पूर्वी क्षेत्रीय कृषि मेला 2022 कृषि अपशिष्ट के मुद्रीकरण द्वारा उघमिता विकास 12, 13, 14 मार्च 2022 को आयोजित करने जा रही हैं. आपको बता दें कि 29 अगस्त 2021 की सुबह डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविघालय, पूसा के लिए एक स्वार्णिम दिवस था. जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र ने आकाशवाणी से मन की बात कार्यक्रम में राष्ट्र को संबोधित करते हुए डॉ.रा.प्र.के.कृ.वि. पूसा द्वारा विकसित और कार्यन्वित सुखेत मॉडल की सराहना की.
जानकारी के मुताबिक, बिहार के मधुबानी जिले के एक गांव में अवस्थित सुखेत मॉडल एक आत्मनिर्भर मॉडल है. जिससे ग्रामीण बिहार में एक बड़ा परिवर्तन आया है. इस परिवर्तन के कारण ही ग्रामीण रोजगार के नए अवसर पैदा किए हैं. विश्वविघालय ने बिहार और झारखंड राज्य में स्थित विभिन्न मंदियों जैसे देवघर में बाबा बैघनाथ, मुजफ्फरपुर में बाबा गरीबनाथ और अरेराज के बाबा सोमेश्वराथ में चढ़ाए गए फूलों और बेलपत्रों को वर्मीकम्पोस्ट में परिवर्तित कर उसे विपणन करने का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया हैं.
वर्ष 2014 में देशभर में स्वच्छ भारत अभियान की शुरूआत के साथ, एकत्रित कचरे के प्रबंधन की भारी समस्या सामने आई. डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविघालय पूसा ने भारतीय कृषि अनुसंधान प्रणाली का एक अभिन्न अंग होने के कारण कृषि पद्धतियों के दौरान उत्पन्न कचरे के प्रबंधन के महत्व को महसूस किया और विश्वविघालय ने इस दिशा में अनुसंधान को आगे बढ़ाया. साथ ही लक्षित प्रौघोगितकियों को विकसित करके विश्वविधालय ने उपयोगी उत्पादों में परिवर्तित किया है, जो कृषि अपशिष्ट को न्यूनतम आदान के साथ आया का साधन बन रहे हैं और इसी तकनीक के अनुसंधान एवं प्रसार हेतु अपशिष्ट प्रबंधन पर उच्च अध्ययन केंद्र की स्थापना की गई है.
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविघालय द्वारा कृषि- अपशिष्ट प्रबंधन पर विकसित प्रौघगिकियां है जैसे-
- ग्रामीण एवं कृषि अपशिष्ट को वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन हेतु सुखेत मॉडल
- केले के रेशे में विभिन्न सजावटी एवं अन्य उत्पाद बनाने की तकनीक.
- मक्का के गोले से डिस्पोजल प्लेट्स.
- अरहर के डंठल से पर्यावरण अनुकूल टेबल स्टैण्ड. कटरी सेट, कैलेंडर स्टैण्ड आदि बनाने की तकनीक
- लीची के बीज से मछलियों का आहार
- हल्दी के फसल अवशेषों से आवश्यक तेल निकालने की तकनीक.
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविघालय पूसा के कृषि विज्ञान केंद्र कृषि अपशिष्ट के मुद्रीकरण पर विश्वविघालय द्वारा उत्पन्न प्रौघोगिकियों को स्थानांतरित कर रहे हैं, जो ग्रामीण युवाओं के साथ-साथ कृषि उघमियों को रोजगार के अवसर और परिवर्तित करने के लिए प्रौघोगिकियों का प्रदर्शन करेगा. डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविघालय पूसा उच्च मूल्य वाले कृषि व्यवसाय को बढ़ावा देने और समावेशी मूल्य श्रृंखला विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए उत्पादन लक्ष्य से आय वृद्धि के लिए कृषि के पुनः अभिविन्यास के लिए काम कर रहा हैं. विश्वविधालय अनुसंधान और प्रसार के द्वारा ग्रामीण युवाओं की उघमशीलता क्षमता बढ़ाने के लिए कृषि, जलीय कृषि, कृषि वानिकी में उघम विकास के लिए फसल विविधिकरण के साथ-साथ मूल्य संवर्धन प्रौघोगिकियों पर केंद्रित है. सभी कृषि उत्पादन में निहित मूल्य है और उत्पादन के प्रत्येक इकाई को मूल्य उत्पन्न करने के अवसर के रूप में देखने तथा खेतों से कचे की धारण को समाप्त करने की आवश्यकता है.
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविघालय पूसा द्वारा 12 से 14 मार्च 2022 तक कृषि अपशिष्ट के मुद्रीकरण द्वारा उघमिता विकास विषय पर एक भव्य पूर्वी क्षेत्रीय कृषि मेला का आयोजना किया जा रहा है और हम पूर्ण विश्वास के साथ आशा करते हैं कि आप इस क्षेत्रीय कृषि मेला में भाग लेगें और लाभान्वित होगें. हम आपको एक बार फिर हमारे किसान मेले में आने के लिए आमंत्रित करते हैं और आप हमें आपकी बेहतर सेवा करने का अवसर प्राप्त करेंगे.
