अगर आप प्रतिदिन अंडा-चिकन का सेवन करते हैं, तो यह खबर आपके लिए है. बता दें कि देश में दिन पर दिन अंडे और चिकन की मांग लगातार बढ़ती जा रही है. देखा जाए तो इसका बिजनेस किसान भाइयों के लिए सबसे अच्छा मुनाफा का बिजनेस साबित हो रहा है. इस व्यवसाय के लिए सरकार की तरफ से भी अनुदान दिया जाता है. जितनी तेजी से बाजार में इनकी मांग बढ़ रही है, उतनी ही तेजी से व्यापारी इन्हें मैच्योर बनाने, वजन व आकार को बढ़ाने के लिए कई तरह के एंटीबायोटिक इंजेक्शन (antibiotic injection) दे रहे हैं. लेकिन क्या आप इन एंटीबायोटिक के पीछे की वजह जानते हैं...
मुर्गियों के तेजी से वृद्धि कराने के लिए पोल्ट्री फीड फेडरेशन ऑफ इंडिया (Poultry Feed Federation of India) का कहना है कि आज-कल सोशल मीडिया (social media) पर तेजी से कई तरह की खबरें वायरल हो रही हैं. जिसमें बताया जाता है कि मुर्गियों को दवाई के माध्यम से इनका ब्रायलर चिकन बढ़ाया जाता है या फिर मुर्गियों को कम समय में अधिक से अधिक अंडे देने के लिए तैयार किया जाता है. लेकिन देखा जाए तो यह सरासर झूठ है. ऐसा कुछ नहीं किया जाता है.
जानें क्यों किया जाता है एंटीबायोटिक और इंजेक्शन
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि असल में मुर्गियों पर एंटीबायोटिक और इंजेक्शन का इस्तेमाल उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ही किया जाता है. क्योंकि इनपर बर्ड फ्लू और वातावरण के तमाम बैक्टीरियल वाली बीमारियां मौजूद होती हैं. इसके बचाव के लिए ही इन्हें एंटीबायोटिक और इंजेक्शन समय-समय पर लगाए जाते हैं. इतना ही नहीं मुर्गियों को शाकाहरी पोल्ट्री फीड भी दिया जाता है. जिसके चलते इनके अंडे व चिकन में किसी भी तरह की कोई बीमारी नहीं होती है. इन्हें खाने वाले लोगों पर इसका कोई गलत असर भी नहीं होती है. बल्कि वह लंबे समय तक सेहतमंद रहते हैं.
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मुर्गियों को गलत दवा खिलाना है गैरकानूनी
मुर्गियों को दवा खिलाने के संदर्भ में सेंट्रल एवियन रिसर्च इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर अशोक कुमार तिवारी का कहना है कि अगर कोई लाभ कमाने के लिए मुर्गियों को गलत दवाइयां खिलाते पाए जाते हैं, तो उनके ऊपर सख्त कार्रवाई की जाती है. क्योंकि दवाओं के चलते उनके वजन और अंडे का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसी भी तरह के एंटीबायोटिक या इंजेक्शन का देना प्रतिबंधित है. इसके बावजूद भी कुछ लोग चोरी छुपे मुर्गियों को गलत तरीके की दवा खिलाते हैं.
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