कोरोना काल में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है. केंद्र और राज्य, दोनों सरकार मनरेगा के कार्यों पर पूरी तरह से फोकस कर रही है. इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ सरकार भी मनरेगा को मजबूत बनाने का प्रयास कर रही है. दरअसल, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने फैसला किया है कि अब मनरेगा के तहत ऐसे कार्यों की पहचान की जाएगी, जो कि बारिश के मौसम में भी आसानी से किए जा सकें.
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो केंद्रीय मंत्री तोमर का कहना है कि मनरेगा के तहत 264 काम आते हैं, जिनमें से करीब 162 काम कृषि क्षेत्र से जुड़े हुए हैं. मनरेगा गाइडलाइन की बात करें, तो राज्य सरकार बारिश में भी इन 162 में से किसी भी कार्य के जरिए लोगों को रोजगार दे सकती है. बता दें कि मनरेगा के कार्य बारिश की वजह से बंद नहीं होने चाहिए, लेकिन राज्य सरकार अपनी परिस्थितियों की वजह से इन्हें बंद करा देती हैं. मगर अब मनरेगा के तहत पूर साल कार्य कराया जाएगा.
मनरेगा के लिए बजट
इसके लिए 61 हजार करोड़ रुपए का बजट तय किया गया है. केंद्र सरकार द्वारा 40 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त बजट भी देगी. ऐसा पहली बार होगा, जब देशभर में मनरेगा से 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा के काम किए जाएंगे. इसमें से 33 हजार करोड़ रुपए सभी राज्यों को दिए जाएंगे. अभी तक 21 हजार करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं. इससे राज्य में मनरेगा संबंधी कार्य शुरू किए जा रहे हैं. अब तक मनरेगा द्वारा करीब 18 करोड़ लोगों को रोजगार दिया जा चुका है. पिछले साल की बात करें, तो इसमें करीब 40 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है.
राज्य में मनरेगा के जरिए हो रहे कई काम
छत्तीसगढ़ में मनरेगा के जरिए करीब 20 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार दिया जा रहा है. देखा जाए, तो यह पूरे देश का 24 प्रतिशत है.
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डबरी
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कुआं
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वनभूमि में स्टॉप डैम
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भूमि सुधार
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तालाब निर्माण
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पशु शेड निर्माण
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चारागाह निर्माण
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शासकीय भूमि पर वृक्षारोपण
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आंगनबाड़ी भवन निर्मा
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हितग्राहियों के लिए बकरी शेड
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मुर्गी शेड
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महिला समूह के माध्यम से नर्सरी में पौध निर्माण
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सिंचाई के लिए नाली निर्माण
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गांव से जल निकास के लिए नाली निर्माण
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महिला समूह के लिए वर्क-शेड निर्माण
इस तरह के कई कार्य मनरेगा के तहत कराए जाते हैं. आने वाले समय में मनरेगा के तहत कार्य करने वाले लोगों के लिए एक बड़ी राहत मिल पाएगी. अब राज्य सरकार बारिश के दौरान भी लोगों को रोजगार देगी.
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