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केवीके का मजबूत नेटवर्क खेती की चुनौतियों के लिए है अनुकूल- डॉ.अजीत कुमार

कृषि विज्ञान केन्द्रों की स्थापना के शानदार 50 वर्ष पूर्ण के उपलक्ष्य पर पुडुचेरी से चली मशाल यात्रा एमपीयूएटी पहुंची. यह यात्रा समस्त केवीके होती हुई कोटा में प्रवेश करेगी. वही, केवीके को लेकर एमपीयूएटी के कुलपति डॉ.अजीत कुमार कर्नाटक का कहना है कि अनुसंधान और विस्तार प्रणाली के मध्य यह मजबूत कड़ी है.

KJ Staff
कृषि विज्ञान केन्द्रों की स्थापना के शानदार 50 वर्ष पूर्ण
कृषि विज्ञान केन्द्रों की स्थापना के शानदार 50 वर्ष पूर्ण

कृषि विज्ञान केन्द्रों की स्थापना के शानदार 50 वर्ष संपूर्ण होने के उपलक्ष्य में पुडुचेरी से आरंभ हुई मशाल यात्रा (गोल्डन जुबली-टॉर्च) प्रदेश के विभिन्न केवीके से होती हुई गुरूवार को केवीके, वल्लभनगर पहुंची. इस मौके पर आयोजित भव्य कार्यक्रम में राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय बीकानेर (राजुवास) के कुलपति डॉ.एस. के. गर्ग और वल्लभनगर केन्द्र के अधिष्ठाता डॉ.आर. के. नागदा ने मशाल महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय को सौंपी. एमपीयूएटी की ओर से निदेशक प्रसार शिक्षा निदेशालय डॉ.आर.ए. कौशिक एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक तथा अध्यक्ष, उदयपुर द्वितीय डॉ.आर.एल. सोनी ने यह मशाल ग्रहण की.

एमपीयूएटी के कुलपति डॉ.अजीत कुमार कर्नाटक ने बताया कि देश में पहला केवीके 21 मार्च 1974 को पुडुचेरी (पांडिचेरी) में स्थापित किया गया और विगत पांच दशक में उपादेयता और आवश्यकता के आधार पर आज देश में केवीके की संख्या बढ़कर 731 हो गई है. केवीके का यह मजबूत नेटवर्क खेती की चुनौतियों के लिए अनुकूल है.

केवीके कृषि उद्यमिता और ग्रामीण उद्यमिता को दे रहा बढ़ावा

एमपीयूएटी के कुलपति ने यह भी बताया कि केवीके योजना सौ फीसदी भारत सरकार द्वारा वित्तपोषित है. केवीके कृषि विश्वविद्यालय, आईसीएआर, संस्थानों, संबंधित सरकारी विभागों और कृषि में काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों को स्वीकृत किए जाते हैं. केवीके का उद्देश्य प्रौद्योगिकी मूल्यांकन, शोध और प्रदर्शनों के माध्यम से कृषि व संबद्ध उद्यमों में स्थान विशिष्ट प्रौद्योगिकी मॉड्यूल का मूल्यांकन करना है. डॉ.कर्नाटक ने कहा कि किसानों को फसल, पशुधन, वानिकी और मत्स्य पालन क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी तक पहुंच की आवश्यकता है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) पूरे भारत में जिला स्तर पर स्थापित केवीके के माध्यम से इसका समाधान करता है. केवीके अनुसंधान और विस्तार प्रणाली के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम करते है. खेत पर परीक्षण, अग्रिम पंक्ति परीक्षण व किसानों एवं विस्तारकर्मियों के लिए प्रशिक्षण आयोजित करते है.  केवीके ने फसल उत्पादन, पशुपालन, कृषि वानिकों और संबद्ध क्षेत्रों में नवीनतम प्रगति के साथ लाखों किसानों को सशक्त बनाया है. केवीके की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक कृषि उद्यमिता और ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देने की रही है.

