
नई दिल्ली स्थित कृषि जागरण के कार्यालय में 26 मार्च 2025 को सेंटर ऑन इंटीग्रेटेड रूरल डेवलपमेंट फॉर एशिया एंड द पैसिफिक (CIRDAP) के महानिदेशक डॉ. पी. चंद्र शेखर ने दौरा किया. इस अवसर पर उन्होंने कृषि क्षेत्र में तकनीक विकसित करने वालों और किसानों के बीच की खाई को पाटने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने अपने संबोधन में कृषि क्षेत्र की प्रमुख चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि अकादमिक शोध और जमीनी स्तर पर उनके अनुप्रयोग के बीच बड़ा अंतर है, जिसे दूर करने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी और नवाचार आवश्यक हैं.
डॉ. शेखर ने कृषि पत्रकारिता के प्रति अपने विशेष लगाव को भी व्यक्त किया. उन्होंने कहा, "कृषि पत्रकारिता मेरा प्रिय विषय है, और कृषि विस्तार के एक छात्र के रूप में, मैं इसके प्रति गहरी रुचि रखता हूँ. मैं दृढ़ता से मानता हूँ कि डिजिटल मीडिया तकनीक विकसित करने वालों और किसानों के बीच एक पुल का कार्य कर सकता है. यदि यह सेतु नहीं होगा, तो हम प्रत्येक किसान की जरूरतों को पूरा करने या व्यक्तिगत स्तर पर समस्याओं को हल करने में सक्षम नहीं होंगे. कृषि जागरण इस दिशा में जो कार्य कर रहा है, वह सराहनीय है और मैं इसके लिए पूर्ण समर्थन देता हूँ." उन्होंने आगे कहा कि "लोगों की धारणा है कि कृषि गरीबों का पेशा है, लेकिन अब इस क्षेत्र से भी करोड़पति उभर रहे हैं."
डॉ. शेखर ने कृषि शिक्षा की एक बड़ी समस्या की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए बताया कि कई छात्रों के शोध पत्र केवल कॉलेज की लाइब्रेरी तक सीमित रह जाते हैं और उनका वास्तविक जीवन में कोई उपयोग नहीं हो पाता. उन्होंने सुझाव दिया कि शिक्षण संस्थानों को फील्ड स्तर पर काम करने वाले संगठनों के साथ मिलकर कृषि क्षेत्र की वास्तविक समस्याओं की पहचान करनी चाहिए और छात्रों को उनके समाधान खोजने में शामिल करना चाहिए. उन्होंने कहा, "हमें एनजीओ और फील्ड-लेवल स्टेकहोल्डर्स के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि छात्रों द्वारा किया गया शोध समाज के लिए उपयोगी और व्यावहारिक हो."
उन्होंने कृषि में बढ़ती बेरोजगारी की समस्या पर भी चिंता व्यक्त की. उन्होंने बताया कि हर साल लगभग 30,000 कृषि स्नातक पास होते हैं, लेकिन उनमें से केवल 20% को ही रोजगार मिलता है. इस समस्या का समाधान करने के लिए उन्होंने ‘एग्री-क्लिनिक्स और एग्री-बिजनेस सेंटर्स स्कीम’ का जिक्र किया, जिसे उन्होंने लॉन्च करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इस योजना के तहत सार्वजनिक कृषि विस्तार प्रणाली को निजी कृषि विस्तार सेवाओं के साथ पूरक बनाया गया, जिससे कृषि स्नातकों को स्वरोजगार के अवसर मिले और किसानों को कम लागत या नि:शुल्क सेवाएँ प्राप्त हो सकीं.
डॉ. शेखर ने अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रमों की भी आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि ये कार्यक्रम कृषि क्षेत्र के हितधारकों को आवश्यक ज्ञान और कौशल प्रदान कर सकते हैं, जिससे नवाचार और विकास को बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने कहा, "ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम क्षमता निर्माण और कृषि के समग्र विकास में योगदान देते हैं."
अपने संबोधन के अंत में उन्होंने युवाओं को कृषि क्षेत्र से जोड़ने और उन्हें इस क्षेत्र में बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कृषि जागरण जैसी संस्थाओं की सराहना करते हुए कहा, "आपके प्रयास बहुत महत्वपूर्ण हैं और मैं इस दिशा में आपके सभी नवाचारों को पूर्ण समर्थन और शुभकामनाएँ देता हूँ." उन्होंने यह भी बताया कि CIRDAP 15 एशिया-प्रशांत देशों में ग्रामीण विकास, जलवायु परिवर्तन, सतत विकास लक्ष्यों (SDG), गरीबी उन्मूलन, पोषण और किसानों के सशक्तिकरण के लिए काम कर रहा है.

इस विशेष अवसर का समापन धन्यवाद ज्ञापन और सामूहिक फोटो सत्र के साथ हुआ, जिसमें कृषि क्षेत्र में नवाचार और सहयोग की इस महत्वपूर्ण पहल को यादगार बनाया गया.
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