प्रोटेक्शन ऑफ प्लांट वैरायटी एंड फार्मर्स राइट्स अथॉरिटी (Protection of Plant Variety and Farmers Right) के चेयरमैन डॉ के वी प्रभु को हाल ही में कृषि क्षेत्र में शोध संबंधी सराहनीय योगदान के लिए ‘अटल रतन अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया है. इससे पहले वे ‘भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान’( Indian Agricultural Research Institute (IARI) पूसा में जॉइंट डायरेक्टर रहे. बुधवार को दिल्ली स्थित मावलंकर हॉल में इन्हें पुरस्कृत किया गया है.
आपको बता दें कि राष्ट्रीय व्यापार विकास संगठन और दीपक फाउंडेशन की ओर से इन्हें सम्मानित किया गया है. DR. K.V. Prabhu ने अपने करियर की शुरुआत 1 अक्टूबर साल 1986 में IARI,Tutikandi (Shimla) के तहत ICAR में प्लांट ब्रीडिंग विभाग में वैज्ञानिक के पद से की थी. उन्होंने गेहूं और जौ पर काफी काम किया. साल 1997 के दौरान नियंत्रित पर्यावरण अनुसंधान सुविधा विकसित करने में भारत की मदद करने के लिए एफएओ फैलोशिप लेने के लिए उन्हें कनाडा में प्रतिनियुक्त किया गया था. फरवरी 1998 में उन्हें संस्थान के नेशनल फाइटोट्रॉन फैसिलिटी में मैनेजर बायोलॉजी की जिम्मेदारी दी गई. उन्होंने भारत में बासमती चावल के पुनर्विकास के मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने 2007 से 2018 तक IARI के गेहूं और जौ सुधार कार्यक्रम का नेतृत्व किया. उनकी शोध विशेषज्ञता ने उन्हें संयुक्त राष्ट्र के एफएओ जैसे संस्थानों और संगठनों के लिए अलग-अलग कामों में भारत का प्रतिनिधित्व करने में सक्षम किया है
इस क्षेत्र के हैं विशेषज्ञ
डॉ के वी प्रभु ने गेहूं, सरसों, और धान की किस्मों पर अपनी अच्छी पकड़ बनायी है.
इससे पहले भी इन्हें इन क्षेत्रों में मिल चुका है पुरस्कार
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साल 1987 में जवाहरलाल नेहरू अवॉर्ड
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ICAR रिकग्निशन अवॉर्ड 2008
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फैलो, राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी
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भारतीय विज्ञान कांग्रेस एसोसिएशन का प्लेटिनम जुबली पुरस्कार
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बी पी पाल पुरस्कार
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वी एस माथुर मेमोरियल अवॉर्ड
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बोरलॉग अवॉर्ड 2012
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रफ़ी अहमद किदवई अवॉर्ड 2012
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