प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ.आर.ए. कौशिक ने बताया कि जम्मू कश्मीर, पंजाब प्रांतों के केवीके से होती हुई यह मशाल यात्रा राजस्थान के बीकानेर पहुंची. अब एमपीयूएटी के अधीन बांसवाड़ा, भीलवाड़ा, प्रथम व द्धितीय, डूंगरपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ, प्रतापगढ़़ सहित समस्त आठ केवीके पर यह मशाल यात्रा जाएगी जहां से कोटा कृषि विश्वविद्यालय को सौंपी जाएगी. 21 मार्च 2024 को पुडुचेरी से आरंभ हुई यह मशाल यात्रा संपूर्ण भारत में भ्रमण करते हुए 21 मार्च 2025 को पुनः पुडुचेरी पहुंचेगी जहां इस यात्रा का विराट समापन समारोह होगा.  

भारत में 731 कृषि विज्ञान केन्द्र का मजबूत नेटवर्क

कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने बताया कि आईसीएआर ने आज पूरे भारत में 731 कृषि विज्ञान केन्द्र का मजबूत नेटवर्क बनाया है और भविष्य में देश के हर जिला मुख्यालय पर केवीके की स्थापना की योजना अमल में ली जानी है. हर्ष और गौरवान्वित करने की इस योजना के जनक उदयपुर के शिक्षाविद डॉ.मोहन सिंह मेहता रहे हैं. डॉ.मेहता ने केवीके स्थापना से काफी पहले विद्याभवन (बड़गांव) में वे सारी गतिविधियां आंरभ कर दी जो आज केवीके में देखने को मिल रही है. उन्होंने बताया कि डॉ.मोहन सिंह मेहता समिति की रिपोर्ट की सिफारि के आधार पर ही 21 मार्च, 1974 को पुडुचेरी में प्रथम कृषि विज्ञान केन्द्र की स्थापना संभव हो सकी. किसानों को फसल, पशुपालन, वानिकी और मत्स्य पालन क्षेत्र में प्रौद्योगिकी व तकनीकी हस्तांतरण का कार्य विद्याभवन में वर्षों  से जारी था, लिहाजा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (आईसीएआर) ने विद्याभवन के बड़गांव केन्द्र को भी हाथोंहाथ कृषि विज्ञान केन्द्र का दर्जा दे दिया जो आज एक आदर्श केवीके के रूप में स्थापित है. 

डॉ.कर्नाटक ने बताया कि केवीके ने किसानों को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और हितधारकों की जरूरतों को पूरा करने में अपनी योग्यता साबित की है. पिछले पांच वर्षों में, केवीके से जुड़े कई किसानों को भारत सरकार द्वारा पद्म श्री पुरस्कार और जीनोम सेवियर पुरस्कार सहित अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिसमें कृषि में उनके असाधारण योगदान को मान्यता दी गई है. यह मान्यता कृषि प्रतिभाओं को प्रेरित करने और कृषक समुदायों के भीतर नवाचार को बढ़ावा देने में केवीके द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती है. भारतीय कृषि परिदृश्य में उत्पादकता बढ़ाने, स्थिरता सुनिश्चित करने और किसानों की आजीविका में सुधार लाने के उद्देश्य से केवीके द्वारा की गई विभिन्न पहलों के माध्यम से महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं.

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आगे उन्होंने बताया कि औसतन, प्रत्येक केवीके 43 गांवों को कवर करता है और लगभग 4,300 किसानों को सेवा प्रदान करता है, इनमें से लगभग 80 प्रतिशत गांव इसके परिसर से 10 किलोमीटर से अधिक दूरी पर स्थित हैं. केवीके ने खेती के तरीकों को आधुनिक बनाने और अटल टिंकरिंग लैब्स के माध्यम से छात्रों को जानकारी प्रदान करने के लिए ड्रोन तकनीक को अपनाया.

English Summary: doctor Ajit Kumar said that the strong network of KVK is conducive to the challenges of farming Published on: 19 July 2024, 06:06 PM IST

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