इस स्कीम का लाभ उठाने के लिए केवल एक ही शर्त है जिसे प्राइवेट कर्मचारियों को पूरा करना होता है. अब सवाल उठता है कि अगर कर्मचारी ने दो अलग संस्थानों में पांच-पांच साल काम किया है, तो फिर क्या होगा? या फिर दो नौकरी के दौरान उसने दो साल का ब्रेक भी लिया है. ऐसे में क्या कर्मचारी पेंशन के लिए हकदार हो पाएगा?
प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोगों की सैलरी का एक बड़ा हिस्सा PF के तौर पर कटता है, यह हर महीने कर्मचारी के पीएफ अकाउंट में डिपॉजिट हो जाता है. नियम के मुताबिक कर्मचारी की बेसिक सैलरी+DA का 12 फीसदी हिस्सा हर महीने PF अकाउंट में जमा होता है. इसमें कर्मचारी का पूरा हिस्सा EPF में जाता है, जबकि नियोक्ता का 8.33 प्रतिशत हिस्सा कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) में जाता है और 3.67 प्रतिशत हर महीने EPF योगदान में जाता है.
पेंशन प्राप्त करने के लिए ये है फॉर्मूला
EPFO के नियमों के मुताबिक लगातार 10 साल तक जॉब करने के बाद कर्मचारी पेंशन का हकदार हो जाता है. इसमें शर्त केवल यही है कि नौकरी की अवधि 10 साल पूरी होनी चाहिए. 9 साल 6 महीने की सर्विस को भी 10 साल के बराबर माना जाता है. अगर इस अवधि से यानी का नौकरी का समय साढ़े नौ साल से कम है, तो फिर उसे नौ साल ही गिना जाएगा. ऐसी स्थिति में कर्मचारी पेंशन अकाउंट में जमा राशि को रिटायरमेंट से पहले भी निकाल सकते हैं. इस स्थिति में कर्मचारी पेंशन के हकदार नहीं होते.
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ये होता है EPFO का नियम
पेंशन पात्र होने के लिए EPFO नियम के अनुसार , नौकरी में गैप के बावजूद कुल नौकरी की अवधि को जोड़कर 10 साल का टेन्योर पूरा किया जाता है. लेकिन शर्त ये है कि प्रत्येक नौकरी में कर्मचारी अपना UAN नंबर ना बदले. यानी पेंशन के लिए 10 साल नौकरी की अवधि सिंगल UAN नंबर पर ही होनी चाहिए.
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