अपर मुख्य सचिव, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, बिहार दीपक कुमार सिंह द्वारा आज कृषि विभाग द्वारा बामेती, पटना में एग्री स्टैक परियोजना अन्तर्गत डिजिटल क्रॉप सर्वे एवं फार्मर रजिस्ट्री विषय पर आयोजित एक दिवसीय कर्मशाला-सह-प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया. सचिव, कृषि विभाग, बिहार संजय कुमार अग्रवाल द्वारा इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की गई. अपर मुख्य सचिव ने अपने संबोधन में कहा कि बिहार में डिजिटल क्रॉप सर्वे कराना बहुत जरूरी है. डिजिटल क्रॉप सर्वे हो जाने से यहाँ के किसानों की जमीन के बारे में साईंटिफिक डाटा उपलब्ध हो जायेगा और जरूरतमंद किसानों को योजनाओं का उचित लाभ मिल पायेगा. उन्होंने 31 जनवरी तक जियो रेफरेंस मैप तैयार करने का निदेश दिया. उन्होंने आगे बताया कि राज्य में लगभग 45 हजार राजस्व ग्राम हैं, जिसमें से इस रबी मौसम में 50 प्रतिशत राजस्व ग्राम का जियो रेफरेंस मैपिंग करने का लक्ष्य है. डिजिटल क्रॉप सर्वे एक बहुत महत्वाकांक्षी योजना है.
बिहार में वर्तमान 4.5 करोड़ जमाबंदियाँ खुले हैं, जिसमें से कई जमाबंदियाँ अभी भी पूर्वजों के नाम से है. अगले एक महीने में भू-अभिलेख को आधार से लिंक कर लिया जायेगा. उन्होंने कृषि विभाग से अपील किया कि कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ उन्हीं किसानों को दें, जिनका भू-अभिलेख आधार से लिंक हो. साथ ही, उन्होंने किसानों से अपना भू-अभिलेख ठीक कराने का भी आह्वान किया. सचिव, कृषि विभाग संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि बिहार में डिजिटल क्रॉप सर्वे का बहुत बड़ी क्रांति के रूप में शुरूआत की जा रही है. वर्तमान में किस जिला में, किस फसल की, कितने क्षेत्र में खेती की गई है, इस विषय पर विभिन्न स्रोतों के अलग-अलग आँकड़े हैं. उन्होंने कहा कि अभी तक राज्य में लगभग 18 लाख प्लॉट का डिजिटल क्रॉप सर्वे किया गया है. वर्तमान में 36 जिलों के 18 हजार से अधिक गाँवों का डाटा उपलब्ध है.
उन्होंने कहा कि डिजिटल क्रॉप सर्वे डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन के अंतर्गत एग्री स्टैक परियोजना का एक महत्वपूर्ण घटक है, जो कृषि फसल सर्वेक्षण प्रक्रियाओं को डिजिटल बनाने और सुव्यवस्थित करने के उद्देश्य से संचालित की जा रही है. डिजिटल क्रॉप सर्वे योजना में फसलों के रियल टाईम में बोये गये फसलों का आच्छादन क्षेत्र का सही आकलन किया जा सकेगा, जिससे फसलों के विपणन तथा नीति-निर्धारण में सहुलियत होगी.
सचिव ने कहा कि गत वर्ष रबी में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 5 जिलों जहानाबाद, लखीसराय, मुंगेर, नालंदा एवं शेखपुरा के 831 गाँवों में डिजिटल क्रॉप सर्वे कराया गया है. इस योजना के तहत कृषि और राजस्व विभाग के अधिकारियों को इस कार्यक्रम में संचालन करने हेतु मास्टर ट्रेनर के रूप में चुना गया है. मार्च, 2024 में बिहार में डिजिटल क्रॉप सर्वे के लिए 15 और जिलों को शामिल किया था.
अग्रवाल ने कहा कि 05 जिला के 10 गाँव में 1.18 लाख प्लॉट का डिजिटल क्रॉप सर्वे 31 जनवरी तक करना होगा. डिजिटल क्रॉप सर्वे करने वाले कर्मी को 05 रूपये प्रति प्लॉट की दर से प्रोत्साहन राशि दिया जायेगा. इसके अतिरिक्त पावर बैंक की सुविधा के साथ-साथ नेट के लिए अलग से राशि उपलब्ध करायी जायेगी. यह कार्य अनुमंडल कृषि पदाधिकारी के नेतृत्व में कराया जायेगा.
अनुमंडल कृषि पदाधिकारी को डिजिटल क्रॉप सर्वे का प्रशासनिक प्राधिकार नामित किया जायेगा. प्रत्येक अनुमंडल कृषि पदाधिकारी को नमूना के रूप में एक-एक गाँव का डिजिटल क्रॉप सर्वे स्वयं अगले एक महीने में करना होगा, ताकि वे डिजिटल क्रॉप सर्वे के मास्टर ट्रेनर के रूप में काम सके. अग्रवाल ने बताया कि एग्रीस्टैक की इस योजना से जहाँ फसलवार आच्छादन की सटीक अनुमान/जानकारी प्राप्त हो सकेगी. साथ ही, इससे किसान की भूमि, खेत का क्षेत्रफल और उगाई गई फसलों का सत्यापित विवरण सिंगल विन्डो पर प्राप्त हो सकेगा, जिससे ऋण और फसल बीमा या अन्य कृषि सेवाओं का किसानों तक आसानी से पहुँच बनाने में सुविधा प्रदान की जा सकेगी. इसके अलावे न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारण, पॉलिसी मेंकिग, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधनए फसल जोखिम प्रबंधन, फसल के लिए बेहतर बाजार प्राप्त हो सकेगा. यह परियोजना टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देगा, जिससे किसानों एवं अन्य हितधारकों को लाभ मिलेगा.
इस कार्यक्रम में कृषि विभाग के विशेष सचिव डॉ0 वीरेन्द्र प्रसाद यादव, कृषि निदेशक नितिन कुमार सिंह, अपर निदेशक (शष्य)-सह-निदेशक बामेती धनंजयपति त्रिपाठी, 05 जिलों के अपर समाहर्त्ता/ अंचलाधिकारी/राजस्व पदाधिकारी सहित कृषि विभाग के अनुमंडल कृषि पदाधिकारी एवं सहायक निदेशकगण उपस्थित थे.
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