्लेख किया गया है कि उर्वरक नियंत्रण आदेश, 1985 के तहत नकली और घटिया उर्वरकों की बिक्री पूरी तरह से अवैध है. इसके बावजूद कुछ इलाकों में इनका अवैध व्यापार तेजी से बढ़ रहा है. मंत्री ने राज्य सरकारों से इन गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात कही है.
निगरानी और कानूनी कार्रवाई के निर्देश
मंत्री ने राज्यों को निर्देश दिया है कि वे उर्वरकों की नियमित सैंपलिंग करें, गुणवत्ता की जांच करें और सब्सिडी वाले उर्वरकों की जबरन टैगिंग जैसी गतिविधियों पर रोक लगाएं. उन्होंने स्पष्ट कहा कि दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए, उनके लाइसेंस रद्द किए जाएं और उन्हें सजा दिलाई जाए.
किसानों को जागरूक करना जरूरी
केंद्र ने यह भी सुझाव दिया है कि किसान और किसान संगठनों को निगरानी प्रक्रिया में शामिल किया जाए और उन्हें यह सिखाया जाए कि असली और नकली उर्वरक में कैसे अंतर करें. इसके लिए फीडबैक तंत्र और सूचना प्रणाली विकसित करने की बात भी कही गई है. मंत्री चौहान ने राज्य सरकारों से अपील की है कि वे इस दिशा में व्यापक अभियान चलाएं, जिससे नकली और घटिया कृषि उत्पादों की समस्या को जड़ से खत्म किया जा सके. यह कदम न सिर्फ किसानों की भलाई के लिए है, बल्कि देश की कृषि प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में भी अहम है.
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