महाराष्ट्र में किसान सड़कों पर आकर आंदोलन करने लगे जिससे प्रमुख शहरों में दूध की आपूर्ति में बाधा आ रही है, जिसमें राज्य की राजधानी समेत राज्य के कई प्रमुख शहर शामिल है, जो कीमत में तेज गिरावट के विरोध में है।
स्वाभिमानी शेतकारी संगठन द्वारा बुलाया जाने वाला आंदोलन गाय प्रति दूध की न्यूनतम बिक्री मूल्य के लिए 30 रुपये प्रति लीटर पर बात मनवाना है।
एक वर्ष में पूरे भारत में उत्पादित 165 मिलियन टन दूध का लगभग 70 प्रतिशत सीधे तरल रूप में खाया जाता है। शेष 30 प्रतिशत को पनीर, मक्खन, स्किम्ड दूध पाउडर इत्यादि जैसे उत्पादों में संसाधित किया जाता है।
कॉर्पोरेट स्वामित्व वाले शिलिंग केंद्रों में सैकड़ों दूध वैन लौटने के अलावा, किसानों ने विरोध प्रदर्शन पूरे राज्य में लगभग 60 छिद्रों को बर्बाद कर दिया। उन्होंने कॉरपोरेट स्वामित्व वाले शिलिंग सेंटर को आपूर्ति बंद कर दी है।
उनका दावा है कि डेयरी किसानों को महाराष्ट्र में दूध 16.1 रुपये प्रति लीटर पर दूध बेचने के लिए मजबूर किया जाता है जबकि ब्रांडेड बोतल पानी 20 रुपए प्रति लीटर प्राप्त करता है। कुछ महीने पहले डेयरी कंपनियां 26-27 रुपये लीटर प्रति की पेशकश कर रही थीं।
कर्नाटक और आंध्र प्रदेश सरकारें दूध किसानों को 5 रुपये प्रति लीटर तक सब्सिडी दे रही हैं लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने अब तक इस मांग को स्वीकार नहीं कीया है। इस साल के शुरू में लगभग 20,000 दूध किसान पुणे से मंबई पैदल आंदोलन कीया और अपनी मंगो को सरकार के सामने रखा था। गाय दूध के लिए 5 रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी का अनुमान है कि सालाना 4 बिलियन रुपये की वृद्धि होगी।
भानु प्रताप
कृषि जागरण
Share your comments