मेले के लक्ष्य एवं उद्धेश्य
- उत्पन्न कृषि अपशिष्ट को मानव, कृषि भूमि उपयोग एवं पशुओं के लिए उत्पाद में परिवर्तित करना.
- राजकोषीय गतिविधि को बढ़ाने के लिए अपेक्षाकृत नए क्षेत्र में आजीविका सृजन के अवसर प्रदान करना.
- कृषि अपशिष्ट को आर्थिक उपोयग में लाना जिससे पर्यावरण पर दबाव कम हो.
- व्यवसायिक उघम सृजित करने के लिए विभिन्न हितधारकों को आकर्षित करना.
- योजनागत आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने के लिए गांवों को समृद्ध बनाना. समाजिक परिवर्तन के लिए संबद्ध कृषि गतिविधियों जैसे मधुमक्खी पालन, मशरूम उत्पादन, वर्मीकम्पोस्टिंग आदि को बढ़ावा देना.
- ग्रामीण के तकनीकी कौशल का पता लगाना और उनका पोषण करना ताकि उच्च स्तर के कौशल और कलात्मक प्रतिभा के साथ मानव शक्ति की कोई कम नाहो.
- खेती की लागत कम करने और प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन के लिए कृषि प्रौघोगिकी और कृषि मशीनरी की प्रदर्शनी.
- सरकारी और गैर सरकारी संगठनों के साथ कृषि आधारित लघु एवं मध्यम उघमियों के सहयोग से नए क्षितिज को तलाशना.
- संगोष्ठी, किसान गोष्ठी के माध्यम से नवीनत कृषि प्रौघोगिकियों पर किसानों और वैज्ञानिकों के बीच बातचीत और ज्ञान साझा करना.
- खाघ और पोषण सुरक्षा के लिए छोटे जोत वाले किसानों को मशरूम उत्पादन एवं प्रसंस्करण पर प्रदर्शनी.
- प्रति बंदू अधिक फसल के लिए जल संरक्षण तकनीक और भूजल पुनर्भरण के लिए जल संचयन संरचना का प्रदर्शन.
- ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोतों, सौर ऊर्जा वृक्षों, सौर पंपों और नाव पर लगे सौर सिंचाई प्रणाली की प्रदर्शनी.
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविघालय, पूसा
कृषि शिक्षा की जन्मस्थली में अवस्थित स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपित देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद के नाम पर स्थापित इस विश्विधालय ने स्थापना काल से ही कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान के क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया है. डॉ. राजेंद्र प्रशाद केंद्रीय कृषि विश्वविधालय, पूसा अपने विभिन्न कृषि विज्ञान केंद्रों, अनुसंधान एवं शिक्षा संस्थानों के लिए विभिन्न कार्यक्रमो द्वारा कृषि के विकास एवं प्रसार में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के निर्वगन में सदैव तत्पर है.
आमंत्रण
कृषि एवं कृषि विभिन्न आयामों से सम्बध्द व्यक्तियों, संस्थानों. कृषक संगठनों, उत्पदकों एवं विपणन संघों को इस किसान मेले में स्टॉल प्रदर्शन, निरूपण एवं सहभागित हेतु विश्वविघालय परिवार आप सभी को सादर आमंत्रित करता है. इस आमंत्रित में कृषि जागरण की टीम भी पहुंची हुई हैं और आपको पल-पल की खबर से अवगत करवा रही हैं.
प्रदर्शन के लिए उपलब्ध सुविधाएं
- प्रत्येक प्रदर्शनी स्टॉल पर 2 मेंजें, 2 कुर्सियां और आवश्यक बिजली की आपूर्ति उपलब्ध होगी.
- ऊपर वर्णित सुविधाओं एवं दरों में परिवर्तन, छू़ट एवं रियायत का सर्वाधिकार विश्वविघालय मेला प्रशानस के पास सुरक्षित रहेगा.
- बात दें कि यह सभी सुविधाएं कृषि जागरण की टीम को भी दी गई है. वहां पर हमारी टीम को भी एक स्टॉल दिया गया है.
स्टॉल
- इस मेले में प्रदर्शन हेतु विश्वविघालय द्वारा निम्म प्रकार के स्टॉल उपलब्ध कराये जायेंगें.
- तीन तरफ से घिरे आच्छादित स्टॉल
- 4 मीटर* 4 मीटर (16 वर्गमीटर) दर रूपए 8 हजार मात्र.
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविघालय, पूसा कैसे पहुंचे
- यह मेला मुजफ्परपुर रेलवे स्टेशन से सड़क मार्ग से 40कि.मी.
- समस्तीपुर रेलवे स्टेशन सड़क मार्ग से 20कि.मी
- दरभंगा हवाई अड्डा सड़क मार्ग से 50किमी
- खुदीराम बोस पूसा रेलवे स्टेशन सड़क मार्ग से 09कि.मी
- पटना हवाई अड्डा सड़क मार्ग से 100कि.मी.
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