Makke Ki Kheti: आज के समय में ज्यादातर किसान अपनी फसल से अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं. इसकी क्रम में संजय कुमार अग्रवाल, सचिव कृषि विभाग ने बताया कि कटिहार जिले के कोढ़ा प्रखंड क्षेत्र में किसानों द्वारा मक्का की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. वैसे देखा जाए तो इस समय कई इलाकों में पीला सोना के रूप में जाना जाने वाला मक्का की कटाई होने लगी है. किसान प्रदीप कुमार चौरसिया द्वारा जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम अंतर्गत उन्नत तकनीक अपनाते हुए कटिहार जिले के मुसापुर गांव में मेढ़ पर मक्के की बुवाई की गई थी. किसान को मक्का की कटनी के दौरान लगभग 112 क्विंटल प्रति हेक्टेयर मक्का का उत्पादन हुआ. जिससे उनको एक हेक्टेयर में 1 लाख 58 हजार 500 शुद्ध मुनाफा प्राप्त हुआ.
पिछले साल उन्हें फ्लैट बेड पर मक्का की खेती करने पर करीब 98 क्विंटल प्रति हेक्टेयर मक्का ही का उत्पादन हुआ था. रबी (2023-24) कटिहार जिले में जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत कुल लगभग 450 एकड़ में मेढ़ पर मक्के की खेती की गई है.
समय-समय पर मेढ़ पर मक्के की खेती से संबंधित प्रशिक्षण
उन्होंने कहा कि कृषि विभाग के प्रसार कार्यकर्त्ता तथा कृषि विज्ञान केन्द्र के माध्यम से किसानों को समय-समय पर मेढ़ पर मक्के की खेती से संबंधित प्रशिक्षण के साथ-साथ एक एकड़ में फसल लगाने के लिए बीज भी उपलब्ध कराया जाता है. साथ ही त्ंपेमक ठमक च्संदजमत डंबीपदम का खर्च, कीड़े-मकोड़े से बचाव के लिए छिड़काव के लिए दवाई इत्यादि भी दिया गया.
मक्के की खेती कर जलवायु परिवर्तन के दौर में फसल चक्र सुधारने में मदद
अग्रवाल ने कहा कि किसानों को मक्का की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसके लिए राज्य सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही है. दक्षिण बिहार में वर्षा कम होती है. इस वजह से किसान ज्यादा पानी की जरूरत वाली फसलें नहीं लगा पाते हैं. यहाँ धान की रोपाई और कटाई देर से होती है. इस कारण रबी मौसम में गेहूँ लगाने में देर होता है तथा उत्पादन कम मिलता है. मक्के की खेती कर जलवायु परिवर्तन के दौर में फसल चक्र सुधारने में मदद मिलेगी एवं किसानों को अधिक मुनाफा मिलेगी.
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