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देश का पहला कृषि विश्वविद्यालय टेली एग्रीकल्चर के माध्यम से किसानों के खेत तक पहुंचा

सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय देश का पहला कृषि विश्वविद्यालय बना जो सीधे तौर पर किसानों के खेत तक पहुंचा और उनकी परेशानी को हल करने की कोशिश में जुटा है. इस खबर में पढ़ें कृषि वैज्ञानिकों के द्वारी दी गई सलाह व अन्य जरूरी जानकारी.

लोकेश निरवाल
कुलपति ने कृषि वैज्ञानिक टैली एग्रीकल्चर संवाद का क्या प्रारंभ
कुलपति ने कृषि वैज्ञानिक टैली एग्रीकल्चर संवाद का प्रारंभ किया

सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में कृषि वैज्ञानिक टेली एग्रीकल्चर संवाद को कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर के के सिंह ने प्रारंभ किया. इस कृषि विश्वविद्यालय को प्रदेश का ही नहीं बल्कि देश का पहला ऐसा विद्यालय बनने का गौरव प्राप्त हुआ, जो किसानों के खेतों पर प्रथम पंक्ति परीक्षण का अवलोकन करने के लिए और साथ ही किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए विश्वविद्यालय से सीधा किसानों के खेतों से जुड़ने की सुविधा उपलब्ध करा रहा है.  

आपको बता दें कि इस अवसर पर सैकड़ों किसानों ने प्रथम पंक्ति परीक्षण का अवलोकन किया और अपने अनुभवों को किसानों से साझा किया. इसके अलावा किसानों ने अपनी समस्याओं को वैज्ञानिकों के समक्ष रखा जिसका समाधान मुख्यालय में बैठी हुई टीम ने तुरंत किया.

वैज्ञानिकों के द्वारा किसानों को बताई गई तकनीक को बेहद लाभकारी बताया गया है. बता दें कि शाहजहांपुर के किसानों ने कुलपति से अनुरोध किया कि वह यह व्यवस्था हमेशा जारी रखें और महीने में कम से कम एक बार किसानों के खेत खलियान की समस्या को मुख्यालय पर बैठकर उसका समाधान अवश्य करें. यह पहल देश के किसानों के लिए बहुत ही लाभकारी साबित होगी.

कुलपति डॉक्टर केके सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि कहने की जरूरत नहीं है कि ग्लोबल वार्मिंग का कृषि क्षेत्र पर विश्वव्यापी असर कितना पड़ रहा है. यह वर्तमान समय में स्पष्ट तौर पर दिखाई पड़ रहा है कि वैश्विक स्तर पर खाद्य सुरक्षा की समस्या अब और गंभीर रूप लेती दिखाई दे रही है, ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों के लिए चुनौती बढ़ जाती है कि उन्हें अधिक तापमान सहन करने में सक्षम विविध फसलों की किस्मों को क्षेत्रवार आधार पर विकसित करने पर अधिक ध्यान देना होगा.

कुलपति डॉक्टर के के सिंह ने कहा कि अनुसंधान कार्यक्रमों के लक्ष्यों पर भी बदलती परिस्थितियों के अनुरूप दोबारा विचार करने की जरूरत है, नीति निर्धारकों को समय रहते चिंतन मनन करना होगा और उन्हें आवश्यक बदलाव भी करने होंगे. उन्होंने कहा कि दूसरे किसान समुदाय को भी अब अधिक जागरूक एवं सजग होने की आवश्यकता है. ताकि वह वैज्ञानिकों द्वारा विकसित उन्नत कृषि तकनीकों को अधिकाधिक उपयोग में लाने पर जोर दें और बढ़ते तापमान से होने वाले फसल नुकसान को काबू में रखते हुए उत्पादन स्तर को बरकरार रख सके. इस कार्यक्रम के माध्यम से विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों एवं कृषि विज्ञान केंद्र एवं उससे जुड़े किसानों से सीधा संवाद स्थापित हो सकेगा.

कृषि वैज्ञानिक टेली एग्रीकल्चर संवाद के शुभारंभ पर कृषि विज्ञान केंद्र शाहजहांपुर के ग्राम आकरार रसूलपुर विकासखंड ददरौल में किसानों ने विश्वविद्यालय में कुलपति से सीधा संवाद किया. किसानों ने इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि यह पहला अवसर है, जब विश्वविद्यालय में बैठे वैज्ञानिकों से किसानों का सीधा संवाद हो सका. उन्होंने अपनी समस्याओं को वैज्ञानिकों के समक्ष रखा और मेरठ मुख्यालय से किसानों की फसलों से संबंधित जिज्ञासाओं और समस्याओं का जवाब वैज्ञानिकों द्वारा दिया गया इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए किसानों ने कुलपति को धन्यवाद दिया.

इस अवसर पर निदेशक प्रसार डॉ पी के सिंह, अधिष्ठाता डॉक्टर विवेक धामा, अधिष्ठाता उद्यान डॉ विजेंद्र सिंह, अधिष्ठाता बायोटेक्नोलॉजी डॉक्टर रविंद्र कुमार, मुकेश कुमार विभागाध्यक्ष पादप, रोग विज्ञान विभाग डॉक्टर कमल खिलाड़ी, प्रोफ़ेसर गोपाल सिंह, अधिष्ठाता पशु चिकित्सालय डॉक्टर राजवीर सिंह, प्रोफेसर गजे सिंह, प्रोफेसर डीबी सिंह, डॉ हेम सिंह, डॉ पी के सिंह, डॉक्टर के यादव, डॉक्टर एस के त्रिपाठी, डॉ हरिओम कटियार, मनोज सेगर, मोनू रोमी, विनय प्रताप सिंह एवं डायरेक्टर ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट प्रोफेसर आर एस सेगर आदि कई लोग मौजूद रहे.

English Summary: Country's first agriculture university reaches farmers' fields through tally agriculture Published on: 14 December 2022, 05:17 PM IST

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