भारत ने विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में एक और बड़ी छलांग लगाई है. केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने घोषणा की है कि इस वर्ष भारत अपना पहला मानवयुक्त अंडरवाटर वाहन (पनडुब्बी) लॉन्च करेगा. यह वाहन 500 मीटर गहराई तक जाएगा, जबकि अगले वर्ष इसे 6,000 मीटर की गहराई तक ले जाने का लक्ष्य है. यह मिशन पूरी तरह स्वदेशी प्रौद्योगिकी पर आधारित है और भारत की "नीली अर्थव्यवस्था" को मजबूत करने में मदद करेगा.
डीप ओशन मिशन: उद्देश्य और महत्व
मिशन का उद्देश्य:
- समुद्र की गहराई का अन्वेषण करना.
- महत्वपूर्ण खनिज, दुर्लभ धातु, और समुद्री जैव विविधता की खोज करना.
- सतत विकास और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देना.
तकनीकी उत्कृष्टता:
- मिशन शत-प्रतिशत स्वदेशी प्रौद्योगिकी पर आधारित है.
- भारत दुनिया के उन छह देशों में शामिल हो गया है जिनके पास इस प्रकार की तकनीकी क्षमता है.
मिशन की विशेषताएं
- पनडुब्बी इस वर्ष 500 मीटर गहराई तक जाएगी.
- अगले वर्ष इसे 6,000 मीटर गहराई तक ले जाने की योजना है.
- यह मिशन गगनयान अंतरिक्ष मिशन के साथ जोड़ा गया है, जो भारत की वैज्ञानिक क्षमता को और मजबूत करेगा.
प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इस मिशन को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दो बार उजागर किया गया. यह मिशन भारत की आत्मनिर्भरता और वैज्ञानिक उपलब्धियों का प्रतीक है.
आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ
खनिज और धातु:
- समुद्र में मौजूद दुर्लभ धातु और खनिजों का उपयोग.
- आर्थिक विकास को बढ़ावा.
पर्यावरणीय लाभ:
- जैव विविधता का संरक्षण.
- टिकाऊ मत्स्य पालन को प्रोत्साहन.
चुनौती और सफलता
कोविड-19 महामारी के कारण इस मिशन में देरी हुई, लेकिन अब यह मिशन भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियों का एक नया अध्याय लिखने के लिए तैयार है. यह मिशन अंतरिक्ष और समुद्र के अन्वेषण में भारत की अद्वितीय प्रगति को दर्शाता है. भारत का यह डीप ओशन मिशन न केवल वैज्ञानिक क्षेत्र में बल्कि आर्थिक और पर्यावरणीय स्थिरता में भी अहम भूमिका निभाएगा. यह मिशन भारत की "नीली अर्थव्यवस्था" को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का माध्यम बनेगा.
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