उन्नति लीची कार्यक्रम का संचालन देहात और कोका कोला इंडिया फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है. डॉ दिनेश चौहान, उपाध्यक्ष, नई पहल देहात, कृषि क्षेत्र में एक प्रसिद्ध व्यक्तित्व ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया. राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ एस डी पांडेय इस विषय पर विशेषज्ञ के रूप में उपस्थित थे और किसानों के कई प्रश्नों का समाधान किया गया.
डॉ. दिनेश चौहान ने उन्नति लीची परियोजना पहल पर चर्चा की, जिसमें कृषि मूल्य श्रृंखला की प्रभावशीलता बढ़ाने, उच्च घनत्व वाले वृक्षारोपण पर किसानों की क्षमता बढ़ाने, किसानों को अच्छी कृषि प्रथाओं में सिखाने, और उन्होंने सामूहिक खेती के लाभों और ग्रामीण समुदायों के विकास में एफपीओ के कार्य पर भी जोर दिया.
सितंबर और अक्टूबर का महीना लीची के पौधे की देखभाल के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि सितंबर-अक्टूबर के दौरान कीड़े नए उभरे हुए अंकुर को नुकसान पहुंचाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप शूट की वृद्धि में रुकावट होती है, विशेष रूप से नए स्थापित बाग में तना बेधक तेजी से लीची को प्रभावित कर रहा है और इससे किसानों को काफी नुकसान हो रहा है.
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डॉ एस डी पांडे ने कीटों के द्वारा उत्पन्न खतरे पर जोर दिया. फूलों के शुरू होने से पहले बागवानों को इसकी देखभाल के लिए तैयार रहना चाहिए. प्राथमिक लीची उगाने वाले क्षेत्रों (बिहार और पड़ोसी राज्यों) से शुरू करना आवश्यक है. किसानों को नुकसान के संकेतों और लक्षणों के साथ-साथ बागवानों के लाभ के लिए अनुशंसित प्रबंधन रणनीतियों का संक्षिप्त विवरण दिया गया.
इस परियोजना से बिहार के तीन जिलों मुजफ्फरपुर, वैशाली,समस्तीपुर और पूर्वी चंपारण के किसानों को बहुत लाभ हुआ है. लीची किसानों में से एक श्री बिपिन यादव ने कहा कि इस परियोजना ने न केवल उनकी उर्वरक आवश्यकता को कम किया है बल्कि उनकी उपज और आय में भी सुधार किया है.
अब तक, इस कार्यक्रम से 10 हजार से अधिक किसान लाभान्वित हो चुके हैं. देहात ने किसान ऐप, वेबिनार, एसएमएस के आधार पर बोर्डकास्टिंग, इंटरनेट और ऑनलाइन प्रशिक्षण सहित ज्ञान के प्रसार के लिए विभिन्न उपकरणों का उपयोग किया है.
देहात के लिए नई पहल के सहायक प्रबंधक अंकित कुमार ने धन्यवाद प्रस्ताव के साथ बैठक का समापन किया जिसमें प्रगतिशील किसानों, एफपीओ और एनआरसीएल और देहात के प्रतिनिधियों, अर्थात् दीपक कुमार और विकास दास ने भी भाग लिया.
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