दिल्ली में सर्दी का मौसम शुरु होते ही प्रदूषण के स्तर में बढ़ोत्तरी होने लगता है, जिसकी एक वजह धान की पराली का जलना भी है. हालांकि यह कोई नई समस्या नहीं है, लेकिन दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने प्रदूषण की रोकथाम के लिए पहले से ही प्रयास करना शुरु कर दिए हैं, जैसे दिल्ली में होने वाली धान की खेती की कटाई के बाद खेतों में बायो डि-कंपोजर का निःशुल्क छिड़काव कराने की तैयारी है.
दलअसल, दिल्ली के कुछ इलाकों में धान की खेती की जाती है और उसकी कटाई के बाद पराली को जला दिया जाता है, जिससे कि दिल्ली के प्रदूषण स्तर में बढ़ोत्तरी होने लगती है, लेकिन दिल्ली सरकार ने एक फैसला लिया है कि पराली को गलाने के लिए खेतों में बायो डि-कंपोजर का निःशुल्क छिड़काव किया जाएगा.
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पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने 8 सितंबर को बायो डि-कंपोजर के छिड़काव को लेकर विकास विभाग, राजस्व विभाग और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) के उच्च अधिकारियों के साथ संयुक्त बैठक की है. जिसके बाद उन्होंने बताया कि दिल्ली के अंदर बासमती और गैर बासमती धान के सभी खेतों में सरकार द्वारा निःशुल्क बायो डी-कंपोजर का छिड़काव किया जाएगा.इस प्रक्रिया को लेकर जल्द ही किसानों से फॉर्म भी भरवाए जाएंगे और दिल्ली सचिवालय में ट्रेनिंग प्रोग्राम भी आयोजित किया जाएगा.
गोपाल राय ने यह बताया कि दिल्ली के कुछ हिस्सों में धान की खेती की जाती है, जिसमें बासमती और गैर बासमती दोनों तरह की किस्मों को लगाया जाता है. दिल्ली में धान की पराली से प्रदूषण न हो, इसलिए पिछले साल भी सरकार की ओर से बायो डी-कंपोजर का निः शुल्क छिड़काव किया गया था, जिसका बहुत ही सकारात्मक परिणाम रहा. उसी तर्ज पर इस साल भी दिल्ली के अंदर बासमती या गैर बासमती दोनों ही तरह की धान के खेत पर सरकार द्वारा छिड़काव किया जाएगा.
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