
भारत की लगभग 60% आबादी कृषि पर निर्भर है, लेकिन जलवायु परिवर्तन, बाजार की अनिश्चितता और पारंपरिक तरीकों से खेती करना किसानों के लिए चुनौती बन गया है. ऐसे में सरकार का विकसित कृषि संकल्प अभियान किसानों को मजबूत, सक्षम और तकनीक आधारित बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार ने कल यानी 29 मई 2025 से देशभर में 'विकसित कृषि संकल्प अभियान' की शुरुआत कर दी है. इस अभियान का उद्देश्य किसानों को आधुनिक कृषि तकनीक से जोड़ना, वैज्ञानिक तरीकों से खेती को बढ़ावा देना और खेती को बाजार की मांग के अनुसार उन्नत बनाना है. प्रधानमंत्री मोदी ने इस अभियान के उद्घाटन अवसर पर कृषि के क्षेत्र में व्यापक बदलाव लाने और इसे भविष्य के लिए तैयार करने पर बल दिया.
पीएम मोदी ने क्या कहा?
प्रधानमंत्री मोदी ने 'विकसित कृषि संकल्प अभियान' की शुरुआत के मौके पर कहा, “आज बाजार बदल रहे हैं और साथ ही ग्राहकों की प्राथमिकताएं भी. ऐसे में जरूरी है कि हमारी कृषि प्रणाली भी बदले. इसके लिए हम किसानों और राज्यों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.” पीएम ने 'लैब टू लैंड' यानी प्रयोगशालाओं से खेतों तक वैज्ञानिकों की रिसर्च को पहुंचाने की बात कही. उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों के शोध और प्रगतिशील किसानों के अनुभवों को देश के हर किसान तक पहुंचाना होगा. अब इस दिशा में नया जोश और नई ऊर्जा के साथ काम किया जाएगा.
क्या है 'विकसित कृषि संकल्प अभियान'?
यह एक राष्ट्रिय स्तरीय अभियान है, जिसे देशभर के 700 से अधिक जिलों और 65 हजार गांवों में चलाया जाएगा. अभियान के तहत किसानों को आधुनिक कृषि तकनीक, वैज्ञानिक खेती के तौर-तरीके, उन्नत बीज और फसल चयन, उर्वरक और कीटनाशक प्रबंधन और सरकारी योजनाओं की जानकारी दी जाएगी. इसके साथ ही पात्र किसानों का ऑन-द-स्पॉट रजिस्ट्रेशन भी किया जाएगा ताकि उन्हें योजनाओं का सीधा लाभ मिल सके.
ओडिशा से हुई शुरुआत, 20 राज्यों में यात्रा करेंगे कृषि मंत्री
अभियान की शुरुआत ओडिशा के पुरी जिले से केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की. अगले 15 दिनों तक चलने वाले इस अभियान में कृषि मंत्री खुद 20 राज्यों का दौरा करेंगे और किसानों से संवाद करेंगे. इनमें जम्मू, राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, असम, मेघालय, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली और छत्तीसगढ़ शामिल है.
2170 टीमें पहुंचेंगी 1.5 करोड़ किसानों तक
इस अभियान के लिए 2170 टीमें बनाई गई हैं जो: 700 जिलों, 65 हजार गांवों और करीब 1.5 करोड़ किसानों तक पहुंचेंगी. इन टीमों में कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) के वैज्ञानिक, कृषि विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञ, ICAR के अनुसंधानकर्ता, जिला प्रशासन और राज्य कृषि विभाग के अधिकारी शामिल होंगे. ये टीमें हर जिले में 2 से 3 गांवों में जाकर किसानों से सीधा संवाद करेंगी.
किसानों को क्या-क्या मिलेगा लाभ?
इस अभियान से किसानों को कई बड़े फायदे हो सकते हैं, जैसे नई तकनीक का सीधा लाभ, फसलों की बाजार मांग की जानकारी, सरकारी योजनाओं की जानकारी और पंजीकरण, उन्नत बीज और खेती के तरीके, खाद-बीज-कीटनाशक के छिड़काव की जानकारी और वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों से सीधी बात.
ICAR महानिदेशक डॉ. एम.एल. जाट का क्या कहना है?
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के महानिदेशक डॉ. एम.एल. जाट के अनुसार यह पहली बार है जब सरकार इतने बड़े पैमाने पर किसानों से सीधे जुड़ने का प्रयास कर रही है. इससे हमें किसानों की जमीनी समस्याएं समझने और उनका समाधान खोजने में मदद मिलेगी. उन्होंने यह भी कहा कि अब कृषि से जुड़े विभाग टीमवर्क में काम करेंगे, जिससे किसानों की समस्याओं का त्वरित निस्तारण संभव हो सकेगा.
इन योजनाओं की मिलेगी जानकारी
अभियान के दौरान किसानों को केंद्र और राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही इन योजनाओं की जानकारी दी जाएगी:
- पीएम किसान सम्मान निधि
- पीएम फसल बीमा योजना
- पीएम कृषि सिंचाई योजना
- पीएम कुसुम योजना
- पशुपालन, मत्स्य पालन, बागवानी योजनाएं
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना
- प्राकृतिक खेती और जैविक खेती योजना
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