सरकार हो या कोई भी संस्थान हर किसी की यही मनसा होती है कि कैसे किसानों को योजना का लाभ मिल सके. ऐसे में हरेडा की ओर से प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान के तहत हरियाणा के अंबाला जिले के किसानों को सोलर पंप की योजना का लाभ दिया जाना था.
लेकिन विभाग की लापरवाही के कारण किसानों को इसकी सूचना तक ही नहीं मिल पाई. इसके चलते इच्छुक किसान भी इस योजना का लाभ लेने से वंचित रह गए.
ऐसे में पहले आओ, पहले पाओ नीति के चलते दूसरे जिले के किसान लाभ उठा गए और अंबाला के किसानों के लिए खुली साइट महज एक दिन में ही बंद हो गई. विभाग की इस लापरवाही का हरजाना किसानों को भुगतना पड़ा.
आपको बता दें कि बिजली जिस तरह से महंगी होती जा रही है, तो अब समय आ गया है कि हम सोलर एनर्जी पर खुद को सिफ्ट कर लें.
पहले आओ, पहले पाओ
बता दें कि खेतों में सौर ऊर्जा सबमर्सिबल कनेक्शन पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर दिए जाने थे. इसके लिए 27 दिसंबर को सुबह 10 बजे ऑनलाइन आवेदन के लिए साइट खुली थी. प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान स्कीम के तहत हरियाणा के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग की ओर से जिले के किसानों के लिए तीन एचपी, पांच एचपी, 7.5 एचपी व 10 एचपी सोलर ऊर्जा पंप 75 प्रतिशत अनुदान पर लगवाने की योजना थी.
पिछले बार भी किसी को नहीं मिला सोलर पंप
कुछ समय पहले भी नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग की ओर से प्रदेश में लगभग साढ़े तीन हजार सोलर पंप की स्कीम निकाली गई थी. इस दौरान जिला ही नहीं, बल्कि पास के तीन जिलों तक में एक भी किसान को सोलर पंप का लाभ नहीं मिल सका. इनमें अंबाला, यमुनानगर और पंचकूला का एक भी पंप नहीं मिला था.
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लोगों ने कर दिए चालान, नहीं भरी गई राशि
दूसरे जिलों से जैसे ही किसानों को सोलर पंप की स्कीम की सूचना मिली, तो उन्होंने अपनी तैयारी कर ली. इसके चलते जिले के काफी किसानों ने चालान भी कटवा लिये, लेकिन उनकी पेमेंट जमा नहीं हो सका. बकनौर के नवनीत ने बताया कि उन्हें धक्के खाने के बाद भी लाभ नहीं मिला है. ऐसे में जिले से महज दस से भी कम लोग ही आवेदन कर सके हैं. जबकि प्रदेश में साढ़े 8 हजार को स्कीम का लाभ दिया जाना है.
प्रदेश में 8662 सोलर पंप की स्कीम निकाली गई थी. जिनमें 27 दिसंबर को सुबह 10 बजे पोर्टल खुल गया था और 28 दिसंबर को 12 बजे बंद हो गया. 22 हजार एप्लीकेशन आ गई. वहीं 12-13 हजार लोगों की पेमेंट भी आ गई. जितना टारगेट था, उसके मुताबिक ही देना था. इतनी जल्दी कोई स्कीम बंद नहीं होती. यह पूरे हरियाणा के लिए था जो पहले भर गया.
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