उत्तर प्रदेश चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने के बाद भाजपा की ओर से किसानों को दी गई कर्जमाफी की सौगात अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ सकती है। एक अमेरिकी ब्रोकरेज फर्म का कुछ ऐसा ही मानना है। फर्म का कहना है कि ऐसे कदमों से साल 2019 के लोकसभा चुनावों तक इकोनॉमी पर यह बोझ जी.डी.पी. का 2 फीसदी हो जाएगा। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के बाद अब अन्य राज्यों में भी किसानों के कर्ज माफी की वकालत जोर-शोर से होने लगी है।
बैंक ऑफ अमेरिका के मेरिल लिंच ने बताया कि साल 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले किसानों की कर्ज माफी राजकोषीय और ब्याज दर पर जोखिम खड़ा करने वाली है। इससे कर्ज फर्म का अनुमान है कि यह माफी जीडीपी का करीब 2 फीसद होगी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से 5 बिलियन डॉलर (36,359 करोड़ रुपए) का लोन माफ किया गया है जो राज्य की जी.डी.पी. का 0.4 फीसद है। ऐसे में यूपी की देखादेखी अन्य राज्यों की सरकारें या विपक्षी पार्टियां ऐसा कदम उठा सकती हैं। हालांकि कर्जमाफी से पहले ही केंद्र की तरफ से यह साफ कर दिया गया था कि राज्य सरकारें अपनी वित्तीय हालत को मद्देनजर रखते हुए ही ऐसे फैसले लें क्योंकि केंद्र की ओर से राज्यों को कोई मदद नहीं दी जाएगी। आपको बता दें कि भारत के अधिकतर राज्य 3.5 फीसद से ज्यादा का राजकोषीय घाटा पहले से ही झेल रहे हैं।
Share your comments