महाराष्ट्र में कीटनाशकों के कारण जान गंवाने वाले किसानों का मुद्दा भले ही पिछले साल से मुखरता से सामने आया हो, यह समस्या काफी लंबे समय से मौजूद है। लोकसभा में कृषि मंत्रालय की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक राज्य में कीटनाशकों के कारण पिछले चार साल में 272 किसानों और खेतिहर मजदूरों की जान जा चुकी है।
पिछले साल यवतमाल जिले में 21 जानें गई थीं जबकि 42 किसानों की मौत 2017-18 के दौरान राज्य के अन्य 14 जिलों में हुई थी। चिंताजनक बात यह है कि जिस कीटनाशक से सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं, मोनोक्रोटोफॉस, वह दुनिया के कई हिस्सों में प्रतिबंधित है। भारत में न सिर्फ यह इस्तेमाल होता है बल्कि गलत तरीके से इस्तेमाल होने के कारण लोगों की मौत का कारण बना हुआ है।
यवतमाल में कीटनाशकों के कारण हुई मौतों की जांच कर रही विशेष टीम ने पाया कि ज्यादातर किसान मोनोक्रोटोफॉस का इस्तेमाल सीधे या किसी अन्य कीटनाशक में मिलाकर कर रहे थे। टीम ने इसके ऊपर प्रतिबंध लगाने की सलाह दी थी। राज्य सरकार ने नवंबर से 60 दिन तक के लिए कीटनाशक की बिक्री और मार्केटिंग पर रोक लगा दी थी। हालांकि, इस पर बैन लगाना कीटनाशक अधिनियम, 1968 के तहत केंद्र सरकार के हाथ में है।
वहीं कृषि राज्यमंत्री ने यह माना कि कई देशों में मोनोक्रोटोफॉस बैन है लेकिन उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों द्वारा परखने के बाद इसका इस्तेमाल किया जाता है और सही मानकों और मात्राओं में इस्तेमाल किए जाने से इसका कोई नुकसान नहीं होता।
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